जब आरएसएस के मुख्यालय पर तिरंगा फहराने के प्रयास में दर्ज हो गया था मुकदमा 

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मुख्यालय पर तिरंगा फहराने के प्रयास
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द न्यूज 15 
नई दिल्ली/मुंबई। जो भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रवाद पर इतना जोर दे रही है। जो भाजपा तिरंगे के नाम पर किसान आंदोलन को बदनाम करती रही। उसी भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस ने लंबे समय तक नागपुर स्थित अपने मुख्यालय पर तिरंगा न फहराकर अपना ध्वज फहराया। उल्टे जब कुछ युवकों ने उनके कार्यालय पर तिरंगा फहराने का प्रयास किया तो उन मुकदमा दर्ज करा दिया गया। दरअसल अगस्त 2013 को नागपुर की एक निचली अदालत ने वर्ष 2001 के एक मामले में दोषी, तीन आरोपियों को बाईज्जत बरी कर दिया था, इन तीनों आरोपियों – बाबा मेंढे, रमेश कलम्बे और दिलीप चटवानी का जुर्म तथाकथित रूप से सिर्फ इतना था कि वे 26 जनवरी 2001 को नागपुर के रेशमीबाग स्थित RSS मुख्यालय में घुसकर, गणतंत्र दिवस पर तिरंगा झंडा फहराने का प्रयास कर रहे थे। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जिस भवन पर ये युवक तिरंगा फहराना चाहते थे वो कोई मदरसा तो था नहीं,वो तो RSS का राष्ट्रीय मुख्यालय था, जो देशभक्ति की सीख देता रहता है। तब फिर ऐसी क्या वजह थी कि संघ इस कोशिश पर इतना तिलमिला गया कि तीनों युवकों पर मुकदमा दर्ज करा दिया गया? और 12 साल तक वो लड़के, संघ के निशाने पर क्यों बने रहे!
यह इन बच्चों के आरएसएस मुख्यालय पर तिरंगा फहराने का प्रयास और नागपुर की अदालत में यह मुकदमा दर्ज होने का असर ही रहा कि  2002 में RSS ने अपने मुख्यालय पर तिरंगा झंडा फहराने का निश्चय किया। दरअसल RSS यह समझ गया था कि इस मुकदमे का हवाला देकर, उसकी देश के प्रति निष्ठा पर सवाल खड़े किये जायेंगे।

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