Firozabad news : आरबीएसके के अंतर्गत 60 से ज्यादा बच्चों को मिल चुका है उपचार

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आरबीएसके की मदद से मोहन को मिला नया जीवन, परिजनों ने कहा- आरबीएसके टीम नहीं होती तो नहीं करवा पाते बच्चे की सर्जरी

फिरोजाबाद । दिल की बीमारी (सीएचडी) से पीड़ित अभिषेक (ढाई साल) तथा मोहन (5 साल) को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम के प्रयास से नया जीवन मिल गया। अभिषेक और मोहन के परिजन आज बहुत खुश हैं कि उनके बच्चे को दिल की बीमारी से छुटकारा मिल गया है।
पेशे से मजदूरी करने वाले मोहन के पिता संजय की माली हालत ठीक नही है| ऐसे में बच्चे के ऑपरेशन के लिए मुश्किलें आ रही थी| आरबीएसके के अंतर्गत उनके बच्चे की सर्जरी निःशुल्क की गई है। उनका कहना है कि यदि आरबीएसके की टीम नहीं होती तो बच्चे का ऑपरेशन संभव नहीं था।
टूंडला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में तैनात आरबीएसके टीम ए की डॉ. पूनम का कहना है कि मोहन को 3 साल पहले सीएचसी पर ही चिन्हित किया था। उन्होंने कहा कि मोहन काफी बीमार रहता था उसको कोई ना कोई समस्या हमेशा बनी रहती थी। मोहन का कई महीने का इलाज जयपुर में चला बाद में ऑपरेशन के खर्चे को लेकर उसके परिजन काफी चिंतित हो गए। हमारी टीम के डॉ. प्रांजल, नम्रता और योगेंद्र पाल की मदद से मोहन को अलीगढ़ ले जाया गया। लेकिन कोविड-19 के आने से देरी हुई। अंततः 26 मई 2022 को मोहन की अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में सर्जरी कराई गई। मोहन अब पूर्ण रूप से स्वस्थ है।
सीएमओ डॉ. डीके प्रेमी का कहना है कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चों का निःशुल्क इलाज कराने के लिए पूरे जनपद में आरबीएसके की 18 टीमें सक्रिय रूप से अपनी भूमिका निभा रही हैं। इस कार्यक्रम के तहत मोबाइल टीमें गंभीर बीमारी से ग्रस्त बच्चों की पहचान व संदर्भन कर उनका सफल इलाज सुनिश्चित करती हैं |
योजना के नोडल ऑफिसर डॉ. नरेंद्र का कहना है कि आरबीएसके की टीमें सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत बच्चों का चेकअप कराया जाता है। यदि कोई बच्चा बीमारी से ग्रसित मिलता है तो उसका उपचार संबंधित अस्पतालों में कराया जाता है।
आरबीएसके के जिला मैनेजर मनीष गोयल ने बताया कि आरबीएसके के अंतर्गत पिछले तीन वर्षों में अब तक 60 से ज्यादा गरीब बच्चों का इलाज या सर्जरी कराई गई है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम :-
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एक ऐसी ही पहल है जिसका उद्देश्य 0-19 वर्ष के ग्रामीण बच्चों में चार प्रकार की विसंगठियों की जांच करना है| इनको फोर डी भी कहते हैं – डिफ़ेक्ट एट बर्थ, डेफिशिएन्सी, डिजीज, डेव्लपमेंट डिलेज इंक्लुडिंग डिसेबिलिटी यानि किसी भी प्रकार का विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता| इन कमियों से प्रभावित बच्चों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम निःशुल्क सर्जरी सहित प्रभावी उपचार प्रदान कराता है|
कार्यक्रम का लक्ष्य :-
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है कि जन्म से 19 वर्ष तक की आयु का कोई भी बच्चा स्वास्थ्य से वंचित न रहे| अभी यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में चलाया जा रहा है|

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