अब महुआ की भी सांसदी गई 

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तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की कैश फॉर क्वेरी मामले में संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है। उनके खिलाफ एथिक्स कमेटी की सिफारिश मंजूर कर ली गई। महुआ मोइत्रा पर संसद में रिश्वत लेकर सवाल पूछने का आरोप लगने के बाद से बवाल मचा हुआ  गुरुवार को एथिक्स कमेटी ने इस पर सवाल-जवाब किए। इससे पहले आज लोकसभा की एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पेश होने पर संसद में काफी हंगामा हुआ, जिसके कारण सुबह दो बार कार्यवाही स्थगित भी करनी पड़ी और दो बजे के बाद सदन में चर्चा हुई… TMC मांग कर रही थी कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मोइत्रा पर आई रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए कम से कम 48 घंटे का समय दें। यह भी मांग की जा रही है कि महुआ मोइत्रा को रिपोर्ट पर सदन में बोलने की अनुमति दी जाए। मला पैसे लेकर सवाल पूछने का था और अब इसके लिए महुआ को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया है।
बीजेपी सांसद सोनकर की अध्यक्षता वाली एथिक्स कमेटी ने 9 नवंबर को मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने’ के आरोप में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट स्वीकार कर ली थी…. छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था… जिसमें कांग्रेस से निलंबित सांसद परणीत कौर भी शामिल थीं. हालांकि चार विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच’ करार दिया… विपक्षी सदस्यों का दावा था कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की जिस शिकायत पर कमेटी ने फैसला लिया, उसके समर्थन में ‘सबूत का एक टुकड़ा’ भी नहीं था…

इस मामले में सबसे अहम भूमिका निशिकांत दुबे की है. उन्होंने आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने पैसे लेकर संसद में सवाल पूछे. बाकायदे उन्होंने लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिखकर पूरी बात बताई. इस शिकायत को स्पीकर ने एथिक्स कमेटी के पास भेज दिया था… महुआ पर आरोप था कि उन्होंने बिजनसमैन दर्शन हीरानंदानी के कहने पर संसद में अडानी ग्रुप और पीएम मोदी पर हमला बोला और इसी पर सवाल किए. इसके बदले महुआ को गिफ्ट मिले थे. यह भी आरोप लगा कि महुआ ने संसद की अपनी आईडी का लॉगइन बिजनसमैन से शेयर किया था… बता दें कि महुआ राजनीति में आने से पहले इन्वेस्टमेंट बैंकर थीं।

क्या आप जानते हैं कि एथिक्स कमेटी क्या होती है ये कब बनी थी…. एथिक्स कमेटी के जरिए संसद के सदस्यों पर नैतिक व्यवहार रखी जाती है…. अगर किसी सदस्य पर अनैतिक या किसी तरह के मिसकंडक्ट का आरोप लगता है तो कमेटी उसे परखती है. यानी ये एक तरह से कैरेक्टर एसेसमेंट का काम करती है।

एथिक्स कमेटी को लोकसभा काफी देखभाल कर बनाई गई… एक स्टडी ग्रुप अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया गया, जहां एथिक्स यानी नैतिकता को लेकर संसद के तौर-तरीके देखे…. लौटकर उस ग्रुप ने लोकसभा के लिए भी कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन ये साल 2000 में हो सका… हालांकि कमेटी तब भी बाहर-बाहर से एक्टिव रही. साल 2015 में इसे संसद का परमानेंट हिस्सा माना गया।
फिलहाल कैश फॉर क्वेरी मामले में महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता चली जाने के बाद उनका पहला बयान सामने आया… उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं है… मैंने अडानी का मुद्दा उठाया था और आगे भी उठाती रहूंगी. किसी भी उपहार की नकदी का कोई सबूत नहीं है।

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