CJI’s Displeasure : मुख्य न्यायाधीश ने राजनीतिक दलों के न्यायपालिका में बढ़ते हस्तक्षेप के प्रति किया आगाह
संविधान की रक्षा के लिए बना गये तंत्र न्यायपालिका, कार्यपालिका, मीडिया पर विधायिका का किस हद तक हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है। इसका अंदाजा सीजेआई एमवी रमना के शनिवार को सैन फ्रांसिस्को में एसोसिएशन ऑफ इंडियन अमेरिकन्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में दिये भाषण से हो जाता है। यह CJI’s Displeasure ही था कि सीजेआई ने इस कार्यक्रम में सत्तारूढ़ दल के साथ ही विपक्षी दलों को भी निशाने पर लिया है। सीजेआई का राजनीतिक दलों को कटघरे में खड़ा करने का मतलब यह है कि राजनीतिक दल कितने पावरफुल होते जा रहे हैं। उन्होंने एक तरह से जनता को भी उनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही का एहसास कराया है।
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Targeting Political Parties : सीजेआई एमवी रमना ने पर जो तंज कहा है वह सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की मनमानी को दर्शाता है। सीजीआई का न्यायपालिका को संविधान के प्रति ही जवाबदेह बताना राजनीतिक दलों के अति हस्तक्षेप को दर्शा रहा है। सीजेआई ने ऐसे ही सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों को कटघरेे खड़ा नहीं किया है। सीजीआई ने एक तरह से राजनीतिक दलों पर न्यायपालिका को खत्म करने का षड्यंत्र रचने का आरोप तक लगा दिया है।
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दरअसल शनिवार को सैन फ्रांसिस्को में एसोसिएशन ऑफ इंडियन अमेरिकन्स ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इस समारोह में सीजेआई एमवी रमना ने ७५वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाने की बात करते हुए विधायिका पर बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि उन्हें इस बात का अफसोस है ७२ गणतंत्र बीते जाने के बाद भी संविधान द्वारा प्रत्येक संस्थान को सौंपी गई भूमिकाों की सराहना करना अभी भी नहीं सीखा गया है। सीजेआई ने एक तरह से विधायिका के Interference in the Judiciary के प्रति नाराजगी व्यक्त की है।
सीजेआई का यह कहना कि सत्ताधारी पार्टी यह मानती है कि जैसे वह उनकी हर सरकारी कार्रवाई न्यायिक समर्थन की हकदार है। यह सीजेआई की Targeting Political Parties ही है कि विपक्ष दलों के बारे में भी उन्होंने कहा है कि वे उम्मीद करते हैं कि न्याय पालिका अपने राजनीतिक पदों और कारणों को ही आगे बढ़ाएगी। उनका संविधान के प्रति जवाबदेह कहना राजनीतिक दलों को फटकारना है।
सीजेआई ने राजनीतिक दलों का बिना सोचे समझे समर्थन करने को लोगों की अज्ञानता बताया है। CJI’s Displeasure यह है कि जनता का अंधभक्त की तरह राजनीतिक दलों को समर्थन देने को सीजेआई ने न्यायपालिका के लिए भी खतरा बताया है। सीजेआई ने देश में होने वाले बदलाव में लोगों की संवेदनशीलता और परिपक्वता के अभाव को कहकर लोगों के जाति और धर्म और निजी स्वार्थ के आधार पर वोट देने के प्रति सचेत किया है।