समस्तीपुर । पूसा मुरौल प्रखंड स्थित द्वारिकापुर निवासी स्व नागेंद्र ठाकुर के पुत्र नवीन कुमार ठाकुर के दो एकड़ में लहलहाती मक्के की फसल में समय सीमा पार कर जाने के बावजूद एक भी दाना नहीं आने से किसान हताश है। इस संबंध में किसान नवीन कुमार ठाकुर ने मुख्यमंत्री से लेकर प्रखंड कृषि पदाधिकारी मुरौल को भी आवेदन देकर जांच करने की गुहार लगाया है।
हालांकि चरमराई हुई प्रसाशनिक व्यवस्था में पीरित किसान का सुधि लेने के लिए नीचे से ऊपर तक का सरकारी हलकानों ने फिलहाल तैयार नहीं है। तत्पश्चात मरता क्या नही करता वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए पिरीत किसान नवीन कुमार ठाकुर ने डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय के अधीनस्थ तिरहुत कृषि महाविद्यालय ढोली के डीन डा पीपी सिंह से मिलकर मक्के की दाना रहित खरी फसल का गहन अवलोकन कर जांच करने के लिए आवेदन हस्तगत कराया है। डीन डा सिंह ने इस तरह के विकट परिस्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए आनन फानन में मेज ब्रीडिंग वैज्ञानिक डा अजय कुमार को प्रभावित मक्के के फसल को देखने के लिए भेज दिया। साथ ही डीन डा सिंह ने वैज्ञानिक को दिशा निर्देश देते हुए यह भी बताया कि आखिर किस कारण से मक्के की खरी फसलों में एक भी दाना नहीं आया है। मुख्यरूप से इस पर जांच करने की जरूरत है। साथ ही पीड़ित किसान नवीन कुमार ठाकुर ने द न्यूज फिफ्टीन के ब्यूरो चीफ से बातचीत करते हुए बताया कि मेरे साथ इस तरह की घटना की पुनरावृति हुई है।
बिगत वर्ष भी ठीक इस घटना के तरह करीब ढाई एकड़ में लगे मक्के की फसल में भी एक भी दाना नहीं आ पाया था। इस वर्ष ढोली बाजार के पिंटू सिंह के माध्यम से मनीष खाद भंडार मालपुर से दो एकड़ खेतो में मक्के की बुआई के लिए सीपी 898 प्रभेद का बीज खरीदा था। 5 नवंबर 2023 को समय से मक्के की इस बीज को बुआई कर दिया गया था। जबकि 8 से 9 मार्च 2024 को मक्के की लहलहाती फसलों की एक भी बाली में दाना नहीं देखकर उनपर मायूसी छा गई। पीरित किसान नवीन कुमार ठाकुर ने मुख्यमंत्री बिहार सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि इस मामले को लेकर सरकार अविलंब स्वयं संज्ञान नही लेती है तो पीरित किसान आत्महत्या करने पर मजबूर होगा। जिसकी सारी जिम्मेवारी सीड्स कंपनी एवं प्रशासन की होगी।
इधर पीरित किसान के मक्के की खेतों को देखने के बाद तिरहुत कृषि महाविद्यालय ढोली के मेज़ ब्रीडिंग वैज्ञानिक डा अजय कुमार ने बताया कि मक्के की खरी फसलों में मक्का के नर भाग से परागकण नही निकल पाया है। मुख्यरूप से इसी कारण दाना नहीं बनने का प्रक्रिया होती है। जहां तक तापमान की बात करें तो जलवायु परिवर्तन से ही जुड़ा हुआ मामला प्रतीत हो रहा है। मक्के की बुआई इनके खेत में 5 नवंबर को करा दी गई थी। बुआई की तारीख से करीब करीब 80 दिन बाद मक्के में फ्लावरिंग की स्थिति में तापमान लगातार 10 डिग्री सेल्सियस के नीचे ही रहा है। हालांकि मक्के की बेहतर उत्पादन के लिए फ्लावरिंग के समय कम से कम 10 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहना चाहिए। तभी ही मक्के की फसल में बेहतर और सम्पूर्ण दाना तैयार हो पाता है।