फिर भी कांग्रेस में होगा मुख्यमंत्री पद के लिए झगड़ा!

0
17
Spread the love

चरण सिंह

हरियाणा में मतदान खत्म भी नहीं हुआ था कि रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर कर दी। उन्होंने कहा कि चुनाव न लड़ने का मतलब आकांशा नहीं होना होता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा पार्टी के अनुशासन से बड़ी नहीं होती है। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जो भी निर्णय लेंगे वह मुझे, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा को मंजूर होगा। दरअसल अभी तक तो मुख्यमंत्री पद के लिए कुमारी शैलजा ही माहौल बना रही थी। कांग्रेस हाईकमान ने पहले उनकी जिद छुड़ाने का यह रास्ता यह कहकर निकाला कि सांसद विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ सकता, उन्हें टिकट ही नहीं दिया गया। उसके बाद जब कुमारी शैलजा ने न केवल चुनाव प्रचार करना बंद कर दिया बल्कि अपने समर्थकों के साथ रैली भी कर दी।
कुमारी शैलजा के कोप भवन में जाने के बाद जब राहुल गांधी की रैली हरियाणा में हुई तब कुमारी शैलजा भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ मंच पर दिखाई दी। हालांकि कुमारी शैलजा मुख्यमंत्री पद के लिए अभी भी कह रही हैं कि मुख्यमंत्री का नाम तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही तय होगा। जहां तक भूपेंद्र सिंह हुड्डा से उनके राजनीतिक संबंधों की बात है तो एक निजी चैनल पर उन्होंने कहा कि उन्हें याद नहीं कि वह पिछली बार भूपेंद्र सिंह हुड्डा से कब मिली थी। मतलब कुमारी शैलजा की मुलाकात भूपेंद्र सिंह हुड्डा से बहुत पहले हुई थी।
दरअसल इन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनती दिखाई दे रही है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा आज की तारीख में जाटों के सर्वमान्य नेता माने जा रहे हैं और जाटों का हरियाणा सरकार के गठन में बड़ा योगदान होता है। पिछले विधानसभा चुनाव में तो रणदीप सिंह सुरजेवाला, कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच कुछ ज्यादा ही विवाद था। चुनाव के अंत में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया गया था। इन सबके बावजूद भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस को ३० सीटें दिलवाने में कामयाब हो गये थे। कांग्रेस हाईकमान यह मानकर चल रहा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में ये लोग सरकार बना ले जाएंगे। यही वजह रही कि कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला पर कांग्रेस ने अंकुश लगाया हुआ है और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को खेलने का पूरा मौका दिया हुआ है। कांग्रेस का प्लस प्वाइंट यह भी है कि कांग्रेस से नाराज होकर भाजपा में जाने वाले अशोक तंवर भी कांग्रेस में वापस आ गये हैं। हां यह जरूर कहा जा सकता है कि यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री पद के लिए खींचतान जरूर होगी। इस खींचतान का फायदा भाजपा उठाना चाहेगी। अब देखना होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here