राजगीर की पहाड़ियों पर बांज, पीपल, बरगद , नीम पौधारोपण के लिए बने पंचवर्षीय योजना
हेलिकॉप्टर और ड्रोन से होनी चाहिए बीजों का छिड़काव और सिंचाई
छायादार पेड़ लगाने से बदलेगा राजगीर का क्लाइमेट
राजगीर। पहले राजगीर की पहाड़ियां छायादार पेड़ पौधों से भरा पूरा था। तब जलवायु सामान्य हुआ करता था। पहाड़ी नदियाँ और झरने लोगों की जरूरतों को पूरा करते थे। लेकिन अब वैसा नहीं है। यहां की पहाड़ियां वृक्षविहीन हैं। यही कारण है कि स्थानीय लोगों के साथ सैलानियों को यहां भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है। इसका प्रतिकूल प्रभाव पर्यटन पर पड़ता है। यहां की पहाड़ियों पर चौड़ी पत्ती वाले पेड़ों की संख्या नगण्य है।
बुजुर्ग लोग बताते हैं कि राजगीर की पहाड़ियों पर पहले पीपल, बरगद, नीम, आम, जामुन आदि छायादार वृक्षों की संख्या बहुतायत थी। अब नहीं है। राजगीर की पहाड़ियों को फिर से छायादार बनाने के लिए मुहिम चलाने की जरूरत है। बांज का पौधारोपण इसलिए जरुरी है कि यह पेड़ वर्षा को आकर्षित करते हैं।
पंचवर्षीय योजना बनाकर राजगीर की पंच पहाड़ियों पर बरगद, पीपल, नीम, बांज, आम, जामुन, गुलड़ आदि का बड़े पैमाने पर पौधारोपण करने से अद्भुत परिणाम मिल सकते हैं। ये पेड़ जब बड़े हो जायेंगे तो राजगीर की पहाड़ियां हरियाली से अच्छादित हो जायेगी। इससे केवल पर्यावरण संवर्धन ही नहीं, बल्कि संतुलित तापमान और जलवायु परिवर्तन की भी गुंजाइश है।
— योजनाबद्ध तरीके से पौधारोपण की है दरकार
पंच पहाड़ियों पर योजनाबद्ध तरीके से छायादार, फलदार, औषधीय आदि पौधारोपण कर राजगीर को नया लुक दिया जा सकता है. इससे केवल राजगीर का जलवायु ही नहीं बदलेगा, बल्कि तापमान में भी गिरावट होगी। सालों मौसम सदाबहार हो सकता है। कहने के लिए नालंदा जिले में 60 फ़ीसदी से अधिक वन क्षेत्र केवल राजगीर के सेंचुरी एरिया में है।बावजूद यहां की पहाड़ियां नंगी हैं।
वर्षात में तो यहां की पहाड़ियां हरी भरी दिखती हैं. लेकिन गर्मी के मौसम में यह वृक्षविहीन व नंगी हो जाती है. यहाँ की पहाड़ियां गर्मी के दिनों में केवल आग उगलती है. यहाँ की गर्मी रेगिस्तान जैसी होती है, जो पर्यटन के लिए अनुकूल नहीं है. इससे बचने के लिए यहां की पंच पहाड़ियों पर बीजारोपण और पौधारोपण समय की पुकार है. हेलिकॉप्टर और ड्रोन से पहाड़ियों पर बीजों का छिड़काव और उसकी सिंचाई करने से अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं. यहाँ की पहाड़ियों को गोद लेकर योजनाबद्ध तरीके से पौधारोपण की आवश्यकता है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को खुद किसी एक पहाड़ी को गोद लेकर इसकी शुरुआत करनी होगी।पीटीसी और आरटीसी को भी एक-एक पहाड़ी को गोद दी जा सकती है। वहाँ के प्रशिक्षु पदाधिकारी और जवान अपने प्रशिक्षण की स्मृति में एक -एक पौधारोपण करेंगे, तो हजारों पौधारोपण हर साल हो सकता है। इसके उल्लेखनीय परिणाम मिल सकते हैं।
राजगीर का प्राकृतिक सौंदर्य यहां के जंगल, पहाड़, प्राकृतिक संपदा है. देश-दुनिया के सैलानियों को यही संपदा आकर्षित करता है. यहाँ की पंच पहाड़ियों के अलग – अलग सांस्कृतिक, प्राकृतिक और अध्यात्मिक महत्व हैं. योजना को मूर्तरूप देने से राजगीर की हरियाली, जलवायु, प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत हो सकता है।
— जनता बोली
प्रदूषण मुक्त पर्यावरण के लिए पहाड़ियों पर छायादार, फलदार, औषधीय आदि पौधारोपण आवश्यक है। उसका लाभ प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों और जंगली जानवरों को भी मिलेगा।
डॉ विश्वेन्द्र कुमार सिन्हा, निदेशक, चक्रपाणि रेसिडेंसियल स्कूल
राजगीर की जलवायु परिवर्तन के लिए पहाड़ियों पर योजनाबद्ध चौड़ी पत्ती वाले पेड़ पौधों का पौधारोपण जरुरी है।इससे तापमान में कमी आयेगी। इसके लिए डीएफओ को पहल करनी चाहिए।
धर्मेन्द्र कुमार, सचिव, निभा फार्मेसी कॉलेज
पंच पहाड़ियों को हरित बनाने के लिए ‘गोद लो’ अभियान आरंभ करनी चाहिए। वन विभाग के अलावे पीटीसी, आरटीसी एवं अन्य को गोद देकर पौधारोपण करने से राजगीर के पर्यावरण और जलवायु पर्यटन अनुकूल हो सकते हैं।
डॉ अनिल कुमार, वार्ड पार्षद, नगर परिषद
सौ फीसदी हरियाली के लिए पंचवर्षीय योजना बनाकर राजगीर की पहाड़ियों पर बड़े पैमाने पर पौधारोपण की जरूरत है। इस योजना को धरातल पर उतारने में पर्यावरण प्रेमियों को भी शामिल करना चाहिए
संजय कुमार सिंह, अध्यक्ष, पेट्रोलियम एसोसिएशन
पंच पहाड़ियों को हराभरा बनाने के लिए पहाड़ों पर पानी रोकने के उपाय करने होंगे। इसके लिए गारलैंड स्ट्रेच योजना बनाना होगा। ड्रोन और हेलिकॉप्टर से बीज गिराने और सिंचाई की व्यवस्था भी अपेक्षित है।
डाॅ शुभम कुमार, राजगीर
राजगीर के क्लाइमेट अनुकूल होंगे तभी सालों पर्यटक और तीर्थयात्री आ सकेंगे. प्राकृतिक संपदा की सुरक्षा और छायादार एवं वर्षा आकर्षित करने वाले पेड़ पौधों का रोपण जरुरी है।
उपेन्द्र कुमार विभूति, प्रदेश अध्यक्ष, एनएचसीएफ
पेड़ पौधों को लगाने और उसे बच्चों की तरह देखभाल करने की जरूरत है। बांज सहित छायादार पेड़ पौधों को लगाने से केवल छाया ही नहीं, बल्कि पर्याप्त ऑक्सीजन भी मिलेंगे। इससे क्लाइमेट परिवर्तन संभव है।
सुनील कुमार, निदेशक, नालंदा पब्लिक स्कूल