महंगाई और बेरोजगारी के चलते वही वर्ग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से नाराज होता जा रहा है जो उनकी ताकत था। अक्सर देखा जाता रहा है कि बच्चे मोदी के व्यक्तित्व के कायल होते जा रहे थे। महंगाई और बेरोजगारी को लेकर सड़क से लेकर संसद तक आंदोलन तो चल ही रहा है अब बच्चे भी महंगाई के चलते उनके रोजमर्रा की चीजों के महंगे होने पर मोदी के प्रति नाराजगी व्यक्त क रहे हैं। उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के छिबरामऊ कस्बे की रहने वाली पहली कक्षा की एक छात्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महंगाई को लेकर एक चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में उसने लिखा है कि मेरी पेंसिल, रबर और भी भी महंगी हो गई है। ६ साल की यह चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
छह वर्षीय कृति दुबे ने पीएम मोदी के नाम हिन्दी में अपनी चिट्ठी लिखी है। उसने लिखा है कि नाम कृति दुबे है। मैं कक्षा एक में पढ़ती हूं। मोजी जी, आपने बहुत अधिक मूल्य वृद्धि की है। मेरी पेंसिल और रबर भी महंगी हो गई है और मैगी की कीमत भी बढ़ गई है। अब मेरी मां मुझे पेंसिल मांगने पर मारती है। मैं क्या करूं ? दूसरे बच्चे मेरी पेंसिल चुरा लेते हैं। सोशल मीडिया पर वारयल हो रहे इस पत्र को पोस्ट किया गया है। पत्र की पुष्टि बच्ची के पिता विशाल दुबे ने की है। जो पेशे से एक वकील हैं। उन्होंने कहा कि यह मेरी बेटी की मन की बात है। वह हाल ही में उस समय नाराज हो गई जब उसकी मां ने उसे स्कूल में पेंसिल खो जाने पर डांटा। छिबरामऊ डीएसएम अशोक कुमार ने टीओआई को बताया कि उन्हें इस छोटी बच्ची के पत्र के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से पता चला। एसडीएम ने कहा, मैं अपनी व्यक्तिगत क्षमता के तहत स वक्त किसी तरह से बच्ची की मदद को तैयार हूं। साथ ही यह भी सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करूंगा कि उसका पत्र जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुंचे।
ज्ञात हो कि देश में बढ़ती महंगाई को लेकर कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार हमलावर है। कांग्रेस के नेता बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी को ल्ेकर सरकार को घेर रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले दिनों बेरोजगारी को लेकर एक ट्वीट करते हुए पीएम मोदी पर निशाना साधा था। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा था। २२ करोड़ युवा ८ सालों में सरकारी नौकरियों के लिए कतार में लगे, नौकरी मिली ७.२२ लाख को यानी १००० में से सिफ ३ को। बेरोजगारी पर सवाल पूछने पर राजा को गुस्सा आता है। सच तो यह है रोजगार देना इनके बस की बात नहीं है।