2024 में BJP की राह मुश्किल? क्या भ्रष्टाचार में लिप्त विपक्ष एकजुट हो पाएगा?

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जैसे- जैसे 2024 नज़दीक आ रहा है, देश की राजनीति में तेज़ हलचल देखने को मिल रही है। केंद्रीय एजेंसीयां जैसे ED और CBI जहां विपक्ष के भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्यवाही कर रहे हैं, वहीं इसके विरुद्ध आवाज़ उठाने के चलते, विपक्ष एकजुट्टता का नारा लगा रहा है। हाल ही में देखा गया कि आम आदमी पार्टी जो भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करते हुए उभरी थी, उसके बड़े-बड़े नेता भी भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त नज़र आए। जिनके खिलाफ अब ED और CBI action ले रही है। अब एसे में समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है कि, अगर आप के नेता, कट्टर ईमानदार हैं, तो उन्हें अपने बचाव के लिए एसे एसे भ्रष्ट नेताओं के साथ की क्यों ज़रुरत पड़ रही है, जिनके खिलाफ एक वक्त दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने खुद, भ्रष्ट होने के लिए आवाज़ उठाइ थी। ये जगजाहीर है कि विपक्ष किसी भी सूरत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हटाना चाहता है। ये हम नहीं बोल रहें हैं, खुद ‘कट्टर ईमानदार’ नेता कुछ कथाकथित भ्रष्ट नेताओं के साथ हाथ मिलाकर बोल रहें हैं।

दूसरी ओर PM Modi ने सार्वजनिक मंच से ये एलान किया था कि ‘ना खाउंगा, न खाने दूंगा’। तो देखते हैं कि ये कोई जुमला है, या हकीकत में कुछ एसा हो भी रहा है?।

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भ्रष्टाचार के विरुद्ध 0 tolerance की नीति अपनाते- अपनाते भाजपा विपक्ष के लगातार निशाने पर है । विपक्ष का आरोप है कि भाजपा, ED और CBI के ज़रिए विपक्ष की आवाज़ दबाने का काम कर रही है। तो आज हम जानने की कोशिश करते हैं कि विपक्ष के नेताओं के खिलाफ कौन-कौन से मामले दर्ज हैं और कैसे भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त होने के बाद भी विपक्ष एकजुटता के सपने देख रहा है। और क्या सही में 2024 का चुनाव मोदी बनाम एकजुट विपक्ष होगा हो सकता हे?।

नरेंद्र मोदी और भाजपा ने 2014 से पहले बतौर विपक्ष कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ अवाज़ उठाई है और साथ ही आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की थी, जिसके कारण जनता ने केंद्र में भाजपा तो वहीं दिल्ली में आप को भारी बहुमत भी दिया। लेकिन महज़ 9-10 सालों में हालात काफी बदले, की पहले जहां एक विपक्ष सत्तापक्ष से corruption के खिलाफ लड़ने की मांग करता था, भ्रष्टाचारियों के खिलाफ ED और CBI की कार्यवाही की मांग करता था, वहीं आज का विपक्ष इसके ठीक उल्टा कर रहा है, कुछ एसा कहना है भाजपा नेता वेंकैया नायडू का ।

वहीं PM Modi ने 2014 में आवाज़ बुलंद कर ये भी कहा था कि ‘ना खाउंगा, न खाने दूंगा’। एक एसा नारा, जिसने देश की अधिकांश जनता का विश्वास जीताने में भाजपा की बहुत मदद भी की । एक एसा नारा जो काफी हद तक सच होता भी दिखा। वरना वक्त तो एसा भी था, जब केंद्र की कांग्रेस सरकार ये कहती थी, कि दिल्ली से निकला 1 रुपया दूर दराज़ गरीब किसान मज़दूर तक पहुंचते- पहुंचते 15 पैसा रह जाता है। वहीं अब BJP govt की प्रधानमंत्री जन-धन योजना के माध्यम से, DBT यानी Direct Benefit Transfer के ज़रिए पैसा शत-प्रतिशत गरीब की जेब में पहुंचता है। एक सिलसिले वाद से प्रक्रिया शुरु कि, ताकी बिचौलिए के ज़रिए corruption की गुंजाइश खत्म हो सके। वहीं बड़े से बड़े corrupt नेताओं के खिलाफ corruption के मामलों में कार्यवाही भी शुरु की गई। 2014 से लेकर अब तक हमने देखा की विपक्ष के बहुत से बड़े-बड़े नेता CBI और ED की रडार पर रहे, जिन पर केस भी चला, कुछ जेल भी गए, और कुछ नेता तो बेल पर बाहर भी हैं। लेकिन अभ भी भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगी, और गिरफ्तारी भी जारी हैं। कुछ मंत्री जिन पर corruption के charges रहें हैं या चल रहें हैं, आज हम आपको इन्हीं के बारे में बताएंगे ।

