Good or bad of Hindus ? मोदी सरकार बनने के बाद जेलों में मुस्लिमों की संख्या घटी तो हिन्दूओं की बढ़ी

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Good or bad of Hindus ?  एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार मुस्लिमों की संख्या 2020 में 20.2 प्रतिशत से घटकर 2021 में 18.7 तो हिन्दूओं की 2020 में 72.8 फीसद सी तो 2021 में हो गई 73.6 फीसद

चरण सिंह राजपूत

मोदी सरकार बनने के बाद देश में हिन्दुत्व पर ज्यादा जोर दिया गया है। हिन्दुओं का एक बड़ा तबका देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात करने लगा है। ये लोग मोदी सरकार में ह्दिुओं के मान बढ़ने की बात करने लगे हैं। इन लोगों का कहना है कि मोदी सरकार में हिन्दूओं की पूछ हो रही है। ऐसे में इसे हिन्दुओं में बढ़ती कट्टरता कहें या फिर बढ़ती हनक या फिर सरकार की ओर दिया जा रहा हिन्दू-मुस्लिम राजनीति पर जोर कि मोदी सरकार के बाद आपराधिक प्रवृत्ति के मामले में हिन्दूओं की संख्या में मुस्लिमों की अपेक्षा बढ़ावा हुआ है। जेलों में मुस्लिमों की संख्या में कमी तो हिन्दुओं की संख्या में हुआ इजाफा हुआ है। इसका मतलब साफ है कि हिन्दू आपराधिक प्रवृत्ति में ज्यादा लिप्त रहे हंै।
यह बात मैं नहीं बता रहा है यह जानकारी राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के २०२१ के आंकड़ों से मिली है। इन आंकड़ों के अनुसार जेलों में अब मुस्लिम कम हैं और हिन्दू अधिक। मतलब साफ है कि मोदी सरकार में हिन्दूओं में बढ़ती कट्टरता से हिन्दूओं में अपराध बढ़ा है और मुस्लिमों पर सरकार के हावी होते डर ने मुस्लिमों में अपराध कम किय है। जबकि यह माना जाता रहा है कि चाहे हत्या के मामले हों, डकैती के मामले हों या फिर मारपीट के, इन मामलों में मुस्लिम ज्यादा सक्रिय रहते थे। तो यह माना जाए कि मोदी सरकार बनने के बाद हिन्दुओं में अपराध बढ़ रहे हैं । यानी कि हिन्दूओं के ज्यादा अपराध किये हैं। दरअसल एनसीआरबी कर रिपोर्ट में भारतीय जेलों में मुस्लिम संख्या की संख्या २०२१ में १८.७ फीसदी हो गई है। वहीं यह २०२० में २०.२ प्रतिशत थी।
ऐसे ही भारतीय जेलों में हिन्दू कैदियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है हिन्दू कैदियों की संख्या २०२० में ७२.८ फीसद थी, जबकि २०२१ में इस संख्या में इजाफा हुआ है। अब यह ७३.६ फीसदी हो गई है। वहीं इस रिपोर्ट के मुताबिक सिख कैदियों की संख्या भी बढ़ी है, लेकिन ईसाइयों की कम हुई है। मतलब मोदी सरकार बनाने के बाद हिन्दूओं और सिखों में कट्टरता बढ़ी है। इसे हिन्दूओं का विकास कहा जाएगा या फिर विनाश कि इनमें अपराध के मामले ज्यादा हुए हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश में सबसे पढ़े-लिखे कैदी यूपी की जेलों में बंद हैं। जेल में बंद ६ सौ ७१ बंदी पोस्ट ग्रेजुएट हैं तो २००२ बंदी ग्रेजुएट हैं वहीं ६०३५ कैदी इंटरमीडिएट और १०२४५ बंदियों ने हाईस्कूल पास किया है। इन आंकड़ों में यह भी बताया गया है कि ११६२ बंदियों को कम्प्यूटर में दक्ष करने के साथ ही ५२९२ प्रौढ़ बंदियों की शिक्षित किया गया गया है। यह भी कहा जा रहा है कि यूपी की जेलों में कैदियों को प्रबंधन कम्प्यूटर ट्रेनिंग से लेकर कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जा रहा है। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की जेलों में कैदियों को के साथ कम्प्यूटर प्रशिक्षण, उच्च शिक्षा और प्रौढ़ शिक्षा भी मिल रही है। ४ हजार १०१ बंदियों को साल २०२१ में जेल में प्रशिक्षित किया गया। निश्चित रूप से योगी सरकार के इस प्रयास की सराहना होनी चाहिए पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कम से कम जेल में कैदी पोस्ट ग्रेजुएट या ग्रेजुएट तो जेल में रहकर नहीं हुए हैं। मतलब साफ है कि उत्तर प्रदेश में पढ़े-लिखे हिन्दुओं ने भी अपराध किया है। मुस्लिमों में तो यह माना जाता है कि शिक्षा का अभाव माना जाता है।

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