सहारा में अजब-गजब कारनामे हुए हैं। जब 2014 में सुब्रत राय को गिरफ्तार किया गया तो उन्होंने तिहाड़ जेल से अपने ही कर्मचारियों से जेल से छुड़ाने में मदद करने का एक पत्र लिखा। यह पत्र सहारा के प्रत्येक कर्मचारी, अधिकारी और एजेंट को भेजा गया था। बताया जाता है कि प्रत्येक कर्मचारी के सहयोग से सुब्रत राय के इस पत्र पर सहारा में लगभग १२०० करोड़ रुपये जमा हुए थे। उस समय सुब्रत राय को मात्र ५०० करोड़ रुपये सेबी को चुकाना था। कर्मचारियों से १२०० करोड़ रुपये जमा होने के बावजूद सुब्रत राय ने सेबी को ५०० करोड़ रुपये नहीं दिये। जब सहारा मीडिया में वेतन का संकट हुआ तो कर्मचारियों का एक प्रतिनिधिमंडल सुब्रत राय से तिहाड़ जेल में जाकर मिला। प्रतिनिधिमंडल ने जब सुब्रत राय से कर्मचारियों द्वारा जमा किये गये १२०० रुपये के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वे १२०० करोड़ रुपये उन्हें किसी और मद में जमा करने पड़ गये। ऐसे में इस बात में संदेह है कि सेेबी से मिलने वाले पैसे से सहारा बिहार के निवेशकों का सारा पैसा लौटा देगा। सहारा ऐसा ग्रुप है जिसने अपने कर्मचारियों से कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के नाम से १० साल तक पैसे काटे थे। सहारा में निवेशकों को भी ऐसे ही बेवकूफ बनाया गया है। जब जब किसी निवेशक का पैसा मिलने का समय पूरा हुआ तभी उसेे लालच देकर उसकी मयाद बढ़ा दी गई।
उन्होंने कोर्ट को बताया की सहारा इंडिया के दो स्कीम सहारा हाउसिंग और सहारा रियल स्टेट में जमा किए गए पैसों को भुगतान करने के लिए अभी तक सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश नहीं आया है।
कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में अगली सुनवाई तक आप जानकारी प्राप्त कर बताएं कि इन दो स्कीमों के बाद वाले स्कीमों का पैसा क्यों नहीं लौटाने का निर्देश सहारा के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को दिया जाय।