राम भक्त की धार हैं, राम जगत आधार।
राम नाम से ही सदा, होती जय जयकार।।
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जगह-जगह पर इस धरा, है दर्शनीय धाम।
बसे सभी में एक से, है अपने श्री राम।।
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राम सदा से सत्व है, राम समय का तत्व।
राम आदि है, अन्त हैं, राम सकल समत्व।।
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राम-राम सबसे रखो, यदि चाहो आराम
पड़ जायेगा कब पता, सौरभ किससे काम।।
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राम नाम से मैं करूँ, मित्रों तुम्हे प्रणाम।
जीवन खुशमय आपका, सदा करे श्रीराम।।
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राम-राम मुख बोल है, संकटमोचन नाम।
ध्यान धरे जो राम का, बनते बिगड़े काम।।
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रोम- रोम में है बसे, सौरभ मेरे राम।
भजती रहती है सदा,जिह्वा आठों याम।।
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उसका ये संसार है, और यहाँ है कौन।
राम करे सो ठीक है, सौरभ साधे मौन।।
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हर क्षण सुमिरे राम को, हों दर्शन अविराम।
राम नाम सुखमूल है, सकल लोक अभिराम।।
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डॉ. सत्यवान सौरभ