मोदी को उठाना पड़ सकता है आरएसएस की नाराजगी का खामियाजा

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चरण सिंह
बीजेपी के मातृ संगठन आरएसएस की जरूरत अब बीजेपी को नहीं है। ऐसा कहना बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कहना है। जो खबरें आ रही हैं उनके अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का व्यक्तिवाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को भा नहीं रहा है। प्रधानमंत्री जो भाजपा की जगह मोदी बोलते हैं उससे आरएसएस में नाराजगी है। आरएसएस की नसीहत को न मानने और खास तवज्जो न देने की वजह से आरएसएस इन चुनाव में बीजेपी का साथ नहीं दे रहा है। खबरें तो यहां तक हैं कि ११ मई को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच एक मीटिंग हुई, जिसमें नड्डा ने मोहन भागवत के सामने आरएसएस कार्यकर्ताओं के चुनाव में सक्रिय न होने के प्रति नाराजगी जताई। जानकारी यह भी है कि चुनाव के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस के दो नेताओं को डिनर पर बुलाया था। बताया जा रहा है कि मोदी ने इन दोनों नेताओं सेे बात करने से पहले ही बोल दिया कि अपने मोहन भागवत को समझाओ कुछ भी बोल देते हैं। प्रधानमंत्री की इस भाषा से नाराज दोनों नेता उठकर चले आये। उन्होंने डिनर भी नहीं किया।
जानकारी मिल रही है कि मोहन भागवत नहीं चाहते कि मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनें। बीजेपी नेतृत्व भी यह चुनाव बिना आरएसएस के जीतना चाहता है। प्रधानमंत्री का आत्मविश्वास का न डिगना भी इस बात का कारण बताया जा रहा है। दरअसल प्रधानमंत्री भी जानते हैं कि अब जनता उनके पैतरे समझ रही है। २०१४ के चुनाव में उन्होंने जितने भी वादे किये वे सब गौण हैं। प्रधानमंत्री कह रहे थे कि वह विदेश से इतना काला धन ले आएंगे कि हर व्यक्ति के खाते में १५ लाख रुपये आ जाएंगे। किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रहे थे। संसद को अपराध मुक्त करने की बात कर रहे थे। वह बात दूसरी है कि ३४ फीसद दागी सांसद हैं। बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ बहुमत में है तो निश्चित रूप से अधिकतर सांसद बीजेपी के हैं। योगी आदित्यनाथ को हटाने की चर्चा पूरे उत्तर प्रदेश में है। योगी आदित्यनाथ को राजपूत ही नहीं बल्कि दूसरे वर्ग के लोग भी पूछते हैं। ऐसे में राजपूतों ने बड़़े स्तर पर बीजेपी से नाराज होकर इंडिया गठबंधन को वोट दे दिया है। किसानों का आंदोलन केंद्र सरकार के खिलाफ चलता ही रहता है। किसान संगठनों का आरोप है कि मोदी सरकार ने उनसे किया वादा पूरा नहीं किया।
देखने की बात यह है कि भले ही इंडिया गठबंधन शुरुआत दौर में अलग थलग रहा पर चौथे चरण के बाद इंडिया गठबंधन एकजुट होकर लड़ रहा है। प. बंगाल में कांग्रेस को एक भी सीट न देने वाली टीएमसी ने सरकार बनने की स्थिति में बाहर से समर्थन देने की बात कही है। अब इंडिया गठबंधन के सभी नेता कांग्रेस के घोषणा पत्र का बखान अपनी चुनावी सभाओं में कर रहे हैं। प्रधानमंत्री का मुस्लिमों को दिये गये आरक्षण का मुद्दा उठाकर मोदी ने बीजेपी से मुस्लिम वोट भी काट दिये। हालांकि हिन्दुओं पर मोदी के भाषण का कोई असर नहीं हो रहा है। हिन्दुओं का बड़ा तबका मोदी के हिन्दू-मुस्लिम की ही बात करने को उनका बहुत हलकापन मान रहे हैं। यह जरूर कहा जा सकता है कि यह चुनाव में पीएम मोदी और जनता के बीच है। विपक्ष के नेताओं को कोई खास तवज्जो नहीं मिल रही है।

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