लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में बीजेपी (BJP) को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से लगा है, जहां पर बीजेपी और उसके सहयोगियों को 44 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा है. ऐसे में अब बीजेपी हार के कारणों की समीक्षा कर रही है, ताकि जो नुकसान हुआ है वैसा आगे न हो. बीजेपी अध्यक्ष अब एक-एक सीट पर बूथ स्तर से रिपोर्ट लेकर उसकी समीक्षा करेंगे और इस रिपोर्ट के जरिए पार्टी नेतृत्व को उत्तर प्रदेश के हालात से रूबरू कराया जाएगा.
बीजेपी ने हार की वजह तलाशनी शुरू कर दी है और इस वजह से हारे हुए प्रत्याशियों के अलावा लोकसभा सीट के पार्टी के पदाधिकारी बताएंगे कि बताएंगे हार मिली तो क्यों मिली. इस समीक्षा के आधार पर बीजेपी की जो कमियां हैं, उन कमियों को दूर करने की कोशिश की जाएगी. अपेक्षित परिणाम ना मिलने के बाद पार्टी में मंथन का दौर शुरू हो गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, सभी क्षेत्रों में बीजेपी के वोटों में गिरावट देखने को मिली है. वोट शेयर में 8 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. इसमें बताया गया है कि ब्रज क्षेत्र, पश्चिमी यूपी, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध, काशी, गोरखपुर क्षेत्र में 2019 के मुकाबले सीटें कम हुईं. समाजवादी पार्टी को पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समाज के वोट मिले हैं. गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव एससी का वोट सपा के पक्ष में पड़ा है. रिपोर्ट में कहा गया कि संविधान संशोधन के बयानों ने पिछड़ी जाति को बीजेपी से दूर किया.
यूपी में बीजेपी की हार के 12 कारण क्या हैं?
संविधान संशोधन को लेकर बीजेपी नेताओं की टिप्पणी. विपक्ष का ‘आरक्षण हटा देंगे’ का नैरेटिव बना देना.
प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक का मुद्दा.
सरकारी विभागों में संविदा कर्मियों की भर्ती और आउटसोर्सिंग का मुद्दा.
बीजेपी के कार्यकर्ताओं में सरकारी अधिकारियों को लेकर असंतोष की भावना.
सरकारी अधिकारियों का बीजेपी कार्यकर्ताओं को सहयोग नहीं मिलना. निचले स्तर पर पार्टी का विरोध.
बीएलओ द्वारा बड़ी संख्या में मतदाता सूची से नाम हटाए गए.
टिकट वितरण में जल्दबाजी की गई जिसके कारण बीजेपी नेताओं व कार्यकर्ताओं का उत्साह कम हुआ.
राज्य सरकार के प्रति भी थाने और तहसीलों को लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी.
ठाकुर मतदाता बीजेपी से दूर चले गए.
पिछड़ों में कुर्मी, कुशवाहा, शाक्य का भी झुकाव नहीं रहा.
अनुसूचित जातियों में पासी व वाल्मीकि मतदाता का झुकाव सपा-कांग्रेस की ओर चला गया.
बसपा के प्रत्याशियों ने मुस्लिम व अन्य के वोट नहीं काटे बल्कि जहां बीजेपी समर्थक वर्गों के प्रत्याशी उतारे गए वहां वोट काटने में सफल रहें.
बीजेपी से कोर से लेकर छोर तक के मतदाता दूर रहे, जिसकी वजह से यूपी में बीजेपी की हार तय हो गई. कोर में ठाकुर जाति