20 जनवरी को पटना गांधी मैदान से खुलेगा सुब्रत राय के खिलाफ मोर्चा, राष्ट्रव्यापी आंदोलन  

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सुब्रत राय के खिलाफ मोर्चा
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ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा के बैनर तले सहारा इंडिया के खिलाफ देश भर में आंदोलन करेंगे निवेशक और एजेंट

चरण सिंह राजपूत 
नई दिल्ली/पटना। पटना का गांधी मैदान ऐसा क्रांतिकारी स्थल है जहां भाषणों ने हमेशा ही देश की दिशा और दशा दोनों को बदला है। गांधी मैदान जब  ‘पटना लॉन’ के नाम से जाना जाता था तब स्वतंत्रता संगाम के दौरान भी यहां पर दिए भाषणों ने देश को नया आयाम दिया। चाहे वह महात्मा गांधी की अगुआई में चंपारण का किसान आंदोलन हो या फिर जेपी के नेतृत्व में संपूर्ण क्रांति का आह्वान हो, पटना मैदान में आयोजित हर रैली ने भारतीय राजनीति को नई दिशा प्रदान की है। यहां तक कि मोहम्मद अली जिन्ना को भी इसी मैदान से प्रसिद्धि मिली थी। इसके अलावा महात्मा गांधी से लेकर, राजेंद्र प्रसाद, अनुराग नारायन सिन्हा, सरदार पटेल, मौलाना आजाद, जवाहर लाल नेहरू और श्री कृष्ण सिन्हा जैसे नेताओं के भाषणों ने यहां की रैली से भारत की दिशा और दशा को बदला है। इंदिरा गांधी का सफल विपक्षी आंदोलन भी इस ऐतिहासिक मैदान से शुरू किया गया था। आज की तारीख में यह गांधी मैदान सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय की ठगी के खिलाफ हुंकार का गवाह बनने जा है। 20 जनवरी को ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा सहारा इंडिया के निवेशकों और एजेंटों के साथ की गई ठगी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने जा रहा है। 20 जनवरी को पूरे देश में एक साथ हर जिला मुख्यालय पर सहारा द्वारा ठगी किये गए पीड़ित निवेशक और एजेंट महामहिम राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन देकर सहारा से भुगतान कराने की मांग करेंगे। इस कार्यक्रम के संयोजक अभय देव शुक्लाने कहा कि एक लाख से ज्यादा जमा करता और कार्यकर्ता बिहार के गांधी मैदान पर एकत्रित होकर भुगतान की मांग करेंगे। उनका कहना है कि यदि भुगतान नहीं तो होता है तो  मतदान नहीं होगा का नारा लगाते हुए पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा। नोटा का इस्तेमाल करने के लिए लोगों को प्रेरित किया जायेगा। अभय देव शुक्ला का कहना है कि  कोई भी सरकार सहारा पीड़ितों की आवाज की उठाना नहीं चाहती है। सरकारे पूंजीपतियों के हाथों से बिकी हुई हैं। ऐसी
परिस्थितियों में देश भर के जमा कर्ता लोगों का पैसा  डूबने के कगार पर है। इसके लिए महा जनांदोलन की जरूरत है। इसी के कड़ी में ऑल इंडिया जनांदोलन संघर्ष मोर्चा के बैनर ताले 20 जनवरी को पटना के गांधी मैदान में जमाकर्ताओं एव कार्यकर्ताओं को का बड़ा जमावड़ा होगा।
दरअसल सहारा पर ठगी का आरोप लगाकर देश भर में निवेशक और सहारा के एजेंट जगह-आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली जंतर मंतर में संसद सत्याग्रह चल रहा है। बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत कई राज्यों में सहारा चेयरमैन सुब्रत राय समेत सहारा के दूसरे निदेशकों के खिलाफ धरना-प्रदर्शन के साथ ही एफआईआर दर्ज की जा रही हैं।

दरअसल सहारा निदेशकों के खिलाफ लगभग 150 से अधिक मुकदमे  विभिन्न राज्यों में दर्ज हैं। छत्तीसगढ़ में तो गत दिसंबर महीने के तीसरे सप्ताह में विधानसभा में लगातार तीन दिन सहारा के भुगतान न दिए जाने के विषय पर बहस भी हुई है। विधानसभा अध्यक्ष ने यह मामला यह कहर दबा दिया कि इससे राज्य सरकार से क्या लेना देना है? इसी तरह दिसंबर माह के तीसरे सप्ताह में उत्तर प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सहारा पीड़ितों का पक्ष रखा तो यहां के विधानसभा अध्यक्ष ने भी कोई ठोस जवाब नहीं दिया।
दरअसल सहारा इंडिया कंपनी की सोसायटीओं के लाइसेंस दाता केंद्रीय रजिस्ट्रार कृषि मंत्रालय ने जांच में काफी कमियां पाई हैं और लाखों शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिसके आधार पर जुलाई 2020 से जनवरी 2021 तक नया डिपॉजिट लेने, पेपर पलटने पर रोक लगा दी गई थी। 24 अगस्त 2020 को काफी शिकायतों की जांच के बाद जिला-अशोकनगर जिलाधिकारी अभय वर्मा ने लाइसेंस दाता से सहारा का लाइसेंस निरस्त करने के लिए  संस्तुति की गई है। 28 दिसंबर 2020 को मध्य प्रदेश जिला- सागर के जिला अधिकारी दीपक सिंह द्वारा सहारा इंडिया कंपनी का लगभग 100 एकड़ जमीन कुर्क करके 1,000 से अधिक निवेशकों का भुगतान करा गया।
31 अगस्त 2012 सर्वोच्च न्यायालय के दिए आदेश का आज तक सहारा ने पूर्णता पालन नहीं किया है। सेबी से प्राप्त आरटीआई से यह पाया गया है कि एंबार्गो सिर्फ रियल स्टेट और सहारा हाउसिंग की स्कीमों पर था।
कंपनी अपील एट इंसॉल्वेंसी नंबर-94/2018 के ट्रिपल बेंच के अनुसार सहारा इंडिया कंपनी ने दिवालिया करने का प्रयास किया किंतु आदेश 14 अगस्त 2019 को खारिज कर दिया गया और डायरेक्टर्स को बिना अनुमति विदेश जाने पर रोक लगा दी गई है। 7 दिसंबर 2020 को सहारा इंडिया गोरखपुर जोन के अधिकारियों ने लिख कर दिया है कि सहारा इंडिया कंपनी में पैसा जमा करने का कोई प्रावधान नहीं है।
गत दिसंबर माह के तीसरे सप्ताह में लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया है कि सहारा इंडिया कंपनी को रियल स्टेट और हाउसिंग दो कंपनियों के 25731करोड़ 35 लाख रुपए जमा करने थे। जबकि सहारा इंडिया कंपनी द्वारा अब तक 15472 करोड 60लाख रुपए ही जमा किए गए हैं।  आंदोलनकारियों का आरोप है कि सरकार भी कहीं न कहीं से कंपनी को संरक्षण दे रही है। कितना भी शिकायत कर लो। कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इतना सब कुछ जानने के बाद भी यदि एजेंट्स धन जमा करा रहे हैं? और पेपर पलट रहे हैं? जमाकर्ता को गुमराह कर धोखे में रख रहे हैं? तो कहीं न कहीं संबंधित राज्य की सरकारें जिम्मेदार हैं।

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