गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी हर जोर आजमाइश कर निश्चित हो जाना चाहती है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में राज्य का दौरा किया और अलग-अलग शहरो में जनसभाएं कर कार्यकर्ताओं में जान फूंकने की कोशिश की। राज्य में अभी भाजपा की ही सरकार है और पार्टी किसी भी सूरत में इस प्रदेश को अपने हाथों से गंवाना नहीं चाहती। नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में वैसे तो भाजपा 27 सालों से सत्ता पर काबिज है, लेकिन इस बार पीएम मोदी ने अपनी जनसभा में इशारों ही इशारों में कार्यकर्ताओं को अलर्ट किया। पीएम मोदी ने सीधे तौर से कांग्रेस की बात की। हालांकि, यूं तो गुजरात में चुनाव से पहले कांग्रेस थोड़ी सुस्त नजर आ रही है लेकिन कहीं ना कही पीएम मोदी को कांग्रेस की इस सुस्ती में ताकत भी नजर आई है। लेकिन कांग्रेस की रणनीति को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं को आगाह कर रहे पीएम की बातों का क्या आम आदमी पार्टी से भी कुछ कनेक्शन है? इसकी चर्चा हम आगे करेंगे उससे पहले आपको बताते हैं कि पीएम ने कांग्रेस को लेकर किस तरह कार्यकर्ताओं को अलर्ट किया था।
चुपचाप बड़े ‘खेल’ की तैयारी में कांग्रेस
पीएम ने गुजरात के वल्लभ विद्यानगर में कांग्रेस का जिक्र करते हुए कहा था कि उन्होंने नई चाल चली है। अब उनकी इस चाल को समझने की जरूरत है आपने देखा होगा कि इस बार कांग्रेस कोई सभा नहीं करती, कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करती, और मोदी पर हमला भी नहीं करते। अपशब्द का इस्तेमाल नहीं करती क्योंकि उन्होंने नई चाल चली है, उनसे सतर्क रहने की कोशिश करनी है। पीएम मोदी ने कांग्रेस के इस ‘सिक्रेट प्लान’ के बारे में कहा कि वो चुपचाप गांव में जाकर वोट मांग रही है। कांग्रेस गांवों में प्रचार-प्रसार कर रही है। कांग्रेस को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि वो पार्टी के नेता और कार्यकर्ता गांवों और कस्बों में लोगों से सीधे संवाद कर रहे हैं और इसे वो अपनी वोट में तब्दील करने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस से सतर्क रहने की सलाह
कांग्रेस के इस गुपचुप प्लानिंग के प्रति कार्यकर्ताओं को आगाह करते हुए पीएम ने यह भी कहा था कि मैंने इसकी जांच-पड़ताल नहीं की है लेकिन पहली नजर में मुझे ऐसा लगता है कि वो चुपचाप प्रचार कर रहे हैं। इसलिए इस बात को लेकर भ्रमित नहीं हों कि वे मीडिया में नहीं दिख रहे, ना ही वे संवाददाता सम्मेलन कर रहे और ना ही भाषण दे रहे। सतर्क रहिए। कांग्रेस नई रणनीति के साथ घुसपैठ की फिराक में है। यह बोलती नहीं है लेकिन गांव-गांव जाकर सभाएं कर रही है।’
AAP से क्या है कनेक्शन?
गुजरात में चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी से ज्यादा कांग्रेस को तवज्जो दे रहे पीएम की इन बातों का राजनीतिक विश्लेषक अपनी-अपनी तरह से विश्लेषण कर रहे हैं। कई राजनीतिक विश्लेषक यह मान रहे हैं कि भाजपा यह नहीं दिखाना चाहती है कि आम आदमी पार्टी गुजरात में उसे टक्कर दे रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पूरी आम आदमी पार्टी इस वक्त गुजरात विधानसभा चुनाव पर ध्यान लगा रही है और खुद पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ना सिर्फ गुजरात का दौरा कर रहे हैं बल्कि अब तक उन्होंने पानी, बिजली और रोजगार को लेकर कई बड़े दावे भी गुजरातियों से कर दिये हैं। लेकिन भाजपा आम आदमी पार्टी की इन तैयारियों को ज्यादा तवज्जो नहीं देना चाहती।
अब यह समझना भी जरूरी है कि आखिर बीजेपी यह क्यों दिखाने की कोशिश कर रही है कि गुजरात में उसे सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस ही टक्कर दे रही है? राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर कांग्रेस कमजोर दिखी तो जो भाजपा विरोधी वोटर्स हैं, हो सकता है कि चुनाव के वक्त वो आप की तरफ शिफ्ट हो जाएं। इससे निश्चित तौर से आम आदमी पार्टी को फायदा होगा। यह भी मान लिया जाए कि आप और कांग्रेस दोनों इस चुनाव में हार भी जाते हैं तो भी भाजपा विरोधी वोटों के आप में आने से आप की सीटें जरूर बढ़ सकती हैं या उसके वोटिंग प्रतिशत भी बढ़ सकता है।
ऐसे में आम आदमी पार्टी अपनी बढ़ी हुई सीटों या वोट प्रतिशत को देश भर में भुनाने की कोशिश जरूर करेगी। आम आदमी पार्टी अपनी पार्टी का विस्तार लगातार कर रही है। ऐसे में अगर गुजरात में अगर झाड़ू चलता है तो पार्टी के लिए यह काफी फायदेमंद साबित। राष्ट्रीय तौर पर खुद को स्थापित करने की आम आदमी पार्टी की बेकरारी किसी से छिपी नहीं है अगर पार्टी नेताओं की मेहनत गुजरात में रंग लाती है तो इससे पार्टी को करार भी मिलेगा और इससे कही ना कही भाजपा की बेचैनी भी बढ़ जाएगी।