Global Gunger Index: साल 2022 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत 107वें पायदान पर आपको यह बात जान कर हैरानी होगी कि भारत के पड़ोसी देश जैसे कि पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश हैं इससे बहतर स्थिति में है।
इस खबर को पढ़ते समय आप दो बातें ध्यान में रखें कि भारत के ज्यादात्तर पड़ोसी देश किसी न किसी संकट से गुजर रहें जैसे कि श्री लंका और पाकिस्तान की अर्थवयवस्था के हालात और नेपाल का तख्तापलत इसके बाद भी ये देश भारत से अच्छा परफार्म कर रहें।
दूसरी ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत इससे पहले के साल यानी 2021 में इससे अच्छी स्थिति में था, बीते साल के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 101वें पायदान पर था। वर्ष 2020 में भारत 94वें स्थान पर था।
यह भी पढ़े – आप देश के नौजवान पीढ़ी का दिमाग प्रदूषित कर रही हैं
इस इंडेक्स में 29.1 के स्कोर के साथ भारत को भूख के स्तर के गंभीर श्रेणी में रखा गया है। साल 2014 में यह आंकड़ा 28.2 रह गया है। दो बिन्दुओं में भारत ने बढ़ोत्तरी दिखाई है।
क्या है GHI –
पहली बार 2006 में इस आंकड़े को जारी किया गया, हर साल Oct महीन में इसे जारी किया जाता है। इस रिपोर्ट को कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फ द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित किया जाता है।
GHI स्कोर की गणना चार संकेतकों पर की जाती है –
- कुपोषण या अल्पपोषण – जरुरत से कम कैलोरी लेना।
- चाइल्ड स्टंटिंग – 5 साल से कम उम्र के बच्चे जिनका वजन उनकी ऊंँचाई के हिसाब से कम है/ तीव्र कुपोषण।
- चाइल्ट वेस्टिंग – 5 साल से कम उम्र के बच्चे जिनका वजन उनकी उम्र के हिसाब से कम है।
- बाल मृत्यु दर – 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर।
इन सभी बिन्दुओं के आधार पर 0 से 100 तक का स्कोर दिया जाता है, जितनी बड़ी संख्या उतनी खराब स्थिति।
भारतीय मीडिया के चहीते देश पाकिस्तान की रैंकिग 99वें पायदान पर है। वहीं चीन का स्थान शुरु के 17 देशों में है।
श्रीलंका – 64
नेपाल – 81
पाकिस्तान – 99
बांग्लादेश – 84
BJP से आने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हालही में अपने एक भाषण मे भी इसी ओर इशारा किया था, उन्होंने चेताया था कि भले ही भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन अभी भी देश की एक बड़ी आबादी गरीबी और भूखमरी से जूझ रही है।
यहां क्लिक कर आप The News 15 के YouTube Channel पर जा सकते है।
उम्मीद है आने वाले दो राज्यों के विधानसभी चुनावों में इस तरह के आंकड़ो को भी मुद्दा बनाया जाए, जिससे हम भारत के हासिये में रह रहे लोगों का कल्याण हो।
[…] […]