PM Politics : हरमोहन सिंह यादव की पुण्यतिथि कार्यक्रम में लिखी जा सकती है बगावत की पटकथा!
PM Politics : भले ही महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार हिन्दुत्व के नाम पर गिराना माना जा रहा हो पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनवाकर वंशवाद के खिलाफ बगावत का बड़ा संदेश दिया है। यह PM Politics ही है कि विपक्ष और मोदी के विरोधियों को यह समझ लेना चाहिए कि मोदी ने वंशवाद के खिलाफ जो हथियार तैयार किया है उसकी काट आज की तारीख में दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा में वंशवाद पर अंकुश लगाकर वंशवाद के नाम पर टिके क्षेत्रीय दलों के वजूद को खत्म करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना के वजूद पर वार कर अब प्रधानमंत्री का अगला निशाना उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी है।
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शिवपाल यादव को भले ही अखिलेश यादव से अलग किया गया हो पर मोदी की रणनीति मुलायम सिंह परिवार से अलग किसी दूसरे यादव नेता को मुलायम परिवार के खिलाफ खड़ा करने की है। राजनीतिक पंडित भले ही 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तरह-तरह के मुद्दे बता रहे हों पर आम चुनाव में प्रधानमंत्री मुख्य मुद्दा वंशवाद बनाने जा रहे हैं। UP Politics में अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव और मुलायम सिंह यादव की बहू अर्पना यादव को सपा से तोड़ने के बाद मोदी अब उत्तर प्रदेश में परिवार से अलग यादव समाज के बड़े नेता को सपा के खिलाफ खड़ा कर बड़ा संदेश देना चाहते हंै।
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मोदी उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे सुखराव यादव पर दांव चलने जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 जुलाई को अपने कानपुर दौरे पर सेंट्रल यूपी के सपा के कद्दावर नेता रहे Choudhary Harmohan Singh Yadav’s death anniversary program में शामिल हो सकते हैं। दरअसल हरमोहन सिंह यादव सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी थे। वैसे भी मुलायम सिंह यादव के समय के अधिकतर नेताओं को अखिलेश यादव ने साइडलाइन कर रखा है और सपा के जमीनी नेता अखिलेश यादव के ट्वीट तक ही सीमित रहने की राजनीति से नाराज देखे जा रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री सपा की इस कमजोरी का फायदा उठाना चाहते हैं। वैसे भी लोकसभा चुनाव के उप चुनाव में आजमगढ़ और रामपुर सीट जीत लेने पर उत्साहित मोदी और योगी अब सपा पर प्रहार करने के मूड में हैं।
दरअसल हरमोहन सिंह यादव के बेटे सुखराम यादव ने पीएम मोदी को Choudhary Harmohan Singh Yadav’s death anniversary program में शामिल होने के लिए न्यौते भेजा है। सुखराम यादव पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से मुलाकात कर चुके हैं। मतलब रणनीति पर बातचीत हो चुकी है। यह UP Politics ही है कि पीएम मोदी के कार्यक्रम को लेकर सुखराम यादव ने एक डिजिटल चैनल से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री उनके घर आएंगे, इससे उनके परिवार से उनका लगाव बढ़ेगा और इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। सुखराव यादव का यह कहना कि सपा को बनाने में उनका भी अहम योगदान रहा है। वह भी सपा के फाउंडर मेम्बर हैं। बता रहा है कि वह सपा नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं।
सुखराम यादव का पीएम मोदी से लगाव बताना और उनकी भावनाओं को समझने की बात करना।
उनके इशारे पर बोलना है। Politics of Sukhram Yadav-सुखराम यादव ने पीएम मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़ जिस तरह से मोदी जैसे पीएम देश को बहुत कम मिलने की बात करना बड़ा संदेश दे रहा है। सुखराम यादव ने कहा कि उन्हें पीएम मोदी की नीतियां बहुत पसंद हैं, विदेशों में भी उनकी छवि काफी अच्छी है। लोगों में उन्हें लेकर विश्वास बढ़ा है। मतलब अखिलेश यादव से विद्रोह करने की पूरी तैयारी हो चुकी है।
