Tiranga Abhiyaan : तो क्या August Revolution पर सपा की पदयात्रा में समाजवाद पर हावी रहेगा राष्ट्रवाद ?

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Tiranga Abhiyaan : देश बचाओ देश बनाओ यात्रा के तहत भाजपा के हर घर तिरंगा अभियान को अपना रहे हैं अखिलेश यादव

Tiranga Abhiyaan : आम आदमी पार्टी तो भाजपा की ही तरह भावनात्मक मुद्दों को लेकर राजनीति कर रही है अब सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी भाजपा के पदचिह्नों पर चलते हुए Tiranga Abhiyaan को अपनाते हुए राष्ट्रवाद को अपनाने की रणनीति बनाई है। एमएलसी चुनाव के बाद लोकसभा के उप चुनाव में आजमगढ़ और रामपुर सीट हार जाने के बाद अखिलेश यादव ने August Revolution पर पदयात्रा निकालने का ऐलान किया। इस पदयात्रा को भले ही उन्होंने देश बचाओ देश बनाओ यात्रा का नाम दिया है पर इस कार्यक्रम में वह भाजपा के हर घर तिरंगा अभियान पर विशेष फोकस करने जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी अब स्वतंत्रता दिवस पर अपने को देशभक्त के रूप में पेश करेगी।

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ऐस में प्रश्न उठता है कि यदि भाजपा ने पहले से ही Tiranga Abhiyaan का ऐलान कर दिया है तो दूसरी पार्टी इस अभियान के तहत तिरंगा फहराने का कार्यक्रम नहीं चला सकती है। दरअसल तिरंगा देशभक्ति का प्रतीक है और Independence day पर तिरंगे को अपने घरों पर फहराना गर्व की बात है पर यदि जमीनी मुद्दों को अनदेखा कर मात्र तिरंगा फहराने का दिखावा ही किया जाए तो यह भावनाएं भुगाने की श्रेणी में आ जाता है। इस मामले में सपा भी भाजपा से पीछे नहीं है। जहां भाजपा की अगुआई मे चल रही केंद्र सरकार बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर विफल साबित हुई है वहीं सपा भी उत्तर प्रदेश में विपक्ष की भूमिका में विफल साबित हो रही है। ऐसे में मात्र तिरंगे का सहारा लेकर मोर्चा नहीं जीता जा सकता है।

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दरअसल मोदी सरकार ने बहुत पहले देश में हर घर तिरंगा अभियान का ऐलान कर दिया था। वह बात दूसरी है कि जहां भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस पर आजादी के बाद भी राष्ट्रीय पर्वों पर लंबे समय तक अपने मुख्यालय नागरपुर में तिरंगे की जगह भगवा झंडा फहराने का आराप है ऐसे में देखना यह है कि अखिलेश यादव अपने कार्यकर्ताओं से उनके घरों पर तिरंगा फहराकर अपने Nationalist दिखा पाते हैं या फिर अगस्त क्रांति पर डॉ. राम मनोहर की विचारधारा को आगे बढ़ाते हैं ? दरअसल अगस्त क्रांति को डॉ. लोहिया Independence day से भी ज्यादा महत्व देते थे। उन्होंने मानना था कि भारत छोड़ो आंदोलन में इतन कुर्बानी देश ने दी जितनी पूरे स्वतंत्रता आंदोलन में भी नहीं दी गई थी। वैसे भी आजादी से पहले ही जागृत होने लगी कांग्रेसियों की सत्तालोलुपता के चलते वह इस आजादी को ज्यादा महत्व नहीं देते थे।

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दरअसल मोदी सरकार देशभर में हर तिरंगा अभियान जोर-शोर से चला रही है। बाकायदा प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने मन की बात में लोगों से अपनी प्रोफाइल में तिरंगा लगाने की अपील की है। उत्तर प्रदेश में भी हर घर तिरंगा अभियान की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। अखिलेश यादव तिरंगा अभियान में शामिल होकर भले ही अपने को Nationalist
दिखाना चाह रहे हों पर अचानक उनके इस अभियान में भाग लेने से भाजपा को उनका रास्ता अपनाने की बात कहने का मौका मिल जाएगा। अखिलेश यादव ने बाकायदा निर्देश जारी किये हैं कि अगस्त क्रांति पर 9 – 15 अगस्त तक अपने घरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा दें। पार्टी का कहना है कि भारत छोड़ो आंदोलन में समाजवादियों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जिस तरह से समाजवादियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोला था उसी तर्ज पर वह भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे या फिर भाजपा के हर घर तिरंगा अभियान में ही उलझकर रह जाएंगे ?

दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सप को मजबूत करने में जुटे अखिलेश यादव अब Nationalist के सवाल पर खुद को भाजपा से भी बड़ा पैरोकार के तौर पर पेश करना चाहते हैं। सपा ने अगस्त क्रांति के मौके पर शुरू करने जा रही पदयात्रा का नाम देश बचाओ देश बनाओ यात्रा रखा है। हालांकि देश बचाओ देश बनाओ यात्रा के हिसाब से तो सपा को बड़ा संघर्ष करना होगा। क्या अखिलेश यादव August Revolution पर पदयात्रा के नाम पर भाजपा के खिलाफ पूरी तरह से मोर्चा खोलने की रणनीति बना ली है। या फिर उनकी यह पदयात्रा भी दूसरे कार्यक्रमों की तरह नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह जाएगी।

रणनीति के हिसाब से तो अखिलेश यादव इस पद यात्रा में तिरंगा झंडा अभियान पर ज्यादा फोकस करना चाहते हैं। राष्ट्रवाद के मुद्दे पर सपा भाजपा का उसकी ही भाषा में जवाब देना चाहती है। वैसे भी अखिलेश यादव मथुरा में कृष्ण मंदिर का मुद्दा उठाने के साथ ही अपने हनुमान भक्त दर्शाने का प्रयास कर चुके हैं। वह बात दूसरी है कि अखिलेश यादव को इसका कोई खास राजनीतिक लाभ नहीं मिला है। हाल ही में अखिलेश यादव की शिवजी की पूजा व रुद्राभिषेक करते हुए एक फोटो जमकर वायरल हुई है। तो यह माना जाए Socialism की जगह वह साफ्ट हिन्दुत्व को अपनाते हुए राष्ट्रवाद पर मुखर होकर भाजपा का मुकाबला करना चाहते हैं।

दरअसल भाजपा सपा को राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व के मुद्दे पर घेरती रही है। भाजपा ने तो सपा पर अपने राज में आतंकी गतिविधियों व दंगों में शामिल होने वालों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने का भी आरोप था। यह वजह थी कि गत उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा को हिन्दू-मुस्लिम मुद्दे को सुलगाने का फायदा मिला था। दरअसल राजनीतिक पंडित कहने लगे हैं कि वह हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद का मुद्दा ही है जिसके सहारे भाजपा को मात दी जा सकती है। यही वजह है कि अखिलेश यादव ने अगस्त क्रांति पर देश बचाओ देश बनाओ यात्रा के नाम पर राष्ट्रवाद अपनाने की रणनीति बनाई है। अब देखना यह है कि वह इस यात्रा से डॉ. राम मनोहर लोहिया के Socialism को आगे बढ़ाने का संदेश देते हैं या फिर भाजपा के हर घर तिरंगा अभियान में ही उलझकर रह जाते हैं।

दरअसल भाजपा ने देश में मुस्लिमों को लेकर एक बड़ा माहौल बनाया है। भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा प्रकरण में यह बात खुलकर भी सामने आ चुकी है। लोग हिन्दुत्व के मुद्दे पर खुलकर बोले हैं। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के नुपूर शर्मा के बयान की वजह से देश का माहौल खराब होने की बात पर कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट को भी आड़े हाथों लिया है। यह जमीनी हकीकत है कि भाजपा की तमाम खामियों के बावजूद हिन्दुत्व के मु्ददे पर लोग उनसे जुड़े हैं। Tiranga Abhiyaan अभियान को सफल बनाने में बीजेपी कार्यकर्ताओं के अलावा उनके समर्थक भी पूरी तरह से जुटे हैं। तो क्या अखिलेश यादव ने भाजपा का उसी के ही तरीके से जवाब देने की रणनीति बनाई है।

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