सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रधानमंत्री लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश की समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई चीफ की तरह ही मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए कोर्ट ने एक समिति बनाने को कहा है, जिसमें प्रधानमंत्री लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शामिल होंगे।
राष्ट्रपति को भेजी जाएगी सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश की समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की जाएगी। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर नेता प्रतिपक्ष मौजूद नहीं हैं तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को समिति में लिया जाएगा। कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली बनाए जाने की मांग की गई थी।
उच्चतम न्यायाधीश ने कहा कि अगर नेता प्रतिपक्ष मौजूद नहीं हैं तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को समिति में लिया जाएगा। कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलजियम जैसी प्रणाली बनाए जाने की मांग की गई थी। ज्ञात हो कि कॉलेजियम सिस्टम जजों की नियुक्ति के लिए होता है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जज होते हैं। कॉलेजियम जजों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार को नाम भेजता है। इस पर केंद्र मुहर लगाती है, जिसके बाद जजों की नियुक्ति होती है। याचिकाकर्ता अनूप बरांवल ने याचिका दायर कर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसे सिस्टम की मांग की थी।
कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव में निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए
कोर्ट ने आगे कहा कि लोकतंत्र में चुनाव में निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए नहीं तो इसके विनाशकारी परिणाम होंगे कोर्ट ने कहा कि चुनाव निश्चित रूप से निष्पक्ष होने चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि लोकतंत्र में चुनाव में निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए नहीं तो इसके विनाशकारी परणिाम होंगे। कोर्ट में कहा कि चुनाव निश्चित रूप से निष्पक्ष होने चाहिए। कोर्ट ने सर्वसम्मत फैसले चुनाव प्रक्रियाओं में निष्पक्षता सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए कहा कि लोकतंत्र लोगों की इच्छा से जुड़ा है। निर्वाचन आयुक्तों ओैर मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा किभारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से काम करने के लिए बाध्य है, उसे संवैधानिक ढांचे के भीतर कार्य करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र नाजुक है और कानून के शासन पर बयानबाजी इसके लिए नुकसानदेह हो सकती है।