लोकतंत्र की हत्या की अनुमति नहीं देंगे, चंडीगढ़ महापौर चुनाव पर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

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Controversy) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तल्ख टिप्पणी की है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में पीठासीन अधिकारी की हरकतों पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह लोकतंत्र का मजाक है। जो कुछ हुआ उससे हम स्तब्ध हैं। हम इस तरह लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को आज यानी सोमवार शाम 5 बजे तक सभी रिकॉर्ड सुरक्षित करने का आदेश दिया है। कोर्ट इस मामले की सुनवाई 12 फरवरी को करेगी।

चंडीगढ़ नागरिक निकाय की पहली बैठक को स्थागित करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से मतपत्र, वीडियोग्राफी और अन्य सामग्री सहित चुनाव प्रक्रिया का पूरा रिकॉर्ड मांगा है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी को होने वाली चंडीगढ़ नगर निकाय की पहली बैठक को भी अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का आदेश दिया है।

 

 

‘आरओ लोकतंत्र की हत्या कर रहा है’

 

रिटर्निंग अधिकारी के AAP-कांग्रेस गठबंधन के आठ वोट रद्द करने की प्रक्रिया की सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आलोचना की। CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आरओ (रिटर्निंग ऑफिसर) ने वोटों को विरूपित किया है और उस पर मुकदमा चलाने की जरूरत है। सीजेआई ने कहा कि यह लोकतंत्र का मजाक है। आरओ लोकतंत्र की हत्या कर रहा है। वह जो कर रहा है उससे हम आश्चर्यचकित हैं। क्या आरओ द्वारा इसी तरह से चुनाव कराया जाता है? हम इस तरह से लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे। वह आदमी मतपत्रों को विकृत करता है। जैसे ही उसे नीचे एक क्रॉस दिखाई देता है।

 

 

‘हम लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे’

 

सीजेआई ने कहा कि अपने आरओ को बताएं कि सुप्रीम कोर्ट उन पर नजर रख रहा है। हम इस तरह से लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे। इस देश में एकमात्र बड़ी स्थिर शक्ति लोकतंत्र की पवित्रता है। इससे पहले AAP ने मतदान को “असंवैधानिक और अवैध” और “देशद्रोह” (देशद्रोह) का कृत्य करार दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर चुनाव चुराने का आरोप लगाया था।

क्या है पूरा मामला

 

प्रीम कोर्ट सोमवार को आप पार्षद कुलदीप सिंह की ओर से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। क्योंकि हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ में नए मेयर चुनाव की मांग करने वाली पार्टी को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। दरअसल 20 पार्षद होने के बावजूद आप-कांग्रेस गठबंधन चुनाव हार गया था। पीठासीन प्राधिकारी अनिल मसीह, एक नामांकित पार्षद ने 36 में से आठ वोटों को अवैध घोषित कर दिया, जिनके पास वोटिंग का अधिकार नहीं था। बीजेपी प्रत्याशी मनोज सोनकर को 16 वोट मिले, जबकि 20 पार्षद होने के बावजूद आप-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी कुलदीप सिंह को 12 वोट मिले।

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