Jai Jawan Jai Kisan Convention : सेना में नियमित भर्ती शुरू करो
केंद्र सरकार द्वारा लाई गई विनाशकारी अग्निपथ योजना ने आज देश को एक बड़े संकट में धकेल दिया है। सेना भर्ती की इस नई योजना ने नियमित स्थायी भर्ती के स्थान पर चार साल की कॉन्ट्रैक्ट-आधारित भर्ती को लागू कर दिया है।
इस योजना के तहत कई बड़े विनाशकारी बदलाव किए गए हैं। सेना में जवानों की स्थायी सेवा में सीधी भर्ती बंद कर दी गई है। थल सेना और वायु सेना में जो भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी (जिसमें फाईनल टेस्ट या नियुक्ति पत्र जारी करने बाकी थे) उसे रद्द कर दिया गया है। अब सेना में सिर्फ 4 साल के अवधी के लिए जवानों की कॉन्ट्रैक्ट-आधारित भर्ती होगी। अग्निवीर नामक इन अस्थायी जवानों को न तो कोई रैंक दिया जाएगा, न ही 4 साल के बाद कोई ग्रेचुईटी या पेंशन। चार साल की सेवा समाप्त होने के बाद इनमें से एक चौथाई या उससे भी कम को सेना में स्थायी नौकरी दी जाएगी। वर्ष 2020 में हुई पिछली भर्ती में 87,000 नियुक्तियों की जगह इस योजना के पहले साल में सिर्फ 46,000 और पहले चार साल में कुल दो लाख अग्निवीरों की ही भर्ती की जाएगी। अब तक चले आ रहे रेजीमेंट आधारित क्षेत्र-समुदाय कोटा की जगह सभी भर्तियां “ऑल इंडिया ऑल क्लास” के आधार पर होगी।
इस योजना का पहले कोई “पायलट” प्रयोग कहीं नहीं किया गया। संसद के दोनों सदनों या रक्षा पर संसदीय स्थायी समिति के सामने इन प्रस्तावों पर कोई चर्चा नहीं हुई। इस योजना से प्रभावित होने वाले स्टेकहोल्डर (भर्ती के आकांक्षी युवा, सेवारत जवान और अफसर, सघन भर्ती के इलाकों के जनप्रतिनिधि और साधारण जनता) के साथ कभी कहीं कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया। इस योजना से सशस्त्र बल के आकार में भारी कमी आएगी। आने वाले 15 वर्षों में हमारी सैन्य बल 14 लाख की वर्तमान स्वीकृत संख्या से घटकर मात्र 7 लाख रह जाएगी। ऐसे समय में जब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बाहरी खतरे बढ़ रहे हैं, तब नियमित भर्ती को अनुबंधित अग्निवीरों द्वारा बदलने से सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमता और मनोबल पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। रेजिमेंट की सामाजिक बुनावट को रातों-रात बदलने से भी सेना के मनोबल पर बुरा असर पड़ेगा। सेना के कई भूतपूर्व जनरल, अफसर, परमवीर चक्र जैसे शौर्य पदक प्राप्त सैनिकों और सैन्य विशेषज्ञों ने इस योजना के गंभीर दुष्परिणाम के बारे में आगाह किया है। लेकिन सरकार की तरफ से इसपर कोई जवाब नहीं आया है।
चल रही भर्ती प्रक्रिया की समाप्ति उन उम्मीदवारों के साथ विश्वासघात है जिन्होंने वर्षों से इसके लिए मेहनत किया था और अपनी कड़ी मेहनत के अंतिम परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे थे। सेना में भर्ती की संख्या को घटाना, सेवाकाल को घटाकर 4 साल करना और पेंशन समाप्त करना उन सब युवाओं और परिवारों के साथ अन्याय है जिन्होंने फौज को देशसेवा के साथ कैरियर के रूप में देखा है। चार साल की सेवा के बाद तीन-चौथाई अग्नि वीरों को सड़क पर खड़ा कर देना युवाओं के साथ भारी अन्याय है। हकीकत यह है कि सरकार अब तक 15 से 18 साल सेवा करने वाले अधिकांश पूर्व सैनिकों के लिए भी पुनर्वास की संतोषजनक व्यवस्था नहीं कर पाई है। यह पहले से ही सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में कमी का सामना कर रहे बेरोजगार युवाओं को भी गहरा झटका है।
फौज की नौकरी किसान परिवारों के लिए मान-सम्मान के साथ आर्थिक खुशहाली से भी जुड़ी रही है। यह उन किसान परिवारों के लिए एक गंभीर झटका है, जिन्होंने अपने युवाओं को सशस्त्र बलों में भेजकर राष्ट्र के लिए योगदान दिया है। अग्निपथ योजना इस सरकार की एक व्यापक मुहिम का हिस्सा है जिसके तहत खेती पर कंपनी राज स्थापित करने की कोशिश की जा रही है, सभी स्थायी सरकारी नौकरियों को ठेके पर दिया जा रहा है या कॉन्ट्रैक्ट की नौकरी में बदला जा रहा है, देश की संपत्ति निजी कंपनियों को बेची जा रही हैं और पूरे देश का नीति निर्धारण चंद कॉर्पोरेट घरानों का हित साधने के लिए किया जा रहा है। ऐसी तमाम नीतियां जनता और जनप्रतिनिधियों से छिपाकर बनाई जा रही हैं और उनका विरोध करने वालों का बर्बर तरीके से दमन किया जा रहा है।
इस योजना के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा ने 7 अगस्त से 14 अगस्त तक देश भर में जय-जवान जय-किसान सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस अभियान को पूर्व सैनिकों का मोर्चा “यूनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमैन” ने भी अपना समर्थन और एकजुटता दिया है। इस जवान-विरोधी, किसान-विरोधी, युवा-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी योजना के खिलाफ आज देश के किसान, पूर्व सैनिक, छात्र, युवा, श्रमिक वर्ग और आम नागरिक एकजुट हैं। बिहार अग्निपथ योजना के खिलाफ आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है, और बिहार के युवा बेरोजगारी से सबसे अधिक प्रभावित हैं। इस संदर्भ में बिहार के किसान संगठनों, ट्रेड यूनियनों, छात्र और युवा संगठनों, और पूर्व सैनिकों ने इस विनाशकारी अग्निपथ योजना के खिलाफ 12 अगस्त को पटना के गांधी संग्रहालय में “जय जवान जय किसान सम्मेलन” आयोजित करने का निर्णय लिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा और यूनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमैन के आह्वान पर आयोजित इस जय जवान जय किसान कन्वेंशन के मंच से हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि:
1) अग्निपथ योजना को तत्काल वापस लिया जाए और इसके तहत जारी सभी अधिसूचनाओं को वापस लिया जाए। नियमित, स्थायी भर्ती की समय-परीक्षित पद्धति जारी रहे।
2) लंबित रिक्तियों (लगभग 1.25 लाख) और इस वर्ष की रिक्तियों (लगभग 60,000) को नियमित और स्थायी भर्ती की पूर्व-मौजूदा पद्धति के तहत तुरंत भरा जाए।
3) पहले से शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया को पिछले दो वर्षों के गैर-भर्ती के एवज में 2 वर्ष की आयु-छूट के साथ पूरा किया जाए।
4) अग्निपथ विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सभी मामले वापस लिए जाए और गिरफ्तार युवकों को तत्काल रिहा किया जाए।
5) रक्षा क्षेत्र में कोई निजीकरण नहीं हो; सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा और सशस्त्र बलों के सम्मान और मनोबल की रक्षा के लिए अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए।