2024 के चुनाव में भुभुकते लालटेन को कैसे जलाएंगे लालू
पटना। लोकसभा चुनाव 2024 में बड़े फेरबदल के सपने के साथ राजद सुप्रीमो लालू यादव बड़ी रणनीतियां बनाने में लगे हैं। बिहार में लोकसभा की 40 सीटों पर जीत का परचम लहराने के लिए लालू यादव की पार्टी राजद विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया का हिस्सा है। लेकिन, 5 जुलाई 1997 को गठित राजद के लोकसभा चुनावों में प्रदर्शन के इतिहास पर गौर करें तो चुनाव दर चुनाव पार्टी कमजोर हुई है। न सिर्फ लोकसभा में सीटें घटी, बल्कि वोट बैंक भी करीब आधा हो चुका है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्षों में राजद के वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी हुई जिससे पार्टी की स्थिति कमजोर हुई।
राजद का इतिहास बताता है कि वर्ष 1997 में पार्टी गठन के एक साल बाद ही वर्ष 1998 में लोकसभा के चुनाव हुए। मार्च 1998 के राष्ट्रीय चुनावों में राजद ने बिहार में 17 लोकसभा सीटें जीतीं। वहीं वोट हासिल करने के मामले में भी राजद ने शानदार प्रदर्शन किया और उसे 26.6 प्रतिशत वोट आए। हालांकि एक साल बाद ही फिर से लोकसभा के चुनाव हुए और अक्टूबर 1999 के चुनावों में राजद ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा। इस बार लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद को बिहार में जोरदार झटका लगा। राजद सिर्फ 7 लोकसभा सीट जीत सकी. यहां तक कि लालू यादव भी चुनाव हार गए। हालांकि वोट प्रतिशत को देखें तो राजद के खाते में 28.29 प्रतिशत वोट आया। यानी वोट प्रतिशत बढने के बाद भी सीटों का बड़ा नुकसान राजद को हुआ।
राजद ने 2004 के लोकसभा चुनावों में 24 लोकसभा सीटें जीतीं जिसमें बिहार में 22 सीटें रही. वह चुनाव भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ राजद गठबंधन में लड़ी थीं। उसी के बाद केंद्र में 2004 में बनी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) वाली सरकार में लालू यादव ने मई 2009 तक तक रेल मंत्री का पद संभाला था। उस चुनाव में राजद का वोट प्रतिशत 30.67 था। यह अब तक का राजद का सर्वाधिक वोट प्रतिशत रहा।
पांच साल बाद हुए 2009 के भारतीय आम चुनाव में सीट साझाकरण वार्ता विफल होने पर राजद ने यूपीए से अपना गठबंधन तोड़ दिया। राजद ने राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी और मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी के साथ अपना गठबंधन बनाया, जिसे तब “चौथा मोर्चा” करार दिया है। लेकिन बिहार में राजद ने बेहद खराब प्रदर्शन किया और केवल चार सीटें जीतीं, ये सभी बिहार में थीं। उस चुनाव में राजद का वोट प्रतिशत करीब 5 फीसदी कम गया। 2009 में राजद का वोट शेयर 25.86% रहा।
इसके बाद 2014 के भारतीय आम चुनाव में राजद यूपीए में वापस आ गया और बिहार में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा। बिहार की 40 सीटों में से राजद 27 सीटों पर, कांग्रेस 12 सीटों पर और एनसीपी एक सीट पर चुनाव लड़ी। लेकिन इस चुनाव में भी राजद को बड़ा झटका लगा। बिहार की कुल चालीस लोकसभा सीटों में से राजद को केवल चार पर जीत मिली। वहीं वोट प्रतिशत फिर से करीब 5 फीसदी कम गया। 2014 में, राजद को बिहार में 72 लाख 24 हजार 893 या 20.46 प्रतिशत वोट मिले। एक बार फिर 2019 राष्ट्रीय जनता दल के वोट प्रतिशत में 4.74 प्रतिशत की कमी हुई. राजद को 15.36% वोट मिले। वहीं पार्टी के गठन के बाद वर्ष 2019 पहला चुनाव था जब राजद को एक भी लोकसभा सीट पर जीत नहीं मिली।
ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 में बड़ी जीत की रणनीति बनाने में लगे राजद सुप्रीमो के लिए इतिहास का यह आंकड़ा एक चुनौती की भांति है। राजद को अपने जनाधार को मजबूत करने पर ही कोई बड़ी सफलता मिल सकती है।