द न्यूज 15
लखनऊ । अराजनैतिक संगठन होने के दावे के बावजूद संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विरोध का बिगुल फूंक दिया है। 3 केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को लेकर बने 40 किसान संगठनों के मंच ने गुरुवार को यूपी और उत्तराखंड की जनता के नाम खात लिखकर अपील की है कि ‘किसान वोरोधी बीजेपी’ के खिलाफ वोट डालकर इसे सजा दें। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने ट्विटर पर इस खत को साझा किया है, जिसमें उन्होंने भी हस्ताक्षर किया है।
‘किसान आंदोलन का एक सिपाही’ नाम से लिखे गए ओपन लेटर में कृषि कानूनों और लखीमपुर खीरी कांड के बारे में बताते हुए कहा गया है, ”हम किसानों के अपमान करने वाली बीजेपी को सबक सिखाने के लिए आज मुझे आपकी मदद चाहिए। बीजेपी सरकार सच-झूठ की भाषा नहीं समझती, अच्चे-बुरे का भेद नहीं समझती, संवैधानिक और असंवैधानिक का अंतर नहीं जानती है। बस यह पार्टी एक ही भाषा समझती है–वोट, सीट, सत्ता।”
आगे कहा गया है, ”कुछ ही दिनों में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी 20177 के विधानसभा चुनाव में किसानों से किए अपने वादे से पलट गई। वादा था कि सभी किसानों का पूरा लोन माफ होगा। लेकिन हुआ सिर्फ 44 लाख का और वो भी बस एक लाख रुपए तक का। वादा था कि गन्ने का पेमेंट 14 दिन के भीतर दिलाने का, बकाया पैसे का ब्याज दिलवाने का। वादा था सस्ती और पर्याप्त बिजली का, लेकिन देश की सबसे महंगी बिजली यूपी में कर दी। वादा था फसल की दाना-दाना खरीद का लेकिन धान की पैदावार का तिहाया और गेहूं की पैदावार का छटांस भी नहीं खरीदा।”
बीजेपी पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए सजा देने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है, ”इस किसान विरोधी बीजेपी सरकार के कान खोलने के लिए इसे चुनाव में सजा देने की जरूरत है। सजा कैसे देंगे, यह मुझे बताने की जरूरत नहीं है। आप खुद समझदार हैं। भाजपा का जो नेता आपसे वोट मांगने आए, उससे इन मुद्दों पर सवाल जरूर पूछें। एक किसान का दर्द किसान ही समझ सकता है मुझे विश्वास है कि आप वोट डालते वक्त मेरी इस चिट्ठी को याद रखेंगे।”