भारत को 2047 तक विकसित बनाने में सांख्यिकी की अहम भूमिका : डॉ मंगला राय
समस्तीपुर। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर) के विद्यापति सभागार में भारतीय कृषि सांख्यिकी सोसायटी के तीन दिवसीय प्लेटिनम जुबली सम्मेलन का भव्य शुभारंभ हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित बिहार के मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार एवं भारत सरकार के पूर्व कृषि सचिव, डीजी आईसीएआर डॉ. मंगला राय ने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में सांख्यिकी का अहम योगदान होगा। उन्होंने बताया कि विज्ञान और विकास में डेटा का अत्यधिक महत्व है, जिसके बिना प्रगति की कल्पना असंभव है।
डॉ. मंगला राय ने कहा कि कृषि शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को सांख्यिकी की तकनीकी जानकारी अवश्य होनी चाहिए। उन्होंने विशेषज्ञों से आग्रह किया कि वे आम लोगों को भी सांख्यिकी की बुनियादी जानकारी दें ताकि वे सटीक तथ्यों को समझ सकें।
डिजिटल एग्रीकल्चर में अग्रणी भूमिका निभा रहा पूसा विश्वविद्यालय
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी. एस. पांडेय ने कहा कि पूसा कृषि विश्वविद्यालय डिजिटल एग्रीकल्चर के क्षेत्र में देश में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि आगामी महीनों में विश्वविद्यालय में डिजिटल एग्रीकल्चर से संबंधित दस से अधिक सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति की जाएगी।
डॉ. पांडेय ने यह भी कहा कि डेटा का दुरुपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिसके प्रति सांख्यिकी विशेषज्ञों को सचेत रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि सम्मेलन के दौरान सांख्यिकी के विभिन्न आयामों पर गहन चर्चा होगी, और निष्कर्षों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा, जिसे नीति निर्माताओं के साथ साझा किया जाएगा।
भारतीय कृषि सांख्यिकी सोसायटी का ऐतिहासिक महत्व:
भारतीय कृषि सांख्यिकी सोसायटी के प्रेसिडेंट डॉ. पद्म सिंह ने कहा कि इस सोसायटी की स्थापना महान वैज्ञानिक सर सी.वी. रमन के निर्देश पर हुई थी, और इसके पहले सचिव भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। उन्होंने बताया कि यह संस्था कृषि विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
सम्मेलन में 20 से अधिक राज्यों के 250 से अधिक वैज्ञानिकों ने लिया भाग
कॉलेज ऑफ बेसिक साइंस के डीन डॉ. अमरेश चंद्रा ने कांफ्रेंस के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इसमें 20 से अधिक राज्यों के लगभग 250 वरीय वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। सम्मेलन के दौरान सांख्यिकी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाएगी, जिससे भविष्य में वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को सहायता मिलेगी।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. ऋतंभरा एवं डॉ. अंजनी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. महेश कुमार ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय कुमार, निदेशक शिक्षा डॉ. उमाकांत बेहरा, निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. मयंक राय, निदेशक बीज डॉ. डी.के. राय सहित कई प्रमुख वैज्ञानिक, शिक्षक एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।