History Of Tea : जानिए चाय के बारे में जिसे दिन में 10 बार पीते हैं।

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History Of Tea

History Of Tea : भारत में भांति – भांति के लाोग पाए जाते है नही हम आंदोलन जीवियों की बात नही कर रहें हम आज चाय पीने वाली प्रजाती की बाद कर रहें ये प्रजाति दिन, रात, सुबह, शाम, किसी से मिलने पर, किसी के घर जाने पर, किसी से टेड पर मिलने पर, शादी की बात करने जाने पर हर समय इन्हे चाय चाहिए होती हैं । इस प्रजाति में ज्यादात्तर बुजुर्गों को पाया जाता था लेकिन भारत में इंजीनियरिंग के कॉमन हो जाने के बाद अब युवाओं में भी इस प्रजाति का प्रतिनिधित्व बढ़ गया हैं।

ऐसा माना जाता है कि चाय की खोज आज से 4 हजार 700 साल पहले हुई थी वो भी चीन में। चाय की खोज भी अन्य ऐतिहासिक महत्वपूर्ण चीजों की तरह गलती से हुई। और एक गलती आज हम सभी के जीवन का हिस्सा बन गई । इससे हम दिन की शुरुआत करते है, चाय से अतिथि देवो भव वाले भारत के हर घर में आए लोगों का स्वागत होता हैं। तो चलिए जानते है कि क्या है वो गलती (History Of Tea) जिससे महान चाय जो कि आज भारत की राजनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा और बेहतरीन टाइम पास बन चुका हैं।

चाय की खोज – 

चाय की पत्तियों में एक उत्तेजक तरह की प्रकृति होती है जिससे इसको पीने का बाद ऊर्जा का अहसास होता हैं, यही कारण था चाय की खोज का भी, एक बार चीन के राजा के गरम पानी में चाय की पत्तियां गलती से जा गिरी। उस दिन राजा को यह पत्ती वाला पानी बहुत पसंद आया बस तभी से चाय की खोज (The Origin of Tea) माना जाता हैं। लेकिन सालों तक चीन ने इसे छुपा कर रखा हमेशा से चीन का आचरण ऐसा ही रहा हैं।

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चीनी चाय की खेती करते हुए

बाद में एक बौद्ध भिक्षु ने इस सीक्रेट को जापान तक पहुंचा दिया था। इसके बाद चाय ने यूरोप के देशों का सफर तय किया। 16वी सदी में चाय यूरोप में काफी प्रचलित हो गई ।

भारत में चाय का विस्तार-

इतिहास (History Of Tea in India) की माने तो भारत में चाय को बड़े पैमाने पर फैलाने का श्रेय Robert Bruce जो कि एक ˈस्‍कॉटिश्‌ थे को जाता है जिन्होने चाय को असम से बाहर निकाला और उनके प्रयासों से इसे असम चाय के नाम से जाना जाना गया। असम की चाय को वैज्ञानिक तौर पर (camellia sinensis) कमीलया सीनेन्सिस कहा जाता हैं।

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चाय को भारत में औद्योगिक रूप में बढ़ावा अंग्रेजो ने ही दिया। अंग्रेजों ने चाय की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए Robert Bruce के भाई को इसका जिम्मा दिया। अंग्रेजों ने चाय को इंग्लैण्ड भी भेजा और वह इतना सफल हुआ कि चाय के लिए एक अलग कंपनी बनाई गई जिसे बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने ईस्ट इंडिया कंपनी से अपने अधीन कर लिया।

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भारत में चाय का इतिहास

लेकिन चाय के इसी कारोबार के ज्यादा बढ़ने के बाद भी भारत को कभी इसका फायदा नहीं हुआ बल्कि असम और चाय के बागानों में काम कर रहे मजदूरों पर जुल्म होने लगे। भारत में अंग्रेजी हुकूमत के कारोबार का एक बड़ा हिस्सा चाय से ही आता था। इसी के साथ चाय के इतिहास (History Of Tea in India) में भारत ने चीन को चाय की पैदावार की रेस में पीछे कर दिया था। हालांकि वर्तमान में भारत विश्व में चाय की पैदावार से लेकर एक्सपोर्ट के मामले में दूसरे नम्बर पर हैं।

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असम के अलावा भारत में अब बंगाल, तमिलनाडु, त्रिपुरा, केरला, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम जैसे राज्यों में चाय की पैदावार होने लगी हैं। चाय न केवल हमारे दिनचर्या का हिस्सा है बल्कि चाय लोगो को रोजगार भी दे रहा है। चाय के चलते कई लघु और कुटीर उद्योगों को भी बढ़ावा मिला।

देश के प्रधानमंत्री ने भी 2014 के अपने कैंम्पेन में भी चाय का जिक्र किया। जिससे लगभग सभी भारतवासी ने रिलेट किया। अक्सर भारत में चाय पर राजनीति चर्चा को चाय पर चर्चा का नाम दिया जाता हैं। उम्मीद हैआपको चाय की इतिहास (History Of Tea) जानकर कुछ नया सीखने को मिला हों।

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