चरण सिंह
जब बिहार में एनडीए की सरकार है। जब एनडीए मुख्यमंत्री नीतीश के चेहरे पर चुनाव लड़ने जा रहा है। जब नीतीश कुमार बीस साल से मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बिहार की धरती पर यह क्यों कहा कि अब दुर्भाग्य के दिन बीतने वाले हैं ? तो क्या एनडीए की सरकार को मोहन भागवत क्या दुर्भाग्य की सरकार मानकर चल रहे हैं ? या फिर नीतीश कुमार की सरकार को।
दरअसल महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के बाद आरएसएस बिहार में भी बीजेपी की सरकार बनाने में लग चुका है। बीजेपी के साथ ही आरएसएस का प्रयास है कि इस बार बिहार में बीजेपी का मुख्यमंत्री बने। यही वजह है कि मोहन भागवत पांच दिवसीय बिहार दौरे पर हैं। मुजफ्फरपुर में वह 9 दिसम्बर तक रहेंगे। सुपौल में विद्या भारती द्वारा संचालित विद्या सरस्वती मंदिर के लोकार्पण समारोह में मोहन भागवत ने कह दिया कि दुर्भाग्य के दिन बीतने वाले हैं। परिवर्तन करने के लिए प्रयास करना पड़ता है। तो क्या बिहार में मोहन भागवत विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं ? नहीं न।
दरअसल आरएसएस प्रमुख नीतीश सरकार को ही दुर्भाग्य के दिन मान कर चल रहे हैं। वैसे भी बीजेपी द्वारा बिहार चुनाव पर जारी करने वाले पोस्टरों में नीतीश कुमार का फोटो नहीं है। गृह मंत्री अमित शाह के बाद अब बिहार के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने भी कह दिया है कि एनडीए की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री का निर्णय बीजेपी का संसदीय बोर्ड तय करेगा। वैसे भी महाराष्ट्र से सपा विधायक अबू आजमी के औरंगजेब को अच्छा शासक बताने पर जदयू एमएलसी खालिद अनवर ने अबू आजमी का बयान का समर्थन किया और जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने बोलने की अभिव्यक्ति बताते हुए खालिद अनवर का समर्थन किया। उधर बीजेपी के विधायक हरिभूषण बलोच ने खालिद अनवर की सदस्यता समाप्त करने की मांग कर दी। मतलब जदयू और बीजेपी के बीच विवाद बढ़ गया है। ऐसा माना जा रहा है कि टिकट बंटवारे में जदयू और बीजेपी की बात बिगड़ सकती है।
दरअसल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली के बाद अब बीजेपी का टारगेट बिहार है। मतलब बीजेपी अब बिहार में अपने दम पर सरकार बनाने में जुट गई है। जैसे आरएसएस में महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में असंभव काम को संभव कर दिखाया था। ऐसे में बिहार में भी आरएसएस पूरी तरह से जुट गया है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि ऐसे में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार क्या करेंगे ? लालू प्रसाद के उस बयान का क्या होगा जिसमें उन्होंने कहा था कि हमारे होते हुए बीजेपी बिहार में सरकार नहीं बना पाएगी।
दरअसल अब नीतीश कुमार का महागठबंधन में शामिल होना मज़बूरी गया है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि मौका मिलते ही नीतीश कुमार पलटी मार देंगे। वैसे भी चुनावी रणनीतिकार प्रशांत कुमार ने भी कह दिया है कि चुनाव के बाद नीतीश कुमार पलटी मार देंगे। ऐसे में प्रश्न उठता है कि नीतीश कुमार चुनाव के बाद पलटी मारेंगे या फिर पहले ? बीजेपी का प्रयास है कि नीतीश के चेहरे पर वोट तो ले लिए जाएं पर उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाना है। नीतीश यदि चुनाव के बाद पलटी मारते हैं तो बीजेपी उनके विधायकों को तोड़ लेगी। क्योंकि इसके लिए उन्होंने ललन सिंह और संजय झा इसके लिए तैयार कर रखा है। हां नीतीश ने चुनाव के पहले पलटी मार दी तो वह खेल कर देंगे। क्योंकि महागठबंधन में वह टिकट उन लोगों को देंगे जो उनके विश्वसनीय होंगे। एनडीए में उन पर ललन सिंह और संजय झा के समर्थकों को भी टिकट का दबाव होगा। महागठबंधन में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार मिलकर रणनीति बनाएंगे और एनडीए में रणनीति में ललन सिंह और संजय झा भी शामिल होंगे।