पी. चिदंबरम: INX Media

2007 के आईएनएक्स मीडिया घोटाले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को मनी लॉन्ड्रिंग के चलते 106 दिन जेल की सलाखों में रहना पड़ा था। दरअसल पी. चिदंबरम ने 2007 के वक्त वित्त मंत्री रहते हुए रिश्वत लेकर INX मीडिया हाउस को 305 करोड़ रु. का फंड लेने के लिए Foreign Investment Promotion Board (FIPB) से मंजूरी दिलाई थी। इस पूरे मामले में जिन कंपनियों को फायदा हुआ,उन्हें चिदंबरम के बेटे कार्ति चलाते हैं। गौरतलब है कि INX मीडिया घोटाले में CBI ने 15 मई 2017 को केस दर्ज किया था। वहीं 2018 में ED ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। हालांकि पी.चिदंबरम को 2019 में कोर्ट से सशर्त बेल मिल गई थी।

अनिल देशमुख(NCP): 100 करोड़ रुपये की वसूली का आरोप

मार्च 2021 में वरिष्ठ IPS अधिकारी परम बीर सिंह ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को मुंबई में रेस्तरां और बार से प्रति माह 100 करोड़ रुपये एकत्र करने का लक्ष्य दिया था. ईडी, जो मामले के वित्तीय पहलू की जांच कर रही है, ने आरोप लगाया था कि राज्य के गृह मंत्री के रूप में कार्य करते हुए देशमुख ने पुलिस अधिकारी सचिन वाज़े के माध्यम से मुंबई में विभिन्न बार और रेस्तरां से 4.70 करोड़ रुपये इकट्ठे किए।

अमानतुल्लाह खान : दिल्ली वक्फ बोर्ड करप्‍शन केस

आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान की दिल्ली वक्फ बोर्ड के बैंक खातों में वित्तीय गड़बड़ी के आरोप में 2022 में गिरफ्तारी हुई थी। वक्‍फ की संपत्तियों में किरायेदारी का निर्माण करने, बोर्ड की सेवा नियमों का उल्लंघन करते हुए 33 लोगों की अवैध नियुक्ति करने के लिए जेल भेजा गया था। इसके साथ ही खान ने वाहन खरीद मामले में भी भ्रष्टाचार किया। दिल्ली वक्फ बोर्ड करप्शन के मामले में ACB ने जनवरी 2020 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत उनके खिलाफ केस दर्ज किया था। बता दें कि Anti Corruption Branch यानी ACB ने कई घंटों की लंबी पूछताछ के बाद अमानतुल्लाह खान को गिरफ्तार किया था। गौरतलब है कि गिरफ्तारी से पहले ACB ने विधायक खान के घर समेत 5 ठिकानों पर छापेमारी की और 12 लाख रुपये और एक बिना लाइसेंस वाला हथियार बरामद किया था। हालांकि कुछ दिन के बाद ही उन्हें 1 लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दी गई थी।

सत्‍येंद्र जैन: मनी लॉन्ड्रिंग केस

दिल्ली सरकार के स्वास्थय मंत्रालाय का पदभार संभालने वाले सत्‍येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मई 2022 में गिरफ्तार किया था। बता दें कि सत्येंद्र जैन को ईडी ने 4.8 करोड़ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया था। साल 2017 में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। हाल ही में जैन का जेल में सेवा का लाभ उठाते हुए विडीयो भी सामने आया था। बता दें कि सत्येंद्र जैन फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है और उनका इस्तीफा भी अभी हाल ही में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंजूर किया था।

