Sri Lanka Crisis
Sri Lanka Crisis : श्रीलंका जो कि कई महीनो से आर्थिक तंगी और सरकार के मिस मैनेजमेंट से लड़ रहा था अब वहां से प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने भारी विरोध का सामना करने के बाद इस्तीफा देने की खबर आ रही हैं और नये रानिल विक्रमसिंघे प्रधानमंत्री के तौर पर को चुन लिया गया है अब सवाल ये है कि क्या सत्ता के परिवर्तम मात्र से श्रीलंका में सब कुछ सही हो जाएगा क्योंकि लोग अभी भी अपनी मांगो को लेकर अभी भी सड़को पर ही है।
अगर आप पिछले कुछ महीनों में भारत की महंगाई पर बात की है तो आपने भारत के गलियारों में मिलने वाले आर्थिक मामलों के एक्सपर्टों ने पाकिस्तान की जगह श्रीलंका का उदाहरण दिया होगा कि आप श्रीलंका (Economic Crisis Sri Lanka) में जा कर देखिए वहां कितनी भूखमरी, बेरोजगारी, सब्जियों का दाम तीन गुने दाम पर पहुंच गया है इस तरह के उदाहरण सुने होंगे जो कि सच भी है इस समय हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका एक साथ राजनीतिक, आर्थिक जैसी बड़ी समस्याओं (Sri Lanka Crisis) को एक साथ झेल रहा हैं। चलिए समझते है कि क्या- क्या हो रहा श्रीलंका में इस समय।
क्या है प्रधानमंत्री के इस्तीफे के मायने –
सबसे पहले समझते है कि प्रधानमंत्री के इस्तीफे मात्र से क्या श्रीलंका स्थिति सुधर जाएगी? तो श्रीलंका में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच सत्ता की शक्ति एक बराबर है जिस प्रकार भारत में राष्ट्रपति केवल नाम मात्र के शासक होते हैं और अमेरिका में प्रधानमंत्री जैसा कोई पद नही होता लेकिन श्रीलंका इन दोनो ही देशो से अलग इनके बीच का एक सिस्टम है। भले ही प्रधानमंत्री बदल दिए गए हो लेकिन सत्ता में वही लोग है जो कि इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं।
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श्रीलंका की सत्ता पर एक ही परिवार “राजपक्षे” की सत्ता वर्षो से चली आ रही है श्रीलंका के इतिहास में पहली बार ऐसा देखा जा रहा जब लोग सड़को पर उतरे है दुनिया का ध्यान पहली बार तभी श्रीलंका पर गया जब लोग इस तरीके से सरकार की विफलता पर सड़को पर उतरे गए है, जब लोग सब्जी तथा दुध जैसी आधारभूत सुविधाओं के लिए भी तीन गुने दाम चुकाने पड़ रहे हैं (Economic Crisis Sri Lanka)। लोगो का गुस्सा सरकार के प्रति इस प्रकरा बढ़ चुका है कि लोगों ने नेताओं के घर में भी आग लगाने की कोशिश की।
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कौन है रानिल विक्रमसिंघे जो बने है श्रीलंका के नये प्रधानमंत्री –
श्रीलंका के नये प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे पेशे से वकील है लेकिन 70 के दशक से वे राजनीति में आए। इसके पहले रानिल विक्रमसिंघे 4 बार प्रधानमंत्री रह चुके है। 1977 में रानिल पहली बार सांसद बने इसके साथ रानिल को राजपक्षे परिवार का करीबी माना जाता है।
चूकि श्रीलंका की वर्तमान स्थिति का पूरा जिम्मेदार राजपक्षे परिवार को माना जाता है इसलिए लोगो का विरोध भी राजपक्षे परिवार के खिलाफ ही है इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने कहा कि इस बार जो प्रधानमंत्री और कैबिनेट होगी उसमें राजपक्षे परिवार का कोई भी सदस्य नहीं होगा जबकि रानिल विक्रमसिंघे भी राजपक्षे परिवार से आते हैं। देखना होगा कि क्या नये प्रधानमंत्री के आने से श्रीलंका का खाद्य संकट (Sri Lanka Food Crisis) टल सकेगा।
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श्रीलंका में हालात सुधारने के क्रम में एक प्रधानमंत्री को हटाकर दूसरे प्रधानमंत्री को बिठाना किस हद तक सही रहेगा ये तो वक्त ही बताएगा, हालांकि एक्सपर्ट का कहना है कि सत्ता के बदलने से कुछ बड़े बदलाव देखने को नही मिलेंगे क्योकि राष्ट्रपति अभी भी गोटबाया राजपक्षे ही है जो कि राजपक्षे परिवार से ही आते है उम्मीद है श्रीलंका के आम नागरिकों को इस परिवर्तन से राहत मिलेगी (Sri Lanka Crisis) और जल्द ही उनके रोजमर्रा के सामान सस्ते मिलेंगे।