UBER पर बड़ा खुलासा! क्या होगें इसके मायने?

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The UBER Files –

क्या आप Uber या OLA जैसी एप का इस्तेमाल करते हैं, वहीएप जो हमें आसानी से किसी भी वक्त अच्छे दामों में कैब यानि कि किराए का वाहनप्रोवाइड करते हैं लेकिन अगर हम आपसे ये कहें कि इन कंपनियों में से एक Uberको लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ हैं, कंपनी को आपकीनिजता और सुरक्षा से कोई मतलब नहीं, यही नहीं कंपनी ने संस्थाओं के लूपहोल का गलतइस्तेमाल भी किया है, इन तो आप क्या कहेंगे? नमस्ते मेरा नाम हैं,

आज हम Uber कंपनी से जुड़े खुलासे की बात करेंगे साथ ही दिल्ली के लोगों से भी उनके पर्सनल अनुभव जानेंगेकि वे इन कैब का इस्तेमाल कर कितना सुरक्षित महसूस करते हैं।

Uber रेप मामला –

दिसम्बर 2014, दिल्ली के वसंत विहारसे एक महिला पार्टी के बाद अपने घर जाने के लिए उबर कैब बुक करती हैं, 27वर्षीय यह महिला अब अपने घर सराय रोहिल्ला को ओर जा रही थी चूकि महिला पार्टी में काफी थक गयी थी, इस कारण वे कैब केपिछली सीट पर ही सो जातीं हैं, कुछ समय बाद जब उनकी नींद खुलती हैं तब वे डाइवर कोअपने बगल में ही पिछली सीट पर पाती हैं,

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UBER रेप केस 2014

महिला कुछ समझ आता इससे पहले कैब का डाइवरउन्हे जान से मार देने की धमकी देता हैं और उनके साथ जबरदस्ती करता हैं, बाद मेंमहिला पुलिस से शिकायत दर्ज कराती हैं और जांच में सामने आता है कि कैब का ड्राइवरआदतन अपराधी था, महिला जिस टैक्सी में सफर कर रही थी वह टैक्सी अंतरराष्ट्रीयकंपनी उबर टैक्सी सर्विस की थी।

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ये पहला मामला था जब देशभर में Uber कैब सर्विस पर सवाल खड़े किए, Uber पर दिल्ली भर में लगभग सात महीने के लिए बैन लगा दिया गया, पीड़ितमहिला इस मामले को अमेरिका के कोर्ट तक लेकर पहुंची, Uberने आधिकारिक तौर पर तो इस घटना को दुर्भाग्यपूर्णबताया लेकिन internal inquiry में सामने आया कि अपने Systemपर सुधार करने की जगह Uber ने लोकल पुलिस पर सारा जिम्मा सौंप दिया, खुलासे में यह बात पता चली कि घटनाको लेकर Uber की तत्कालकम्यूनिकेशन हेड ने अपने सहकर्मियों से कहा कि “याद रखो कि सब कुछ आपके नियंत्रण में नहीं है और कई बार हमेंदिक्कतें होंगी क्योंकि, हैंतो हम अवैध ही.”

बैन लगने पर Uber ने मीडिया का प्रचार प्रसार कर बताया कि अब हमसुरक्षा की दृष्टि से सतर्क हो चुके हैं साथ ही हर कैब में जीपीएस सुविधा केअलावा, पैनिक बटन दिए जाने के बात की, बताया गया कि इस एक बटन का इस्तेमाल करते हीऑटोमेटिक ड्राइवर, यात्री और कार की लोकेशन पास के थाने पर पहुंच जाएगी लेकिनहाल ही में की गई जांच में पाया गया कि Uber की 50 में से 45 कैब में यह बटन काम ही नही कर रहा यानी आपकी सुरक्षाभगवान भरोसे चल रही हैं।

किसने किया खुलासा

 अमेरिकी अखबार द गार्डियन को मिले एक लाख 24 हजार से ज्यादादस्तावेजों का इंटरनेशनल कंसॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स ने विशलेषणकिया जिसमें भारत के अखबार भी शामिल थे, यह खोजी पत्रकारो की एक संस्था हैं, इनकीओर से किए गए विशलेषण के बाद दुनियाभर के 30 मीडिया संस्थानों ने Uber के कामकाज को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित कीहैं। इस रिपोर्ट को The UberFiles का नाम दिया गया हैं।

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The UBER Files के खुलासे के बाद संकट

इस खबर में कंपनी के इंटर्नल बातचीत के दस्तावेज, मेल इत्यादि लीकहुए है, जिससे कंपनी के दुनिया के बाजार में एंट्री पाने के लिए अपनाए गए गैरकानूनी तरीकों को उजागर किया गया, इसके अलावा कंपनी ने टैक्स हैवन देशों का भीइस्तेमाल टैक्स की चोरी के लिए किया। यह भी दावा किया जा रहा कि ऊबर ने जासूसीतकनीक के जरिए नियमों का उल्लंघन किया और पैरवी करने वाले नेटवर्क के जरिए कानूनोंकी खामियों का फायदा उठाया।

क्या हैं किल स्विच?

कंपनी ने अपने उपर पड़े कई कार्यवाही तथा छापों में किल स्विच काइस्तेमाल किया, बताया जा रहा कि यह उबर का इंटरनल डेवलप किया गया सॉफ्टवेयर है,जिसे आपातकाल की स्थिति में संस्थाओं से अपने गैर कानूनी दस्तावेज को बचाने के लिएबनाया गया है कंपनी ने कई मौको पर इसका इस्तेमाल किया, 2014 से लेकर 2016 तक में लगभग13 बार इसका इस्तेमाल किया गया जिसमें से एक मामला भारत में भी पाया गया।

साल 2013 में Uber कंपनी भारत आती है, ऊबर खुद को किसी भी टैक्स कैटेगरी में न पाते हुए टैक्स में छुट का हकदार बताती है, इसके बाद तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओरसे नियमों में किए गए बदलाव के चलते Uber को टैक्स देना पड़ा इसके अलावा RBI ने भी कंपनी के पेमेंट की प्रक्रिया पर शिकायत के बाद सवाल उठाए।

साल 2013 से लेकर अब तक भारत के लगभग 100 से अधिक शहरों में Uber अपनी सेवा प्रदान कर रहा है, Uber में वर्तमान में 6 लाख के करीब लोग काम करते हैं, इसमें कोई शक नहीं की Uber ने भारत में भारी मात्रा में लोगों कोरोजगार और सुविधा प्रदान की है, लेकिन किस कीमत पर, इसके साथ ही Uber की ओर से सभी आरोपों को स्वीकार करलिया गया है, जो कि अमूमन नही देखा जाता, कंपनी ने पूर्व में अपनी ओर से की गईगलतियों के लिए बहाने नहीं बनाने को कहा हैं, कंपनी ने यह भी कहा कि

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“जब करीब एक दशकपहले कंपनी ने भारत में कारोबार शुरू किया था तब देश में राइड शेयरिंग से संबंधितनियम नहीं थे क्योंकि परिवहन कानूनों ने ऐप-आधारित राइड शेयरिंग को विकल्प के रूपमें शामिल ही नहीं किया था, लेकिन समय के साथ प्रगतिशील बदलावों का समर्थन हम करेगें।

आपने UBER और जनता का का पक्ष जाना अब आप खुद से तय करें कि कोई निजीसंस्थान अपने फायदे को लेकर सरकारी संस्थाओं और नियमों का किस कदर इस्तेमाल कर सकता है?

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