तो क्या सेबी से पैसा मिलने पर बिहार के निवेशकों का भुगतान कर देगा सहारा ?
TN15
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चरण सिंह राजपूत
सहारा से निवेशकों के भुगतान को लेकर पूरे देश में न केवल आंदोलन चल रहा है बल्कि सहारा निदेशकों के खिलाफ मामले भी दर्ज किये जा रहे हैं। इस बीच पटना हाई कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए बिहार के निवेशकों को राहत देने का प्रयास किया है। जिस तरह से पटना हाईकोर्ट सहारा और सेबी दोनों पर सख्त है। ऐसे में कहा जा सकता है कि कोर्ट सेबी पर जमा सहारा के पैसे उसे लौटाने का आदेश दे सकता है। ऐसे में क्या सहारा बिहार के निवेशकों को उनका पैसा लौटा देगा ? यदि सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय का रिकार्ड खंगाला जाए तो उनकी नीयत निवेशकों को बेवकूफ बनाने की रही है। ऐसे कितने मामले हुए हैं कि सहारा पर पैसा आया किसी और मद में और उसे लगा दिया गया किसी और मद में। वैसे भी सहारा ने तो गत दिनों यह भी बयान जारी किया था कि उसने निवेशकों का पाई-पाई चूका दिया है।
सहारा में अजब-गजब कारनामे हुए हैं। जब 2014 में सुब्रत राय को गिरफ्तार किया गया तो उन्होंने तिहाड़ जेल से अपने ही कर्मचारियों से जेल से छुड़ाने में मदद करने का एक पत्र लिखा। यह पत्र सहारा के प्रत्येक कर्मचारी, अधिकारी और एजेंट को भेजा गया था। बताया जाता है कि प्रत्येक कर्मचारी के सहयोग से सुब्रत राय के इस पत्र पर सहारा में लगभग १२०० करोड़ रुपये जमा हुए थे। उस समय सुब्रत राय को मात्र ५०० करोड़ रुपये सेबी को चुकाना था। कर्मचारियों से १२०० करोड़ रुपये जमा होने के बावजूद सुब्रत राय ने सेबी को ५०० करोड़ रुपये नहीं दिये। जब सहारा मीडिया में वेतन का संकट हुआ तो कर्मचारियों का एक प्रतिनिधिमंडल सुब्रत राय से तिहाड़ जेल में जाकर मिला। प्रतिनिधिमंडल ने जब सुब्रत राय से कर्मचारियों द्वारा जमा किये गये १२०० रुपये के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वे १२०० करोड़ रुपये उन्हें किसी और मद में जमा करने पड़ गये। ऐसे में इस बात में संदेह है कि सेेबी से मिलने वाले पैसे से सहारा बिहार के निवेशकों का सारा पैसा लौटा देगा। सहारा ऐसा ग्रुप है जिसने अपने कर्मचारियों से कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के नाम से १० साल तक पैसे काटे थे। सहारा में निवेशकों को भी ऐसे ही बेवकूफ बनाया गया है। जब जब किसी निवेशक का पैसा मिलने का समय पूरा हुआ तभी उसेे लालच देकर उसकी मयाद बढ़ा दी गई।
दरअसल सहारा से भुगतान को लेकर दायर की गईं याचिकाओं की जांच करते हुए कोर्ट ने जब सहारा इंडिया के अधिवक्ता से पूछा निवेशकों के भुगतान के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि अगर सेबी 1000 करोड़ रुपया भी उन्हें दे देती है, तो वह बिहार के निवेशकों का पूरा पैसा उससे लौटा देंगे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सेबी को कहा है कि दो कंपनियों के पैसे को छोड़कर बाकी पैसा सहारा को लौटा दे, लेकिन सेबी ऐसा नहीं कर रहा है।
उन्होंने कोर्ट को बताया की सहारा इंडिया के दो स्कीम सहारा हाउसिंग और सहारा रियल स्टेट में जमा किए गए पैसों को भुगतान करने के लिए अभी तक सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश नहीं आया है।
कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में अगली सुनवाई तक आप जानकारी प्राप्त कर बताएं कि इन दो स्कीमों के बाद वाले स्कीमों का पैसा क्यों नहीं लौटाने का निर्देश सहारा के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को दिया जाय।
पटना हाईकोर्ट ने सहारा इंडिया की विभिन्न स्कीमों में उपभोक्ताओं द्वारा जमा किये गये पैसे का भुगतान को लेकर दायर की गई हस्तक्षेप याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जब सेबी के अधिकारियों से भी पूछा कि जितनी भी हस्तक्षेप याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गई हैं, उन याचिकाओं में से कितनी याचिकाओं की छानबीन कर कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को भेजा गया है ? इस पर सेबी की ओर से बताया गया कि उन्होंने अभी तक करीब 430 हस्तक्षेप याचिकाओं की जांच की है। अन्य याचिकाओं की जांच भी बात सेबी ने स्वीकार की है। इस पर कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि आप जल्द से जल्द जांच कर संबंधित अधिकारी के पास इस मामले को भेजें ताकि लोगों उनका पैसा लौटने की कार्रवाई की जा सके। कोर्ट को इकोनामिक ऑफेंस यूनिट (ईओयू ) की ओर से बताया गया कि आम जनता का पैसा जमा कराने वाले निधि कंपनियों के खिलाफ 10 प्राथमिकी दर्ज कर जांच की गई हैं। इसमें जांच के बाद आरोप पत्र भी समर्पित कर दिया गया है। 5 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। आगे भी कार्रवाई की जा रही है। इस मामले पर अब 20 अप्रैल को फिर सुनवाई होनी है।