मनीष सिसोदिया: Delhi liquor policy

दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री और प्रदेश के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया को CBI ने आबकारी नीति 2021-22 बनाने और उसे लागू करने में की गई गड़बड़ियों के आरोप में 26 फरवरी देर शाम गिरफ्तार किया। बता दें कि चीफ सेक्रेट्री द्वारा भेजी गई एक रिपोर्ट के आधार पर LG ने नई आबकारी नीति की CBI जांच के निर्देश दिए थे, मामले में 16 लोगों पर FIR दर्ज की, सिसोदिया को आरोपित नंबर 1 बनाया। गौरतलब है कि 17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति लॉन्च हुई। जिसमें बीजेपी ने घोटाला होने के आरोप लगाए। आरोप लागाए गए कि शराब कारोबारियों को लाइसेंस देने की नीति से कुछ डीलरों को लाभ मिला। जिसके लिए डीलरों ने कथित रूप से रिश्वत दी थी। गिरफ्तारी के बाद, 28 फरवरी को मनीष सिसोदिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसको मुख्यमंत्री केजरीवाल ने मंज़ूर भी कर लिया था।

सोनिया और राहुल गांधी- नेशनल हेराल्ड केस

सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनो फिलहाल ज़मानत पर बाहर हैं। दोनो मां बेटे दरअसल, नेशनल हेराल्ड केस से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले के केस में involved हैं जिसके चलते उन्हें 2015 में ज़मानत मिली थी, हालांकि केस में ED द्वारा जांच अभी भी चल रही है। बता दें कि नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नाडिस, सुमन दूबे और सैम पित्रोदा को आरोपी बनाया गया था। साल 2020 और 2021 में मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस की मौत हो गई थी, जिसके बाद बाकी सभी आरोपियों को दिसंबर 2015 में इस मामले में निचली अदालत से जमानत मिल गई थी।

Lalu Prasad Yadav: चारा घोटाला और लैंड फॉर जॉब स्कैम (Land For Job Scam)

बीहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के मामलों में अब तक कुल सात बार जेल जा चुके हैं। इसके साथ ही जमीन के बदले नौकरी घोटाला यानी लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में भी फिलहाल लालू और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ती जा रहीं हैं । इस स्कैम की जांच अब CBI के साथ-साथ ED भी कर रही है। ED ने CBI की शिकायत पर प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केस दर्ज किया है। गौरतलब है कि इस मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती को राउज एवेन्यू कोर्ट ने 15 मार्च को बेल दे दी है। अदालत ने 50 हजार के निजी मुचलके पर सभी को जमानत दी। राउज एवेन्यू कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी।

इन सबके अलावा विपक्ष के और भी नेता हैं जिनके खिलाफ अलग-अलग घोटालों में जांच चल रही है- जैसे- तेजस्वी यादव- IRCTC घोटाले मामले में, TMC नेता अनुब्रत मंडल- मवेशी तस्करी घोटाले में, TMC से पूर्व शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी SSC घोटाले के आरोप में प्रेसिडेंसी जेल में बंद हैं। एसे और भी भ्रष्ट नेता हैं जो भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त हैं ।

वहीं भ्रष्टाचार को खत्म करने का बीड़ा उठाने वाले प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी विपक्ष की पार्टियों पर भ्रष्टाचार को लेकर लगातार हमलावर हो रही है। तो दूसरी ओर विपक्ष भाजपा पर ED और CBI का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रही है। उनके मुताबिक BJP washing machine का काम कर रही है, जितने भी दागी नेताओं के विरुद्ध पहले corruption case चल रहे होते हैं, वो सब जैसे ही भाजपा join करते हैं तो साफ छवी के बन जाते हैं, मानो भाजपा washing machine में धोया हो। असल बात ये है कि भ्रष्ट नेता और भ्रष्टाचार दोनो ही देश को खोकला करने का काम करते हैं, जिसके चलते भ्रष्ट नेताओं का पकड़ा जाना देश की ही भलाई है । एसे में आप हमें comment करके अपनी राय ज़रुर दें, कि क्या ED और CBI की जांच का कुछ असर 2024 के चुनावों पर होगा, क्या 2024 के चुनावों में भ्रष्ट नेताओं पर केंद्रीय एजेंसीयों का शिकंजा जनता के लिए मुद्दा बन पाएगा? और क्या इस मुद्दे के ज़रिए हमें 2024 में एकजुट विपक्ष मिल पाएगा? या फिर से एक बार मोदी सरकार देश को मिलेगी ?

क्या congress का विादित बयान, ” मोदी तेरी कब्र खुदेगी ” 2024 में उन पर उल्टा तो नहीं पढ़ेगा? क्योंकि इसी बयान के ज़रिए PM Modi ने विपक्ष को हाल ही में आड़े हातो लिया और कहा की जहां congress कब्र खोदने की बात कर रही हैं वहीं उन्हें जनता जवाब दे रही है और कह रही है कि Modi तेरा कमल खिलेगा

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