न्यूनतम आवश्यकताओं से भी वंचित है बिहार में महिला पुलिसकर्मी

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राम नरेश
पटना । सरकार हर थाने में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती का फरमान जारी तो कर देती है, लेकिन क्रेच और शौचालय जैसी मूलभूत जरूरतों को पूरा करना भूल जाती है।पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो, गृह मंत्रालय के मुताबिक, बिहार में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या देश में सबसे अधिक है। आंकड़ों पर नजर डाले तो बिहार पुलिस के आंकड़ें कहते है कि बिहार में करीब 24 हजार से ज्यादा महिला पुलिसकर्मी हैं। यानी 23 फीसदी के करीब है।

रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में दो दशक में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या में करीब 27 फीसदी की वृद्धि हुई है। इससे पहले साल 2005 में बिहार में मात्र 893 महिला पुलिसकर्मी थीं। ऐसे में महिला पुलिसकर्मियों की तादात भले ही बढ़ी हो, लेकिन उन्हें मूलभूत सुविधाएं देना शायद राज्य सरकार भूल गई। बिहार में साल 2021 में पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों और बीएमपी की प्रत्येक इकाई में एक क्रेच (शिशु गृह) खोलने की बात कही थी। लेकिन नतीजा सिफर निकला । सिर्फ बीएमपी में पालना गृह (नन्हें सितारे) खोला गया।

पिछले साल मई 2023 में ओडिशा की संस्था सीएसएनआर (सेंटर फॉर द सस्टेनबल यूज ऑफ नेचुरल एंड सोशल रिसोर्स) में यह बात सामने आई कि, बिहार में महिला पुलिसकर्मी अपनी मूलभूत जरूरतों जैसे साफ सुधरे टॉयलेट के लिए तरस रही हैं। संस्था ने ओडिशा, झारखंड, बिहार और झारखंड की 328 महिला पुलिसकर्मियों से बात की, जिसमें बिहार की 115 महिला पुलिसकर्मी, जिसमें 113 ग्रुप सी और 2 ग्रुप सी से शामिल थी। यह सर्वे जून 2022 से अगस्त 2022 के बीच किया गया था।

‘ए स्टडी ऑन चैलेंजेज ऑफ वुमेन पुलिस पर्सनेल’ नाम से जारी रिपोर्ट में यह कहा गया कि महिला पुलिसकर्मियों से कार्यस्थल पर उनकी मूलभूत जरूरतों को लेकर सवाल किए गए। जैसे, काम के दौरान होने वाली परेशानी, घर और परिवार को लेकर सवाल, शौचालय, परिवहन की सुविधा, यौन उत्पीड़न, क्रेच और वीकली ऑफ को लेकर भी सवाल किए गए।

रिपोर्ट के मुताबिक, महिला पुलिसकर्मियों ने कहा कि थानों में साफ सुथरे शौचालय और क्रेच की भी कमी ( शिशुगृह-बच्चे को बाहर का दूध पिलाने की मजबूरी), रेस्ट रूम, काम के बाद घर जाना यानी परिवहन और आवास की सुविधा भी एक बड़ा सवाल है। यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की प्रकिया की जानकारी नहीं है। रिपोर्ट में पीरियड्स के दौरान समस्या का भी महिला पुलिसकर्मियों ने जिक्र किया। लेकिन बिहार की बात करें तो यहां पीरियड्स के दौरान स्पेशल छुट्टी का प्रावधान है।

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