तेजस्वी को सियासी संजीवनी देने में जुटे नीतीश के करीबी नेता!

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 बिहार में ‘एम’ फैक्टर साधने में जुटे लालू यादव

दीपक कुमार तिवारी

पटना। असम की सरकार ने बीफ पर बैन लगा कर बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया है। इससे भी बड़ा सेंसेशन जेडीयू नेता केसी त्यागी ने अपने बयान से लाया है, जिसमें उन्होंने असम सरकार के निर्णय को असंवैधानिक बताते हुए साफ कहा है कि भारत का संविधान सबको खाने पीने की आजादी देता है। हालांकि इस निर्णय के पूर्व असम में अब तक बीफ खाने और परोसने पर कोई मनाही नहीं थी। 2021 में असम कैटल प्रिजर्वेशन एक्ट लाया गया था। ये कानून उन इलाकों में स्लॉटर हाउस और बीफ की बिक्री पर रोक लगाता है, जहां हिंदू, सिख और जैन बहुसंख्यक हैं।
असम की सरकार ने अब पूरे राज्य में बीफ पर बैन लगा दिया है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के आदेश के मुताबिक अब किसी भी होटल, रेस्टोरेंट या पब्लिक प्लेस पर बीफ नहीं परोसा जाएगा। इसके साथ- साथ किसी भी पब्लिक प्लेस पर बीफ न तो परोसा जाएगा और न ही खाया जाएगा। यहां तक कि शादी-पार्टियों में भी बीफ नहीं परोसा जाएगा। मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि किसी भी पब्लिक फंक्शन में बीफ नहीं परोसा जाएगा। फिर चाहे वो फंक्शन किसी भी तरह का हो। इस कानून के तहत, दोषी पाए जाने पर 3 से 8 साल की जेल की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही दोषी पर 3 से 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा।
असम सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने बीफ पर बैन लगाकर राजद नीत गठबंधन को एक ऐसा मुद्दा थमा दिया जो उसके लिए कही संजीवनी न साबित हो जाए। आरजेडी जिस मुस्लिम वोट के बिखराव को लेकर चिंतित थी। अब उसे इस मसले को दुरुस्त करने में हेमंत बिस्वा सरमा का ये फैसला काफी सहायक साबित होगा। दरअसल, इधर राजद नेता तेजस्वी यादव मुस्लिम वोट के बिखराव को ले कर काफी चिंतित थे। हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव में मुस्लिम मत के बिखराव के कारण चारों सीट पर हार का सामना करना पड़ा।
मुस्लिम मतों की हिस्सेदारी में जेडीयू, जनसुराज और एआईएमआईएम का अच्छा शेयर हासिल रहा। राजद सूत्रों की मानें तो तेजस्वी यादव की यात्रा का मकसद पिछड़ों के साथ मुस्लिम मत की गोलबंदी भी शामिल है। राजद नेता तेजस्वी यादव की इस मुहिम को अब असम के मुख्यमंत्री के बयान से ताकत मिलेगा। ऊपर से केसी त्यागी का बयान महागठबंधन नेताओं को एक अलग मुद्दा दे गया है। केसी त्यागी ने इसे अलोकतांत्रिक बताया। उन्होंने कहा कि इस फैसले से समाज में तनाव बढ़ेगा। भारत का संविधान सबको खाने-पीने की आजादी देता है। होटल या सार्वजनिक स्थान पर बीफ बैन का हम समर्थन नहीं करते।यह समाज में तनाव फैलाने वाला निर्णय है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि केसी त्यागी के बयान का अब कोई मतलब नहीं रह गया है। एक तरह से कहें तो नीतीश कुमार ने उन्हें दूध में मक्खी की तरह निकाल कर जेडीयू के मेन स्ट्रीम से बाहर कर दिया है। ऐसे में उनके बयान का कोई व्यापक असर नहीं होगा। हां, इतना जरूर है कि विपक्ष को मुद्दा बनाने के लिए एक विषय मिल गया है। लेकिन ये प्रभावहीन मुद्दा है। ऐसा इसलिए कि राजनीति के प्रति जो थोड़ा बहुत भी जागरूक हैं उनके लिए केसी त्यागी का बयान व्यक्तिगत बयान के अलावा कुछ नहीं। लेकिन केसी त्यागी के लिए ये बयान उन्हें राजनीति में एक हद तक सक्रिय तो कर ही जायेगा।

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