अभिजीत पांडे
पटना। बिहार के 40 लोकसभा सीट में एक खास वर्ग के वोटर ही खेल बनाते हैं और बिगाड़ते भी हैं। बिहार के ‘पचपनिया’ वर्ग पर सभी पार्टी की नजर है। 4 मई को दरभंगा में सभा को संबोधित कर पीएम मोदी की नजर भी पचफोरना के दबदबा वाला क्षेत्र मिथिलांचल और कोसी के लोकसभा क्षेत्र पर रही ।
बिहार की राजनीति में अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36 प्रतिशत है। 116 जातियों में बंटे इस इबीसी समूह को साइलेंट वॉटर कहा जाता है। इनका अनेक लोकसभा क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है।
पीएम मोदी का चुनावी जनसभा भले ही दरभंगा में रहा है, लेकिन उनकी नजर मिथिलांचल और कोसी के पचफोरना वोटरों पर रहा है। जिनका दरभंगा और उसके आसपास के 7 लोकसभा क्षेत्र में व्यापक प्रभाव है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दरभंगा, मधुबनी, झंझारपुर, उजियारपुर, सीतामढ़ी, सुपौल और मधेपुरा के पचफोरना वोटरों को साधने की कोशिश किया। बिहार के साथ लोकसभा क्षेत्र में अतिपिछड़ों की आबादी करीब 36 प्रतिशत है। इनमें कपरिया, कानू, नुनिया, मल्लाह, धानुक, खंगर, खटिक, हलवाई, कुम्हार, माली, कोरकू, केवर्त, खटवा, नई, खेलटा, गोड़ी, गंगई, गंगोता, गंधर्व, गुलगुलिया, चांय, चपोता, चन्द्रवंशी, टिकुलहार, तेली (हिंदू व मुस्लिम) और दांगी शामिल हैं।
मिथिलांचल और कोसी में अतिपिछड़ा वोटरों को बोलचाल की भाषा में पचपनिया या पचफोरना कहा जाता है। इसके पीछे का तर्क है कि सब्जी में मसाले के रूप में (5 विशेष प्रकार का मसाला जिसे पचफोरना कहते हैं) देने से सब्जी का स्वाद बढ़ जाता है। उसी तरह से मिथिलांचल और कोसी के इलाके में पचफोरना वोटर्स से जीत पक्की हो जाती है।
इन वोटरों के बारे में कहा जाता है कि इन जाति के वोटर खुलकर बयानबाजी नहीं करते हैं। बल्कि ये लोग पहले ही तय कर लेते हैं कि किसके पक्ष में मतदान करना है। अंत में खेल बिगाड़ने और बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं. कुल मिलाकर देखें तो सभी राजनीतिक पार्टी की इसपर नजर रहती है। माय की राजनीति करने वाले लालू प्रसाद यादव भी पचफोरना वोटर्स के सहारे चुनाव जीत चुके हैं।
मिथिलांचल व कोसी के इलाके में अतिपिछड़ा वोटरों की संख्या अच्छी खासी है। इस वोट बैंक पर नीतीश कुमार की अच्छी पकड़ है। बिहार के सात लोकसभा क्षेत्र दरभंगा, मधुबनी, झंझारपुर, सीतामढ़ी, उजियारपुर, सुपौल और मधेपुरा में यह निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इन सात लोकसभा क्षेत्र में मधुबनी दरभंगा और उजियारपुर सीट पर बीजेपी का कब्जा है। झंझारपुर सीतामढ़ी सुपौल और मधेपुरा सीट पर जदयू का कब्जा है।
2019 के लोकसभा चुनाव में इन सातों सीटों पर एनडीए का कब्जा था।2019 लोकसभा चुनाव में इन सात सीटों पर एनडीए ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। इन सभी सीटों पर एनडीए की प्रत्याशी में बेहतर मार्जिन से जीत हासिल की थी। एनडीए के इस जीत में इन अतिपिछड़ा वोटरों का अहम योगदान था।