(संभवत: यह देश का ऐसा पहला संग्रह है जिसमें देश भर से साहित्यकारों को लिया गया है। हनुमानगढ़ के बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने किया देश भर के बत्तीस बाल साहित्यकारों की पांच-पांच बाल कविताओं का ‘राजस्थानी बाल बत्तीसी’ पुस्तक में राजस्थानी अनुवाद। युवा कवि साहित्यकार/ संपादकीय लेखक डॉ. सत्यवान सौरभ के बाल काव्य संग्रह ‘प्रज्ञान’ की पांच चर्चित बाल कविताएं (नानी, खेलां रळमिल खेल, फूलां री सीख, चिट्ठी, कोयल) शामिल की है।
भिवानी के उपमंडल सिवानी के गांव बड़वा के युवा कवि साहित्यकार/ संपादकीय लेखक डॉ. सत्यवान सौरभ के बाल काव्य संग्रह ‘प्रज्ञान’ की पांच चर्चित बाल कविताओं का हनुमानगढ़ के प्रसिद्ध साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने राजस्थानी भाषा में अनुवाद किया है। संभवत: यह देश का ऐसा पहला संग्रह है जिसमें देश भर से साहित्यकारों को लिया गया है और उनकी रचनाओं का राजस्थानी में अनुवाद हुआ है। राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए संघर्ष कर रहे देशभर के लोगों के लिए भी यह एक अच्छी खबर कही जा सकती है। अब बाल कविताओं के जरिये ही सही, राजस्थानी भाषा की पहुंच देश के कोने-कोने तक होने वाली है।
‘राजस्थानी बाल बत्तीसी’ बाल काव्य संग्रह में देशभर के बत्तीस चर्चित बाल कवियों की पांच-पांच कविताओं का सुप्रसिद्ध साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने राजस्थानी भाषा में अनुवाद किया है। वे अब तक कई पुस्तकें राजस्थानी में अनुवाद कर चुके हैं। ‘राजस्थानी बाल बत्तीसी’ का अनुवाद पूरा हो चुका है और यह किताब के रूप में सामने आ चुकी है। जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगह उपलब्ध है। संभवत यह देश का ऐसा पहला संग्रह है जिसमें देश भर से साहित्यकारों को लिया गया है और उनकी रचनाओं का राजस्थानी में अनुवाद हुआ है।
इस अनुवाद के अनुवादकर्ता और संपादक दीनदयाल शर्मा एक सुप्रसिद्ध लेखक हैं। उन्होंने बताया कि ‘राजस्थानी बाल बत्तीसी’ के अनुवाद के लिए टाबर टोली संस्था ने देश भर के बाल साहित्यकारों के नाम पर विचार किया था, जिनसे दस-दस बाल कविताएं आमन्त्रित की गई और अंतिम रूप से बाल कविताओं के स्तर, सरलता, लय, बाल उपयोगिता और अंकों के आधार पर बत्तीस साहित्यकारों की पांच-पांच कविताओं का चयन अनुवाद के लिए किया गया। अब यह अनुवाद पूरा हो चुका है जिसमें करीब एक सौ साठ बाल कविताओं का अनुवाद किया गया है। जिनमें सत्यवान सौरभ की पांच कविताएं नानी, खेलां रलमिल खेल, फूला री सीख, चिट्ठी, कोयल शामिल है।
इस चर्चित बाल संग्रह के आने से राजस्थानी भाषा की पहुंच देश ही नहीं विश्व के बाल साहित्य तक होने से इसे और समृद्धि मिलेगी। इस उपलब्धि पर डॉ. सत्यवान सौरभ ने बताया कि यह मेरे लिए खुशी की बात है कि मुझे ‘राजस्थानी बाल बत्तीसी’ जैसे देश के प्रथम अनुवादित बाल ग्रंथ के राजस्थानी अनुवाद में शामिल होने का मौका मिला है। इस उपलब्धि पर क्षेत्र की शिक्षण और सामाजिक संस्थाओं के साथ साथ साहित्यकारों और अन्य सभी वर्गों ने डॉ. सत्यवान सौरभ को शुभकामनाएं और बधाई दी है।
(डॉ. सत्यवान सौरभ, हरियाणा की व्हाट्स एप प्रोफाइल से साभार)