कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया केवल एक नाम नहीं इतिहास है

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राजकुमार जैन

जंगे आजादी मे बरतानिया हुकूमत से आजाद करवाने के लिए कमांडर साहब ने चंबल घाटी में लाल सेना बनाकर, युवकों को हथियारी शिक्षा देकर,लामबंद करके अंग्रेजी सल्तनत की नाक में दम कर दिया था।चंबल संभाग के कई इलाकों को अंग्रेजी शासन से आजाद घोषित कर दिया। आजादी के बाद कमांडर साहब कांग्रेसी सरकारी खेमे मेंन रहकर आचार्य नरेंद्र देव, जयप्रकाश नारायण,डॉ राम मनोहर लोहिया की सोशलिस्ट तंजीम में शामिल होकर समाजवाद की मशाल जलाने में लग गए।उनकी बहादुरी, इमानदारी, सादगी से मुतासिर होकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश,बुंदेलखंड के सीमांत इलाकों में हजारों नवयुवक सोशलिस्ट तहरीक में दीक्षित एवं शामिल हो गए। डॉ राम मनोहर लोहिया का गहरा यकीन कमांडर साहब पर था।
कमांडर साहब के इसरार पर डॉक्टर साहब फर्रुखाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार,एक शर्त पर हुए की चुनाव का संचालन उसकी बागडोर कमांडर अपने हाथ में लेंगे।कमांडर साहब के प्रभाव और अथक मेहनत के बल पर डॉक्टर लोहिया अनेकों,अवरोधों को लांघकर चुनाव में विजय घोषित हुए। कमांडर साहब की अनेकों लोमहर्षक गाथाएं हैं।
उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी के मजबूत गढ़ की नीव कमांडर साहब ने डाली थी। मुलायम सिंह यादव जैसे कार्यकर्ताओं को समाजवादी बनाकर समाजवादियों का प्रभाव इन इलाकों में बनाया था। कमांडर साहब का दूसरा नाम संघर्ष था।गरीबों,मजलूमौ बेजुबानो, दलितों, अल्पसंख्यकों के सवाल पर अपनी निजी प्रतिष्ठा को दांव पर लगाने से भी वे कभी पीछे नहीं हटे। आखरी सांस तक जुल्मी शासन के खिलाफ सत्याग्रही बने रहे।
मुझे फख्र है,1971 में सोशलिस्ट पार्टी तथा अन्य वामपंथी दलों द्वारा “भूमि मुक्ति आंदोलन” में कमांडर साहब की रहनुमाई में दिल्ली में श्रीमती इंदिरा गांधी के महरौली स्थित फार्म पर प्रदर्शन किया गया। पुलिस ने कमांडर साहब तथा मेरे जैसे अनेकों कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करके दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद कर दिया।हिंदुस्तान के सोशलिस्ट बड़े अदब से कमांडर साहब को अपनी घाती मानकर गौरवान्वित अनुभव करते हैं।

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