चरण सिंह
भले ही अटपटा लगे पर यह जमीनी हकीकत है कि जो बात उप राज्यपाल वीके सक्सेना कह रहे हैं वही केजरीवाल भी चाहते हैं। मतलब केजरीवाल के जेल जाने की स्थिति में केजरीवाल भी दिल्ली में राष्ट्रपति शासन चाहते हैं। राष्ट्रपति शासन की आड़ में वह अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद के लिए तैयार कर पाएंगे। दिल्लीवासियों की सहानुभूति बटोर पाएंगे। यही वजह है कि वह जेल जाने स्थिति में जेल से ही सरकार चलाने की बात अपने नेताओं से कराते रहे हैं। ईडी की हिरासत में ही अपने मंत्रियों को निर्देश और आदेश दे रहे हैं।
देखने की बात यह है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कथित शराब घोटाले में ईडी की हिरासत में जाने के बाद दूसरी बार रिमांड पर लिये गये हैं। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में अरविंद केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए यह भी पूछा है कि उनको गिरफ्तार क्यों किया गया है ? उन्होंने बीजेपी पर आम आदमी पार्टी को तोड़ने का भी आरोप लगाया। अरविंद केजरीवाल के ईडी की हिरासत रहने के बावजूद आदेश और निर्देश देने को उपराज्यपाल ने गंभीरता से लिया है। आम आदमी पार्टी के नेताओं के जेल से ही सरकार चलाने की बात करने पर उप राज्यपाल ने कहा है कि जेल से सरकार नहीं चलने दी जाएगी।
उप राज्यपाल के बयान आने के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि आप नेता आतिशी मार्लेना ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि जब विकल्प हों तो राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा है कि यदि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है तो यह माना जाएगा कि आम आदमी पार्टी से प्रतिशोध लिया जा रहा है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि ऐसे में केजरीवाल क्या चाल चल रहे हैं ? आतिशी के अनुसार विकल्प तो हैं पर उन विकल्पों पर केजरीवाल सोच रहे हों तब न।
दरअसल अरविंद केजरीवाल को बहुत पहले अंदेशा हो गया था कि उनको जेल जाना पड़ सकता है। ऐसे में आप नेताओं ने कहना शुरू कर दिया गया था। मुख्यमंत्री केजरीवाल को जेल भेजा जा सकता है। ऐसे में गत दिनों उन्होंने विधायकों के साथ मीटिंग कर जेल जाने की स्थिति में अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही थी। तब विधायकों ने प्रधानमंत्री के वंशवाद पर हमला बोलने की बात करते हुए ऐसा न करने का सुझाव दिया था। तब अरविंद केजरीवाल ने सर्वे कराने की बात कही थी। ऐसे में यह तो कहा जा सकता है कि अरविंद केजरीवाल जैसा शातिर नेता खुद जेल जाकर किसी और को मुख्यमंत्री तो नहीं बनाएगा।
अरविंद केजरीवाल के जेल जाने की स्थिति में वह जेल से ही सरकार चलाएंगे।
केजरीवाल का जेल से सरकार चलाने का बड़ा मकसद यही होगा कि वह यह संदेश दे सकने में सफल हो जाएं कि उन्हें जनता की कितनी चिंता है। वह जेल जाने के बाद भी उनके लिए काम कर रहे हैं। यह सहानुभूति बटोरने का ही प्रयास था कि ईडी की हिरासत में रहने के बावजूद उन्होंने दिल्लीवासियों के लिए जल की व्यवस्था करने और सीवर की समस्या को दूर करने के लिए अपनी पार्टी नेतृत्व को पत्र लिखा। ऐसे में अरविंद केजरीवाल का प्रयास होगा कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगे। इससे दिल्लीवासियों में संदेश जाएगा कि अरविंद केजरीवाल को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है।
दरअसल दिल्ली में 2914 में पहले भी राष्ट्रपति शासन लग चुका है। जब कांग्रेस के समर्थन से केजरीवाल की सबसे पहले सरकार बनी थी तो 14 फरवरी 2014 को अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लगभग एक साल तक राष्ट्रपति शासन रहा। 2015 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो 70 में से 67 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई। अरविंद केजरीवाल 2014 की तरह फिर से लोगों की सहानुभूति बटोरना चाहते हैं।62 सीटों के साथ केजरीवाल पूर्ण बहुमत के साथ सरकार चला रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल का प्रयास है कि उनके जेल जाने की स्थिति में यदि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगता है तो उन्हें अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री पद के लिए तैयार करने में एक साल मिल जाएगा। उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल जब एक साल तक सक्रिय राजनीति में रहेंगी तो फिर से आप के बहुमत के बाद सुनीता केजरीवाल को वह मुख्यमंत्री बना पाएंगे। ऐसे में कोई कार्यकर्ता उनके इस निर्णय का विरोध भी नहीं कर पाएगा।
दरअसल केजरीवाल की राजनीतिक भावनात्मक मुद्दों को कैश कराने की रही है। वह फिर से दिल्ली में इमोशनल कार्ड खेलने जा रहे हैं। वैसे भी दिल्ली में लोकसभा चुनाव में भी केजरीवाल के पक्ष में माहौल बनता दिखाई दे रहा है। पहले केजरीवाल के समर्थक भी लोकसभा चुनाव में मोदी को वोट देने की बात करते थे पर केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद अब ये समर्थक लोकसभा चुनाव में भी केजरीवाल को वोट देने की बात कर रहे हैं।