चरण सिंह राजपूत
क्या नीतीश कुमार फूलपुर से चुनाव लड़कर डॉ. राम मनोहर लोहिया बन जाएंगे ? क्या नीतीश कुमार लोहिया बनने की कोशिश कर रहे हैं ? नीतीश कुमार ने गैर संघवाद का नारा क्यों दिया ? कोई नहीं है टक्कर में नीतीश कुमार ने किसके लिए कहा था ? क्या नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में अपना नया ठिकाना ढूंढ रहे हैं ? क्या बिहार में लालू प्रसाद नीतीश को कोई भाव नहीं दे रहे हैं ? क्या नीतीश को इंडिया गठबंधन पिछड़ों के वोट रिझाने के लिए लगाएगा ?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की जुगत भिड़ा रहे हैं। नीतीश कुमार का प्रयास है कि फूलपुर से चुनाव लड़कर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और समाजवाद के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया और वीपी सिंह के संघर्ष की यादें ताजा कर दी जाये। नीतीश कुमार की रणनीति है कि फूलपुर से चुनाव लड़कर लोकसभा चुनाव में पंडित जवाहर लाल नेहरू और डॉ. राम मनोहर लोहिया के नाम के सहारे पीएम मोदी पर हमला बोला जाये।
यही सब वजह है कि उन्होंने बिहार की जगह उत्तर प्रदेश से चुनाव प्रचार की रणनीति बनाई है। नीतीश कुमार पहली रैली भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से करने जा रहे हैं। जानकारी मिल रही है कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह में नीतीश कुमार की बड़ी रैली वाराणसी में होगी। बाकायदा जेडीयू ने इस रैली की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। उत्तर प्रदेश जेडीयू के प्रदेश संयोजक सत्येंद्र कुमार के अनुसार अभी तक यह रैली सिर्फ जेडीयू की तरफ से प्रस्तावित है। मतलब इंडिया गठबंधन के नेता इसमें नहीं जुटेंगे। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में भी पैर पसार रहे हैं। यूपी में संगठन की मजबूती के लिए इस रैली का आयोजन किया जा रहा है।
जेडीयू की यूपी यूनिट की तरफ से लंबे समय से नीतीश कुमार से यूपी में समय देने की मांग की जा रही थी। 24 दिसंबर को नीतीश कुमार की रैली वाराणसी के जगतपुर इंटर कॉलेज मैदान में होगी। इसके बाद नीतीश कुमार अगले महीने 21 जनवरी को झारखंड के हजारीबाग के रामगढ़ में दूसरी रैली को संबोधित करेंगे।
दरअसल नीतीश कुमार के उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने की चर्चा है। नीतीश कुमार के जिन सीटों से चुनाव लड़ने की चर्चा है वे फूलपुर, बनारस, आंबेडकर नगर और प्रतापगढ़ सीट हैं। इन सभी सीटों में फूलपुर से नीतीश कुमार के चुनाव लड़ने की ज्यादा चर्चा है। दरअसल फूलपुर किसी समय देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के नाम से जानी जाती रही है। समाजवाद के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया भी फूलपुर से चुनाव लड़ चुके हैं। नीतीश कुमार फूलपुर से चुनाव लड़ाने की रणनीति जदयू ही नहीं बल्कि इंडिया गठबंधन की भी है।
दरअसल फूलपुर लोकसभा सीट ने सियासी सीढ़ी चढ़ाकर कइयों को ऊंचे पदों पर बैठाया तो दिग्गजों को हार का मुंह दिखाकर जमीन का एहसास भी दिलाया। पंडित नेहरू ने लोहिया को हराया पर दरियादिली दिखाकर राज्यसभा भी पहुंचाया। कडुवी सच्चाई यह भी है कि फूलपुर से बीजेपी ने अब तक केवल दो ही बार जीत दर्ज की है। नीतीश कुमार लड़े तो पहली बार किसी दूसरे राज्य का मुख्यमंत्री फूलपुर सीट पर भाग्य आजमाता दिखेगा।
दरअसल फूलपुर से समाजवाद के सबसे बड़े नेता राम मनोहर लोहिया हारे तो बसपा के संस्थापक कांशीराम को भी निराशा हाथ लगी। जवाहर लाल नेहरू, वीपी सिंह, विजय लक्ष्मी पंडित, जनेश्वर मिश्र, केशव प्रसाद मौर्य ऐसे नाम रहे जो इसी सीट का प्रतिनिधित्व कर बड़े पदों पर पहुंचे। इस सीट से बाहुबलियों का नाम भी जुड़ा। अतीक अहमद सांसद बने तो कपिल मुनि करवरिया भी लोकसभा पहुंचे।
फूलपुर में कई बार दिग्गजों का सामना हुआ। 1962 की लड़ाई काफी चर्चा में रही। जवाहर लाल नेहरू को टक्कर देने मैदान में राम मनोहर लोहिया उतर गए। सीट नेहरू के लिए सुरक्षित मानी जाती थी। प्रधानमंत्री को भला कौन नहीं जानता पर लोहिया का नाम भी कम नहीं था। चुनाव हुआ, परिणाम पर सबकी नजरें थीं। लोहिया, नेहरू से हार गए। पंडित नेहरू का मानना था कि लोहिया जैसे आलोचक का संसद में होना जरूरी है। अपनी इन्हीं बातों को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने लोहिया को राज्यसभा पहुंचा दिया। इस घटनाक्रम की चर्चा देश की राजनीति में रही।