Kisan Andolan : आजमगढ़ मंदुरी हवाई पट्टी विस्तारीकरण के नाम पर जमीन छीनने के खिलाफ सातवें दिन भी सड़क पर उतरा संयुक्त किसान मोर्चा

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संयुक्त किसान मोर्चा ने पूर्वी उ.प्र.के सभी किसान संगठनों से 22 को आजमगढ़ आने के लिए किया आह्वान

आजमगढ़। संयुक्त किसान मोर्चा  के  तत्वाधान में विविध संगठनों के साथियों ने मंदुरी हवाई पट्टी को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में विस्तारीकरण के नाम पर गांवों की जमीन छीनने के खिलाफ जारी सातवें दिन के भी क्रमिक धरने में शामिल होकर समर्थन दिया।

संयुक्त किसान मोर्चा ने पूर्वी उप्र.के सभी किसान संगठनों से 22 को आजमगढ़ आने के लिए आह्वान किया। धरना स्थल पर वक्ताओं में पुलिस उत्पीड़न की शिकार महिलाओं ( सुनीता व सुमित्रा) ने  12-13 अक्टूबर  के शासन-प्रशासन के दबंगई व उत्पीड़न के बारे में बात रखीं।जनसभा में जान देंगे- जमीन नहीं देंगे , जमीन हमारी आपकी-नहीं किसी के बाप की, लडेंगे-जीतेंगे, कौन बनाता हिंदुस्तान-भारत का मजदूर-किसान  आदि नारे गूंज रहे थे।
वक्ताओं ने कहा कि सरकारी व सार्वजनिक  संस्थानों को बेचने व निजीकरण करने पर तुली सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है। कल तक  मुसलमानों के खिलाफ बुलडोजर चलाया ,अब गरीबों के खिलाफ चलाने लगा है।जगह-जगह बंजर,परती,जी.एस. जमीनों पर बसे गरीबों को बेदखल करने का नोटिस आ चुका है।  जल,जंगल व जमीन  बचाने का सवाल छत्तीसगढ़, झारखंड ,सिलगेर व हसदेव अभ्यारण्य से  होते हुए पूर्वी उ.प्र. में कैमूर व चंदौली के मुसाखाड से नौगढ़,बलिया,आजमगढ़ हर जगह मौजूद हैं।हवाई पट्टी,मंडी,हाईवे,एक्सप्रेस वे ,अभ्यारण,सेंचुरी के नाम पर नये-नये सामंत,बड़े भूस्वामी तैयार किये जा रहे हैं। कि़सानों,मजदूरों को  सबसे सस्ता व लाचार मजदूर  बनाया जा चुका था ,अब उन्हें मान,सम्मान व स्वाभिमान से  वंचित बंधुआ गुलाम  बनाने चलें हैं।इसलिए जमीन का सवाल  आगे बढ़कर इंसानियत बचाने के सवाल तक जा पंहुचा है। इसके लिए हम सबको गांव-गांव अपने ग्रुप मानसिकता,पार्टी,जाति,धर्म  व लिंग के भेद से ऊपर उठकर ग्रामीण संघर्ष कमेटियों को बनाकर व्यापक जन आंदोलन की ओर बढ़ने की तरफ जाना होगा। हमारे इस आंदोलन में महिलाओं की अग्रिम पंक्ति में मौजूदगी जीत सुनिश्चित करने वाला है।

वक्ताओं में सुनीता,सुमित्रा, दुखहरण राम,राजीव यादव , राहुल विद्यार्थी,राजेश आज़ाद , रामनयन,विनोद यादव,अवधेश यादव,प्रमोद, आशीष उपाध्याय,सुरेश,मुन्ना लाल,राधेश्याम आदि ने अपनी बातें रखीं।अध्यक्षता दुखहरण राम और संचालन शशिकांत उपाध्याय ने किया।

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