कोर्ट का कहना था कि समाज अपने हिसाब से यह तय करने लग जाए कि कौन से कानूनों की पालना करनी है और कौन से की नहीं तो यह एक ब्रेक डाउन जैसी स्थिति बन जाएगी
कालेजियम सिस्टम की सिफारिशों को नजरंदाज करने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि ये कानून है और इस पर पूरी तरह से अमल करना जरूरी है। अटार्नी जनरल को कड़ी हिदायत देते हुए कहा कि आप सरकार को जाकर समझाइये। अगर संसद के बनाए कानूनों को कुछ लोग मानने से इनकार करते देते हैं तो फिर क्या स्थिति होगी। कोर्ट का कहना था कि समाज अपने हिसाब से तय करने लग जाए कि कौन से कानूनों का पालन करना है और कौन से का नहीं तो एक ब्रेक डाउन जैसी स्थिति बन जाएगी।
जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय ओका और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने केंद्र को साफ तौर पर हिदायत दी कि वो किसी भी सूरत में संवैधानिक बेंच के दिए फैसले पर नरमी नहीं बरतने जा रही है। उनका कहना था कि समाज के कुछ वर्गांे को कॉलेजियम सिस्टम से दिक्कत से कोर्ट को कोई फर्क नहीं पड़ता। अटार्नी जनरल और वेंकटरमानी ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वो मिनिस्ट्री से इस बारे में सलाह करेंगे।
अटार्नी जनरल ने कोर्ट से कहा कि दो बार खुद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने अपनी ही सिफारिशों में फेरबदल किया था, क्योंकि केंद्र ने उसके सुझाव नाम वापस कर दिये थे। इससे झलक मिली कि कॉलेजियम ने जो सिफारिश की थी वो अपने आप में कहीं न कहीं अधूरी थी। जस्टिम संजय किशन कौल की बेंच ने कड़ा रुख दिखाते हुए कहा कि एक दो बार के उदाहरण से केंद्र को लाइसेंस नहीं मिल जाता कि वो कालेजियम सिस्टम को नजरंदाज करना शुरू कर दे। बेंच का कहना था कि जब इस मसले पर कोर्ट कोई फैसला दे चुकी है तो किसी अगर मगर की जरूरत नहीं रह जाती।