बिहार में 14 साल बाद खत्म हुआ निर्दलीयों की जीत का सूखा 

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अभिजीत पाण्डेय

पटना। बिहार क पूर्णिया संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव चुनाव जीत गये । पप्पू यादव के इस जीत के साथ ही
बिहार मे चौदह साल से चला आ रहा निर्दलीयों का सूखा खत्म हो गया।
बिहार मे वर्ष 2009 के आम चुनाव मे प्रदेश के दो संसदीय सीटों से निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे। बिहार की बांका सीट से पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह संसद पहुंचे थे , सीवान सीट से ओमप्रकाश यादव को बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीत मिली थी । दिग्विजय सिंह के निधन से रिक्त हुई बांका सीट पर 2010 मे हुए उपचुनाव मे दिग्विजय की पत्नी पुतुल कुमारी की जीत हुई थी। तब से अब तक प्रदेश के किसी भी सीट से कोई निर्दलीय जीत नहीं सका है। 2014 और 2019 के आम चुनाव मे बिहार से निर्दलीयों की झोली खाली रही।
पप्पू यादव की यह बतौर निर्दलीय उम्मीदवार लोकसभा चुनाव में तीसरी और कुल मिलाकर चौथी चुनावी जीत है। पप्पू को निर्दल राजनीति सूट करती है।
पप्पू ने अपने चुनावी सफर का आगाज भी बतौर निर्दलीय चुनाव लड़कर ही किया था।
हालांकि, वह विधानसभा चुनाव था। पप्पू यादव 1990 में मधेपुरा की सिंहेश्वर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़े और जीते।
पप्पू यादव इससे पहले भी दो बार निर्दलीय सांसद रहे हैं और दोनों ही बार वह पूर्णिया सीट से ही संसद पहुंचे थे। पप्पू यादव ने पूर्णिया लोकसभा सीट से 1991और1999 का चुनाव बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीता था।
पप्पू यादव 1996 में पूर्णिया से समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीते थे। वह मधेपुरा सीट से भी दो बार सांसद रहे हैं और दोनों ही बार आरजेडी के टिकट पर।
पप्पू यादव कुल छह बार सांसद रहे जिसमें दो बार वह आरजेडी से जीतकर पहुंचे तो एक बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर। यह तीसरा मौका है जब पप्पू यादव बतौर निर्दलीय चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं। कुल मिलाकर देखें तो पप्पू यादव 2014 के चुनाव तक विधानसभा और लोकसभा के कुल चार चुनाव बतौर निर्दल उम्मीदवार जीत चुके हैं।

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