Letter to Pm Modi : बीते मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र (Letter to Pm Modi) के जवाब में अब जवाबी पत्र आया हैं। अब इस पत्र पूर्व में लिखे प्रधानमंत्री के पत्र (Letter to Pm Modi) को साजिश करार देकर उनकी मंशा पर सवाल उठाया है। सेलेक्टिव बताते हुए दूसरी चिट्ठी पर लोगों ने बंगाल की हिंसा पर चुप्पी साध लेने की बात कही है।
देशभर में बढ़ रहे धार्मिक तनाव के मामलों के बीच कई बार ये मांग उठी की सत्ता पक्ष की शांति पर विपक्ष के नेताओं की मांग लगातार उठ रही थी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी प्रधानमंत्री से शांति व्यवस्था बनाए रखने की बात अपील की थी।
इसी क्रम में मंगलवार को 108 पूर्व सेना अधिकारियों और पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री को खत (Letter to Pm Modi) लिखकर देश में अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति बढ़ती नफरत और हिंसा के मामलों को रोकने के लिए 3 पन्नों का पत्र लिखा। को खत्म करने के लिए आह्वान किया।
Letter to Pm Modi : PM को लिखे पहले पत्र में क्या लिखा था ?
” पूर्व नौकरशाहों के तौर पर हम खुद को इस प्रकार से व्यक्त नहीं करते लेकिन जिस तरह से हमारे संविधान निर्माताओं के बनाए गए संवैधानिक इमारत को नष्ट किया जा रहा हमें बोलने और गुस्सा व्यक्त करने पर मजबूर करता हैं।
पिछले कुछ वर्षों और महीनों में कई राज्यों – असम, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से मुसलमानों के खिलाफ घृणा हिंसा के मामले बढ़ गए हैं, दिल्ली को छोड़कर (जहां केंद्र सरकार पुलिस को नियंत्रित करती है) – इन सभी राज्यों में BJP सत्ता में है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुले पत्र (Letter to Pm Modi) की प्रतिक्रिया में 197 सिविल सेवकों, न्यायाधीशों और दिग्गजों ने प्रधानमंत्री को एक खुला पत्र लिखा (Letter to Pm Modi) जिसमें पहले लिखे गए पत्र की मंशा पर सवाल उठाया गया।उनके हिसाब से एक Constitution Conduct Group (CCG) द्वारा “नफरत की
राजनीति को समाप्त करने” के लिए एक पत्र के खिलाफ लिखा है, जिसमें कहा गया है कि CCG ने किया था “ईमानदार प्रेरणा” नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे इस नए पत्र (Letter to Pm Modi) में 8 रिटायर्ड न्यायाधीश, 97 रिटायर्ड नौकरशाह और 92 रिटायर सशस्त्र बल अधिकारी शामिल हैं। इस नये पत्र में सामाजिक हित के नाम पर लोगों का ध्यान खींच कर प्रधानमंत्री की राजनीति का विरोध करना है, इस सभी प्रयासों का मकसद प्रधानमंत्री के खिलाफ जनमत तैयार करना हैं। समय – समय पर एक प्रधानमंत्री के खिलाफ अपना प्रोपेगेंडा चलती है यही नहीं इनके बयान और पश्चिम की मीडिया के बयानों में एक समानता नजर आती है।
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पश्चिम बंगाल में रामनवमी के दौरान हुई हिंसा को लेकर CCG की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहते है कि ये सेलेक्टिव तरीके से हिंसा को देखते है BJP के राज्यों में हुई हिंसा ही इन्हे दिखती है जबकि BJP की सरकार जिस- जिस राज्यों में BJP सरकार है उन- उन जगहों पर हिंसा के मामलों में कमी आई हैं। जनता ने इसे स्वीकार है जिसका परिणाम सभी ने चुनाव नतीजों में देख लिया हैं। ऐसी बात प्रधानमंत्री को लिखे पत्र (Letter to Pm Modi) में की गयी हैं।
यह पहली बार नहीं कि प्रधानमंत्री के को लेकर लोगों ने अपील की है इसके पहले राजस्थान के अलवर में अखलाक की शक के आधार पर भीड़ हत्या कर दी गई जिस पर इतिहासकारों द्वारा अवार्ड वापस कर दिए गए ताकि सरकार का ध्यान इस मामले की तरफ जाए और लोग इस तरह के भीड़ के न्याय से बचे। उस वक्त इन्हे अवार्ड वापसी गैंग कहा गया। एक स्वस्थ लोकतंत्र में प्रधानमंत्री से सामूहिक अपील (Letter to Pm Modi) करने वालों को गैंग बताना कितना सही ?
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जरूरी है कि चाहे वह पश्चिम बंगाल हो या गैर BJP शासित राज्य है वहां संस्थानों और प्रशासन की अपनी क्षमता इतनी होनी चाहिए कि वे इन सांप्रदायिक घटनाओं को घटने से रोके। राज्यों का नाम लेकर हम किसी एक पार्टी को जिम्मेदार ठहरा कर आरोप – प्रत्यारोप की राजनीति से इतर हो कर सामाजिक शांति बनाए रखना चाहिए। आप मध्य प्रदेश के गृहमंत्री और मुख्यमंत्री के भड़काऊ बयान का उदाहरण भी देख सकते है और दिल्ली के जहांगीराबाद पर दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल की चुप्पी का उदाहरण भी।