इस मुस्लिम देश में बना पहला हिन्दू मंदिर, जाने क्या है खासियत ?

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22 जनवरी को राम नगर अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन किया गया. ये एक ऐतिहासिक दिन था जब लोगों का 500 साल का इंतजार खत्म हुआ. अब करीब एक महीने के अंदर ही दुनिया के सबसे बड़े मंदिर का उद्घाटन हुआ , खास बात ये है की अबू धाबी के इस हिंदू मंदिर का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया…. पीएम मोदी मंगलवार को अबू धाबी पहुंचे। जहा उनका ग्रैंड वेलकम किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और United Arab Emirates यानि uae के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान गले मिले।

चलिए आपको बताते है की इस मंदिर की खासियत क्या है इसे किसने बनाया ? क्यों बनाया गया? इस मंदिर को बनाने में कितने पैसे लगे ?और UAE के लोगों का इस मंदिर पर क्या reaction है ये तमाम सभी छीजे आज के इस विडिओ में हम आपको बताएगे ।

UAE का पहला हिन्दू मंदिर varanasi के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भी काफी बड़ा है. मंदिर को भव्य बनाने के लिए राजस्थान में पत्थरों पर नक्काशी की गई है जिसे राजस्थान और गुजरात के कारीगरों ने मिलकर 25,000 से अधिक पत्थर के टुकड़ों से तैयार किया है। मंदिर के लिए राजस्थान से अच्छी-खासी संख्या में गुलाबी बलुआ पत्थर अबू धाबी लाया गया । PTI की रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर बनाने में 700 करोड़ रुपयों का खर्च आया है. अबू धाबी मंदिर में 7 शिखर हैं, जिनपर अलग अलग देवताओं से जुड़ी कहानियों और प्रतीकों को दर्शाया गया है, लेकिन 7 अंक का एक और महत्व है. दरअसल, UAE 7 अमीरात यानी 7 रियासतों से मिलकर बना है. भारत और UAE की संस्कृतियों का संगम दिखाने के लिए मंदिर में 7 मीनारें बनाई गई हैं. UAE में मंदिर बनाने की पहली कोशिश साल 1997(सत्तानबे) में की गई थी, जब स्वामी नारायण संस्था के प्रमुख ने UAE का दौरा किया था. BAPS ने इस हिंदू मंदिर का निर्माण किया है. जब BAPS स्वामीनारायण संस्था के धर्म गुरु और प्रमुख स्वामी महाराज ने 1997 में संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा की. इस दौरान उन्होंने अबू धाबी में एक हिंदू मंदिर के निर्माण का विचार रखा. इस मंदिर के निर्माण का उद्देश्य “देशों, संस्कृतियों और धर्मों” के बीच एकता को बढ़ावा देना था. इस मंदिर से वे सद्भावना का संदेश देना चाहते थे. इस विचार के करीब 18 साल पर UAE सरकार ने इस मंदिर के लिए जमीन का आवंटन किया. अगस्त 2015 में मंदिर के लिए भूमि आवंटित करने के की घोषणा की गई. बता दें कि अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात के संबंधों के प्रगाढ़ बनाने के लिए सौगात के रूप में ये जमीन दी थी.इस मंदिर का डिजायन आरएसपी आर्किटेक्ट्स प्लानर्स एंड इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड और कैपिटल इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स द्वारा तैयार किया गया है. मंदिर का निर्माण शिल्प शास्त्र के प्राचीन हिंदू ग्रंथों के आधार पर किया गया है. ये मंदिर पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बनने जा रही.

इस प्रयास को अंजाम तक पहुंचाने में नरेंद्र मोदी की बहुत बड़ी भूमिका है. 16 अगस्त 2015 को पहली बार नरेंद्र मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री यूएई का दौरा किया था. पीएम मोदी से पहले 1981(इक्यासी) में इंदिरा गांधी ने यूएई का दौरा किया था..यानी 34(चौंतीस) सालों तक भारत का कोई पीएम यूएई नहीं गया. नरेंद्र मोदी की ये रिकॉर्ड सातवीं यूएई यात्रा है. 2021-22 के आंकड़े बताते हैं कि चीन और अमेरिका के बाद यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. 2022 में यूएई में रहने वाले भारतीयों ने 20 अरब डॉलर कमाकर भारत भेजे थे. यूएई 2019 में पीएम मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ ज़ायेद’ से सम्मानित कर चुका है, तो मोदी ने भी प्रोटोकॉल तोड़ कर 2017 के रिपब्लिड डे परेड में मोहम्मद बिन ज़ायद अल-नाह्यान को चीफ गेस्ट बनाया था.
UAE में स्थापित हिन्दू मंदिर 108 फीट का मंदिर बिना स्टील या लोहे से बना है. जब मंदिर की निर्माण संस्था ने UAE की अथॉरिटी के सामने प्लान रखा तो उसका यही सवाल था कि इतना ऊंचा स्ट्रक्चर बिना स्टील और लोहे के कैसे टिका रह सकता है. तब उन्हें जवाब दिया गया कि भारत के सभी प्राचीन मंदिर ऐसे ही बने हैं, और बीते कई सालों से टिके हुए हैं. UAE के मंदिर को कई सालों तक टिकाए रखने के लिए सैकड़ों सेंसर का इस्तेमाल किया गया है.

अगस्त 2015 में संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने अबू धाबी में मंदिर बनाने के लिए भूमि आवंटित करने का फैसला किया। 16 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसले की जानकारी दी और इसके लिए संयुक्त अरब अमीरात सरकार का आभार भी जताया। इस फैसले के दो साल बाद 2017 में अबू धाबी के राजकुमार ने शाही आदेश के जरिए भूमि उपहार में दी। 2018 में अबू धाबी के राजकुमार ने पीएम मोदी के साथ मिलकर मंदिर के लिए सहमति दे दी। अप्रैल 2019 में यूएई के पहले हिंदू मंदिर का शिलान्यास हुआ था। शिलान्यास के बाद 2020 में भारत में पत्थरों पर मूर्तियां उकेरने का काम जारी रहा।

इस मंदिर का निर्माण अबू धाबी में 27 एकड़ के बड़े एरिया में 888 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है. छत और नींव कई सारे खंभों और स्लैबों के साथ पूरी हो गई है. नई बात यह है कि पत्थरों के जोड़ पर 350 सेंसर लगाए जा रहे हैं. ये सेंसर दबाव, तापमान और अंडरग्राउंड हलचल की जानकारी देंगे. इन सेंसर का इस्तेमाल भूकंप और बदलते मौसम की जानकारी के लिए किया जाएगा.
मंदिर के हर पत्थर को एक यूनिक नंबर दिया गया है. इटली से इंपोर्टेड मार्बल का काम भी राजस्थान में ही किया जा रहा है. राजस्थान के लाल रंग के क्ले स्टोन पर भी कलाकृतियां बनाई जा रही हैं. इन सभी पिलर्स को अबू धाबी में लाया गया और आपस में जोड़ा गया. हर पिलर पर इतनी बारीकी से शास्त्रीय घटनाओं का चित्रण किया जा रहा है कि यदि एक व्यक्ति को दे दिया जाए तो एक पिलर को पूरा होने में एक साल लग जाएगा.मंदिर कॉम्प्लैक्स में आपको कई सुविधाएं मिलेंगी. इसमें एक विजिटर सेंटर, प्रेयर हॉल, एग्जीबिटर्स, लर्निंग एरिया, बच्चों के लिए खेलने की जगह, थीम गार्डन, फूड कोर्ट, बुक और गिफ्ट शॉप शामिल हैं.

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