Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (12 जनवरी) को केंद्र से पूछा कि दिल्ली में एक चुनी हुई सरकार होने का क्या मतलब है अगर पूरा कंट्रोल केंद्र सरकार के पास है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि एक निर्वाचित सरकार होने का क्या मतलब है अगर दिल्ली में प्रशासन केंद्र सरकार के इशारे पर ही चलाया जाना है तो।
CJI ने सेवाओं के नियंत्रण पर दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच एक विवाद की सुनवाई के दौरान पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे जिस दौरान उन्होंने यह सवाल किया। इस बेंच में जस्टिस एम आर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पी एस नरसिम्हा भी शामिल हैं।
Central Govt की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राष्ट्रीय योजना में दिल्ली को हासिल अद्वितीय स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा, “केंद्र सरकार के पास यह कहने का अधिकार होना चाहिए कि किसे नियुक्त किया जाएगा और कौन किस विभाग का प्रमुख होगा।”
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “केंद्र शासित प्रदेश बनाने के उद्देश्य के मुताबिक, केंद्र खुद इस क्षेत्र का प्रशासन करना चाहता है मतलब अपने खुद के कार्यालयों के माध्यम से। इसलिए, सभी केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्रीय सिविल सेवा अधिकारियों और सभी केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा प्रशासित किया जाता है।”
तुषार मेहता ने कहा कि अधिकारियों के कार्यात्मक नियंत्रण और उनके प्रशासनिक या अनुशासनात्मक नियंत्रण के बीच अंतर है। अधिकारी हमेशा निर्वाचित सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मंत्री के साथ होता है। इस पर CJI चंद्रचूड़ ने आश्चर्य जताया कि क्या इससे विषम स्थिति पैदा नहीं होगी। उन्होंने कहा, “मान लीजिए कि अधिकारी ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो दिल्ली सरकार की यह कहने में कोई भूमिका नहीं होगी कि हम इस व्यक्ति को हटाएंगे और किसी और को लेंगे। वो कहां होंगे? क्या हम कह सकते हैं कि उन्हें कहां तैनात किया जाएगा, चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो या कहीं और इस संबंध में उनके अधिकार क्षेत्र में कोई अधिकार नहीं होगा।