दुख अतीक के मारे जाने का नहीं है …

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दुख अतीक के मारे जाने का नहीं है
दुख तो इस बात का है कि
हमारी होनहार सरकार,
जनता को बेवकूफ बनाने का
सही तरीका भी न ढूंढ पाई …
वाह री सरकार

सुपुर्द-ए-खाक की कहानी तो खूब सुनाई

पर खुद का दामन न बचा पाई
झूठे अभिमान की ख़ातिर
न जाने कितने जवानों की बलि चढ़ाई …
अभाग्न ख़ाकी का दर्द कौन समझे
न राम मिले न माया पायी
सर-ए-राह अपने हाथों ही
अपनी अस्मिता लुटाई …
केएम भाई

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