क्यों हो रही भारतीय विमानों की Emergency Landing?
विमानों की Emergency Landing की खबरें आजकल काफी चर्चे में है। बीते दिनों तकनीकी खराबी होने के चलते कई विमानों की Emergency Landing कराई गई। पाकिस्तान के कराची में 2 भारतीय Flights और भारत में भी कई International Flights की अलग अलग शहरों के Airports पर तकनीकी खराबी के कारण एहतियात के तौर पर Emergency Landing करानी पड़ी।
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जब पिछले कुछ दिनों, विमानों के Emergency Landing के कई मामले सामने आए, तो सबके मन में इससे जुड़े कई सवाल आने लगें। सवाल यह उठा कि Emergency Landing होती क्या है और इसके नियम क्या-क्या होते है?
Emergency Landing यानी आपात स्थिति जैसे तकनीकी खराबी, ईंधन की कमी, मौसम की खराबी या फिर किसी की अचानक तबीयत खराब होने पर विमानों की Landing। विमानों की Emergency Landing तीन तरह की होती है। फोर्स Landing- आमतौर पर यह इंजन के फेल होने पर किया जाता है। प्रीकॉशनरी लैंडिंग (एहतियाती लैंडिंग)- इसमें विमान की उड़ान आगे के लिए संभव होती है लेकिन एहतियात यानी ज्यादा जोखिम न लेते हुए Landing की जाती है। डिचिंग- आपातकाल में विमान को जब पानी की सतह (Surface) पर उतारा जाए तो इसे डिचिंग कहते हैं।
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Emergency Landing तो किसी भी वक्त करनी पड़ सकती है, तो क्या किसी भी देश में Emergency Landing की जा सकती है?
नियम के अनुसार अगर किसी भी विमान में कोई Emergency है या यात्रियों को कोई खतरा है तो कोई भी देश Emergency Landing के लिए मना नहीं कर सकता है। किसी देश ने अगर किसी Airline को अपने देश के ऊपर से गुजरने की अनुमति दी है और विमान को Emergency Landing करनी पड़ी तो वह देश उसे मना नहीं कर सकता क्योंकि वो विमान उनके एरिया में है। और अगर विमान उनके एरिया में ना हो लेकिन Emergency के चलते Landing करने के लिए सबसे करीबी देश हो तो भी Emergency Landing की अनुमति देनी पड़ेगी।
विमान में अगर कोई Emergency तो Pilot को Air Traffic Facility से संपर्क करना होता है और हो रही समस्या बतानी होती है और Emergency Landing की अपील की करनी होती है। फिर उस इलाके के Air Traffic Facility Controller से Emergency Landing की मंजूरी और जरूरी निर्देश दिए जाते है और सुरक्षित Landing कराई जाती है।
ऐसा बहुत ही कम होता है कि किसी देश से Emergency Landing की अनुमति नहीं मिले। अगर ऐसी कोई स्थिति हो जिससे सीधे विमान की सुरक्षा पर असर पड़े, जैसे Runway Block होना, किसी विमान से टकराने का डर हो या Runway पर पहले से विमान खड़ा हो तो ऐसी स्थिति में वो देश विमान को Emergency Landing की अनुमति नहीं देता है।
रोड पर तो गाड़ियों को Accident से बचाने के लिए कुछ नियम होते है, क्या आसमान के भी नियम होते है?
आसमान में भी विमानों के लिए कुछ नियम बनाए गए है। जैसे रोड पर Set Paths और Traffic Lane बनाए जाते है वैसे ही विमानों के लिए भी Set Paths होते है, जिन्हें Airways कहते है और सारे विमान उन्हीं Paths पर चलते है। और आगे सड़कों की Traffic Lanes की तरह विमानों के लिए Air Corridors को Divide किया जाता है। Air Corridors आने वाले विमानों और जाने वाले विमानों के लिए अलग अलग Divide किया जाता है, ताकी Accidents ना हो।
इसके अलावा जिस ऊंचाई पर विमान उड़ते है उसे Flight Level कहा जाता है। ICAO के अनुसार 2 विमानों के बीच का Flight Level कम से कम 1000 फीट का होना चाहिए। हर विमान के चारों तरफ सुरक्षा के लिए 14 किमी का दायरा होना चाहिए। और यह सारे नियम Follow किये जा रहे है या नहीं, ये सुनिश्चित करते है ACTs (Air Traffic Controllers)। ACTs जमीन पर बैठे-बैठे रडार के जरिए मॉनिटर करते रहते है कि विमान कितनी ऊंचाई, किस Speed और कितनी दूर है।
अब आते है वापस भारत की Emergency Landing की चर्चित खबर पर।
आखिर क्या कारण है जिससे इतने विमानों की Emergency Landing करानी पड़ी?
विमानों में छोटी-मोटी दिक्कतें आना आम बात है, लेकिन हाल के दिनों में एक के बाद एक ऐसी ख़बरें आना चिंताजनक है। कई लोगों का मानना है कि कोरोना के कारण दो सालों तक हवाई जहाज़ों के खड़े रहने के कारण मुमकिन है कि कुछ गड़बड़ियां आ गई हों। DGCA (Direct General of Civil Aviation) के जांच के अनुसार इन मामलों का कोई एक कारण सामने नहीं आ रहा है लेकिन Spot जांच के बाद कुछ कारण सामने आए है जैसे कि किसी डिफेक्ट का पता चलने पर उसके कारण की सही पहचान ना होना, कम अंतराल पर कई Scheduled Flights पर ध्यान देने के लिए जरूरी प्रमाणित स्टाफ की अनुपलब्धता।
सिंधिया ने कहा- यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
डीजीसीए के डायरेक्टर जनरल ने कहा कि वो फ्लाइट सुरक्षा से किसी तरह का समझौता नहीं कर रहे। स्पाइस जेट की घटनाओं पर उन्होंने चिंता व्यक्ति की लेकिन फ्लाइट ऑपरेशन रोकने को लेकर उन्होंने कहा था कि “बिना नियमों का पालन किए हुए किसी भी फ्लाइट कंपनी को रोका नहीं जा सकता।”डीजीसीए ने दूसरे मामलों में भी जांच की बात कही है। उधर नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्या सिंधिया ने मंत्रालय और डीजीसीए के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की और ये सुनिश्चित करने के लिए कहा कि यात्रियों की सुरक्षा से जुड़े सभी नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए।
तकनीकी खराबी का कारण क्या Company के आर्थिक हालात है?
विमान में इस्तेमाल होने वाले तेल की कीमत साल भर के दौरान 120 फीसदी बढ़ गई है जिसका भार विमान कंपनियों के लिए उठा पाना बहुत मुश्किल है। विमान में प्रयोग किए जाने वाले तेल, जिसे तकनीकी भाषा में एटीएफ या एविएशन टर्बाइन फ्यूल कहते हैं, की कीमत भारत में दुनियाभर में सबसे अधिक है। विमान कंपनी के चेयरमैन के अनुसार एटीएफ़ विमान को उड़ाने की कीमत का पचास फ़ीसद होता है, और जिस तरह से रुपये की कीमत डॉलर के मुक़ाबले गिर रही है, उसका असर इस क्षेत्र पर बहुत पड़ेगा। कई विमान कंपनियों की आर्थिक हालत भी ख़राब है और कई लोगों का मानना है कि इसका असर विमानों की देखरेख पर पड़ रहा है।