लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में आखिरकार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो गया है| जिसकी दो दिन पहले अलग होनें की बाते हो रही थी वही यूपी में 80 सीटों को लेकर हुई डील के तहत कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी| सपा 63 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी| सपा अपने कोटे से कुछ छोटे दलों को भी सीटें दे सकती है| चलिए ये तो रही सपा और कांग्रेस में सुलहा की बात लेकिन 26 दलों को साथ लेकर चलने का वादा करने वाला ये गठबंधन कितना सफल है|
क्यों खोखला नजर आ रहा है I.N.D.I.A?
2023 जुलाई के महिनें में विपक्षियों कि एकता वाला एक गठबंधन बना| जिसका नाम बंगलूरू में हुई बैठक में विपक्षी दलों के महागठबंधन में रखा गया INDIA यानी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस, ये नाम रखने के पीछे कांग्रेस का यूपीए की छवि को दोबारा बनाने का तरीका माना गया, जिस पर भाजपा ने अक्सर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए| वही बात करें इस गठबंधन के मौजूदा हालात कि तो वो कुछ ही महिने में कमजोर नजर आया यानि जिस दावे और एनडीए सरकार को टक्कर देने के लिए बना जिसमें कई सारी बातें कि गई, दावे किए गए, एकता और भी बहुत कुछ लेकिन ये गठबंधन तो कुछ ही महिने में बिखरता नजर आ रहा है| जी हां इस गठबंधन में 26 विपक्षी दलों ने भाजपा नीत एनडीए को चुनौती देने के लिए शुरू किया लेकिन अभी ये गठबंधन खुद ही टूटता नजर आ रहा है|
क्यों बना इंडिया ब्लॉक?
जब मोदी लहर से देश 60 साल पुराने नेताओ के घोटाले उजागर होने लगे और वो जेल जाने लगे तो मोदी को रोकने या कहे टक्कर देनें के लिए ये गठबंधन बना अब ये बन तो गया पर ये 7 महीने में पैदा होने वाले बच्चे की तरह है वो सांस लेगा या नहीं इसका कोई पता नहीं है| क्योकि इस गठबंधन की हालिया स्तिथि देखे तो वो जो तस्वीर कुछ महिनें पहले नजर आयी थी इस गठबंधन की अब वो पूरी तरह से धुंधली नजर आ रही है क्योकि जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदिक आ रहा है वैसे-वैसे एकता बुनियाद पर बना ये गठबंधन पूरी तरह खोखला नजर आ रहा है|
नीतीश कुमार ने दिया झटका
बात इस गठबंधन की करें तो शुरुआत नीतीश कुमार से करते हैं इंडिया गठबंधन अपनी शुरुआत के छह महीने बाद ही बिखरता नज़र आ रहा है| इस दिशा में सबसे ताजा झटका क्षेत्रीय नेता नीतीश कुमार हैं जिन्होंने बिहार में राजद को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है| नीतीश कुमार ने अब से मात्र 18 महीने पहले अपनी पार्टी के साथ बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए से किनारा किया था| अब बीजेपी नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के साथ मिलकर बिहार की चालीस लोकसभा सीटों को जीतने की कोशिश करेगी| भारत की राजनीति में दलबदल कोई नयी बात नहीं है| लेकिन नीतीश कुमार की ओर से मिले इस झटके ने कई लोगों को हिलाकर रख दिया है| क्योंकि उन्हें एक वक़्त इंडिया गठबंधन के पीएम उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा था|
केजरीवाल और ममता ने भी किया किनारा
बात नीतीश पर ही खत्म नहीं होती गठबंधन से जुड़े दो अन्य दलों आम आदमी पार्टी और टीएमसी के नेता अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी ने भी ‘इंडिया गठबंधन’ से किनारा कर लिया और इस बात को दूसरे शब्दों में कहें तो पंजाब और पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे की संभावना नहीं है| इस गठबंधन में ये सब एक ऐसे वक़्त हो रहा है जब मोदी बेहद मजबूत स्थिति में नज़र आ रहे हैं.बीजेपी ने दिसंबर में ही छत्तीसगढ़, राजस्थान, और मध्य प्रदेश जैसे अहम हिंदी भाषी राज्यों के विधानसभा चुनावों में धमाकेदार अंदाज़ में जीत दर्ज की है| इसके बाद जनवरी में नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन करके आगामी चुनाव के लिए एक तरह से बिगुल फूंक दिया|
जयंद चौधरी ने भी गठबंधन को कहा अलविदा
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए राष्ट्रीय लोक दल का एनडीए गठबंधन में शामिल होना तय हो चुका है| 10 दिन पहले पार्टी के अध्यक्ष जयंद चौधरी ने खुद इसकी पुष्टि की थी| इससे पहले भी उन्होंने बीजेपी के साथ जाने के कई संकेत दिए थे| हालांकि, अब तक बीजेपी की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है|
अखिलेश यादव के लिए कितना काम आएगा PDA
अखिलेश यादव ने चुनाव में NDA को हराने के लिए PDA का फॉर्मूला दिया था| अब आप में से कुछ लोग सोच रहे होंगे PDA क्या है तो PDA यानी पिछड़ा वर्ग, दलित और अल्पसंख्यक. समाजवादी पार्टी ने लोकसभा उम्मीदवारों की लिस्ट में ‘PDA’ पर दांव लगाया है| सपा की उम्मीदवारों की लिस्ट में OBC, दलित और मुस्लिम प्रत्याशी शामिल है| वहीं, पीएम मोदी कई मौकों पर चार जातियों की बात कर चुके हैं| जातिगत राजनीति को लेकर पीएम मोदी ने कहा था कि उनके लिए 4 जातियां अहम हैं-नारी शक्ति, युवा शक्ति, किसान और गरीब परिवार| ऐसे में सवाल ये है कि यूपी में कांग्रेस का साथ पाने के बाद अखिलेश यादव का PDA पीएम मोदी की 4 जातियों के आगे कितना टिक पाएगा?
अभी देश भर में इंडिया गठबंधन की क्या स्तिथि चल रही है वो हमनें आपको इस लेख के माध्यम से समझानें की कोशिश की यानि कुल मिलाकर देखा जाए तो पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण के जिन राज्यों के दम पर विपक्षी गठबंधन सत्तारूढ़ NDA और बीजेपी की आर्म ट्विस्टिंग की तैयारी में था, वहां वो खुद ही गिरते नजर आ रहे हैं| उत्तर प्रदेश में भी अब राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल इंडिया गठबंधन से छिटकते हुए दिखाई दे रहा है| अखिलेश यादव तो पहले से ही सीटों को लेकर कांग्रेस से मोल-भाव का खेल, खेल ही रहे हैं| वहीं आम आदमी पार्टी से भी पंजाब और दिल्ली में गठबंधन को लेकर कांग्रेस के क्षेत्रीय नेता नाखुश हैं| यानी इंडिया गठबंधन के साथ फिलहाल तो सब कुछ सही सा नहीं दिख रहा है और ऐसा तब है जब चुनाव में बस चंद दिनों का ही वक्त बाकी है|
लेखन : शिवानी मांगवानी