महंत प्रेमदास नहीं रहे, शोभायात्रा बाद दी गयी समाधि

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राजगीर। शहर के निचली बाजार स्थित कबीरपंथ आश्रम के महंत प्रेमदास साहेब का अचानक निधन हो गया है। वे 90 वर्ष के थे। महंत प्रेमदास इस आश्रम के तीसरे महंत थे। बीती रात खाना खाकर सोने के बाद वह नहीं जाग सके। आश्रम के लोगों को विश्वास है कि उनका निधन हृदय गति रूकने से हुई है। गुरुवार की शाम उनके पार्थिव शरीर के साथ शहर में शव शोभा यात्रा निकाली गई। इस शव यात्रा में कबीरपंथी और सनातन परंपरा के सैकड़ों लोग शामिल हुए। नगर भ्रमण के बाद महंत प्रेमदास साहेब की पार्थिव शरीर कबीरपंथी आश्रम वापस पहुंची।

आश्रम के ही एक कमरे में उन्हें कबीर पंथ परंपरा से समाधि दी गई। महंत प्रेमदास इस आश्रम के तीसरे महंत थे। वह बाल ब्रह्मचारी थे। बचपन से ही वे इस आश्रम की और पंथ की सेवा कर रहे थे। इनके पहले दूसरे महंत रामरूप दास साहेब और पहले महंत मोती दास साहेब यहां के महंत रह चुके हैं। यह कबीरपंथी आश्रम काशी के कबीर चौरा आचार्य गद्दी से जुड़ा है।

शोभा यात्रा और समाधि के दौरान फतुहा कबीर मठ के महंत परमानंद दास साहेब, नवीन दास साहेब, अक्षय दास साहेब, धर्म देवदास साहेब, शिव सागर दास साहेब, रामानंद दास साहेब, चेतन दास साहेब, बनारस चौरा के सुनील दास साहेब, परमानंद दास साहेब, यदुनंदन दास साहेब, टेका बिगहा, ब्रह्मदेव दास साहेब, सेवक उमराव यादव, देवदास, चेतन दास, रामजी दास, पुरुषोत्तम दास, गोपाल शरण एवं अन्य प्रमुख लोग उपस्थित थे।

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