Udaipur Murder Case : देश में चलाया जाये कट्टरपंथियों की गिरफ़्तारी का अभियान ?

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Udaipur Murder Case : बच्चों में मन में जहर घोल रही है जाति धर्म की राजनीति 

Udaipur Murder Case : जिस तरह से और जिन हालातों में उदयपुर के दर्जी कन्हैया लाल का मर्डर हुआ है। उसको देखकर भी यदि देश में कट्टरवाद पर अंकुश नहीं लगा तो इस तरह की वारदात की पुनरावृत्ति होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस तरह के मामले में कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। धर्म को लेकर जिस तरह से Udaipur Murder Case हुआ है, उससे यह तो स्पष्ट हो गया है कि देश में कट्टरपंथियों के मन में कोई डर भय नहीं रहा है। इस मामले में यह समझने की जरूरत है कि कन्हैया लाल के हत्यारों को सजा देने मात्र से काम नहीं चलने वाला है। देश में जितने भी कट्टरपंथी हैं उन्हें चिह्नित करके उनकी गिरफ्तार के लिए एक अभियान छेड़ा जाए। फास्ट ट्रैक कोर्ट में इन सबका केस चले और जल्द से जल्द सजा दी जाए। 

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जरूरत  इस बात की है कि देश में ये जो शॉर्ट कट राजनीति का प्रचलन चला है। इस पर गंभीरता बरतने की जरूरत है। हाईलाइट होने के लिए युवा अपराध का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। अपराध करके वीडियो बनाना और उसे वायरल करना मतलब कानून से न डरना है। इस तरह के मामलों में लगाकर वृद्धि हुई है। Udaipur tailor Murder Case  को भी इसी तरह का समझा जाये।

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संविधान की रक्षा के लिए जो भी तंत्र बनाये गए हैं, उन्हें इस बात का मंथन करना चाहिए कि आखिर इन युवाओं में कानून का भय क्यों नहीं रह गया है ? Kanhaiya lal Murder Case होने के क्या कारण हैं ? क्या धर्म के प्रति कट्टरता देश और समाज के लिए घातक साबित नहीं हो रही है ? जिस राजनीतिक मुकाम हासिल करने के लिए नेताओं की जिंदगी गुजर जाती थी, उस मुकाम को हासिल करने के लिए कोई बड़ा अपराध कर लिया जाता है और सत्ता के लोभी नेता इन अपराधियों को संरक्षण देने लगते हैं।

2014 में प्रधानमंत्री बनने वाले नरेंद्र मोदी ने संसद को अपराध मुक्त करने का दावा किया है। क्या हुआ ? 34 फीसदी सांसद दागी हैं। क्या साफ सुथरी छवि वाले नेता संसद में पहुंच रहे हैं ? जिस हार्दिक पटेल पर तरह-तरह के मुकदमे दर्ज थे। क्या भाजपा में आते ही वह साफ छवि का हो गया ?

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देश में सत्ता के लिए दागी नेताओं का इस्तेमाल का जमकर हो रहा है। अपराधी टाइप के नेताओं को बढ़ावा मिल रहा है। यह भ्र्ष्टाचार को बढ़ावा दिया जाना है कि आज की  तारीख में ईमानदार होना वरदान की जगह अपराध माना जाने लगा है। जिन युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में जाकर देश और समाज की सेवा करनी होती है उन्हें जाति और धर्म का ऐसा नशा करा दिया है कि उन्हें अपना भविष्य भी नहीं दिखाई दे रहा है। Udaipur tailor Murder Case नफरत की पराकाष्ठा का परिणाम है।

स्कूलों, कार्यालयों, चौपालों, गांवों और शहरों सब जगह मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से जाति और धर्म का जहर लोगों के दिमाग में घोला जा रहा है। ऐसे में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों का प्रयास होना चाहिए कि kanhaiya lal murder जैसे केस न हों। 

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देश में आजादी की लड़ाई से ज्यादा जोर मुग़ल शासन की कार्यप्रणाली पर दिया जा रहा है। देश में ऐसा लग रहा है कि हिन्दू मुस्लिम के अलावा कोई मुद्दा नहीं है। चाहे टीवी चैनलों पर भड़काऊ डिबेट का मामला हो या फिर नेताओं के बिगड़े बोल। बस नफरत की भाषा बोली जा रहा है। नूपुर प्रकरण पर किसी भी स्तर से संदेश सही नहीं गया है। यदि दो युवक सरेआम धारधार हथियार से किसी की हत्या कर दें तो समझ लीजिये कि उनके अंदर किसी भी चीज का कोई भय नहीं है। यह माहौल बना कैसे ? कौन लोग हैं इसके जिम्मेदार ? ऐसे में Kanhaiya lal Murder Case जैसे मामले घटित होने की आशंका रहती है। इस तरह की घटनाओं के लिए संविधान की रक्षा एक लिए बनाये गए सभी तंत्र जिम्मेदार माने जाने चाहिए ।

सत्ता के लिए राजनीतिक दल अपराधियों को संरक्षण नहीं दे रहे हैं। रोज भडकाऊ भाषण देने वालों पर कितनी कार्रवाई हुई है ? क्या सत्ता के लिए अपराधियों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है ? नुपूर शर्मा प्रकरण को इतना बढ़ावा क्यों दिया गया ? इस मामले में केंद्र के साथ ही विभिन्न सरकारों और विपक्ष ने शांति व्यवस्था बनाने के प्रयास क्यों नहीं किये ? कम से कम kanhaiya lal murder के बाद तो नफरती जहर पर अंकुश लगना ही चाहिए। ऐसे में प्रश्न उठता है कि सरकार समाज में नफरत पैदा कर टीवी चैनलों पर अंकुश क्यों नहीं लगा रही है ? 

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Internet Blackout in Udaipur : कन्हैया लाल मर्डर के बाद राजस्थान के सभी जिलों में जिस तरह 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं। क्या इससे लोगों को दिक्क्तें नहीं पैदा हुई थी ? क्या सभी जिलों में एक माह तक धारा 144 लागू करने से लोगों को परेशानी नहीं होगी ? Internet Blackout in Udaipur से लोगों के बहुत से काम प्रभावित हो गए थे। लोगों को यह समझना होगा कि समाज का निर्माण नफरत से नहीं बल्कि भाईचारे से होता है। कल्पना कीजिये कि नफरती समाज में कितना अपराध बढ़ जायेगा।

भड़काऊ मुद्दों पर डिबेट चलाने वाले कितने टीवी चैनलों और उनके एंकरों पर अंकुश रखने के लिए क्या किया गया ? सत्ता पक्ष के साथ ही नहीं विपक्ष को भी यह समझना होगा कि ये जो सत्ता के लिए समाज में नफरत पैदा की जा रही है। इसका बच्चों पर बहुत गलत असर पड़ रहा है।  Udaipur Murder Case इतना तो समझ लेना चाहिए की जाति और धर्म की राजनीति बच्चों के मन में नफरत का जहर घोल रही है। जिसका फायदा आतंकी संगठनों के उठाने से इनकार नहीं किया जा सकता है। यदि इस पर अंकुश नहीं लगा तो हो सकता है कि देश में कोई बड़ा नरसंहार भी हो जाए ? 

-चरण सिंह राजपूत 

 

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