वैसे सुखराम के पुत्र मोहित यादव पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में सुखराम द्वारा पीएम मोदी की तारीफ करने के बाद माना जा रहा है कि वह सपा के खिलाफ बड़ा निर्णय लेने जा रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह अभी सपा में ही हैं। यह Politics of Sukhram Yadav ही है कि सुखराम यादव भले ही उनकी भाजपा से नजदीकियां बढ़ने से अखिलेश यादव पर कोई असर न पड़ने की बात कर रहे हों पर वह भी जानते हैं कि हरिमोहन सिंह यादव की पुण्यतिथि में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जाने का क्या मतलब है ? सुखराम यादव ने सपा के वोटबैंक कहे जाने वले यादव वर्ग को लेकर यह कहा कि उन्होंने यादव महासभा में कहा है कि यादवों को जहां सम्मान मिले, जहां लोग उनके काम आयें, उन्हें वहां जाना चाहिए। यादव वर्ग के लोग अब एक पार्टी का वोटबैंक बनकर नहीं रहेंगे। पीएम मोदी के उनके घर आने से भाजपा को लाभ मिलने की बात सुखराम यादव ने कही है।
सुखराम यादव की बातों से तो यही ही लग रहा है कि वह बहुत जल्द Shock to Akhilesh Yadav करने जा रहे हैं। मोदी सुखराम यादव को सपा के वंशवाद के खिलाफ बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को यह समझ लेना चाहिए कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यदि इस कार्यक्रम में पहुंचते हैं तो इस कार्यक्रम में सपा को तोड़ने की पटकथा लिख दी जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। वैसे भी समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता शिवपाल यादव अखिलेश यादव का साथ छोड़ चुके हैं और आजम खां अखिलेश यादव से नाराज चल रहे हैं। अर्पना यादव भाजपा में शामिल हो चुकी हैं।
वंशवाद के बल पर खड़े हुए राजनीतिक दलों को यह समझ लेना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Front against Dynasty संभाल चुके हैं। भले ही आने वाले समय में वह प्रधानमंत्री रहें या न रहें पर वंशवाद के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ वह भारतीय राजनीति में नया इतिहास रचने पर काम कर रहे हैं। यही वजह है कि हर चुनाव में वह बीजेपी में वंशवाद के खिलाफ संदेश देने का प्रयास करते हैं। प्रधानमंत्री के टारगेट पर न केवल समाजवादी पार्टी बल्कि कांग्रेस, रालोद, राजद, एनसीपी, डीएमके, इनेलो, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और तेलंगाना राष्ट्र समिति भी हैं।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजनीति करने का जो तरीका है वह उनकी सभी कमजोरियों और गलतियों को छुपा लेता है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सारथी अमित शाह को साथ लेकर न केवल विपक्ष को बांध रखा है बल्कि सत्तापक्ष को भी बुत बना रखा है। आजादी के बाद देश में मौजूदा हालात में विपक्ष सबसे कमजोर ऐसे ही नहीं माना जा रहा है। मोदी आौर अमित शाह की चालों ने विपक्ष को बौना बनाया है। यह प्रधानमंत्री की Front against Dynasty की रणनीति ही रही है कि जहां उन्होंने वंशवाद के विरोध में माहौल बनाया है वहीं सरकारी तंत्रों के बल पर भ्रष्ट हो चुके नेताओं की बोलती बंद की है। प्रधानमंत्री ने ये जो वंशवाद का मुद्दा पकड़ा है वह उनकी हर कमजोरी पर पर्दा डाल दे रहा है।
देश में वंशवाद के बल पर स्थापित नेतृत्व के खिलाफ एक बड़ा माहौल बना हुआ है, जिसे प्रधानमंत्री लगातार भुना रहे हैं। हर चुनाव में वंशवाद उनका बड़ा मुद्दा होता है। यही PM Politics है कि उन्होंने महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को आगे कर शिवसेना के वंशवाद पर कड़ा प्रहार किया है। आज शिवसेना की स्थिति यह है कि उद्धव ठाकरे परिवार से ज्यादा मजबूत मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नजर आ रहे हैं। यह सब मोदी का ही खेल है कि विधायक तो अधिकतर एकनाथ शिंदे के साथ आ ही गये हैं अब 19 सांसदों में से 12 सांसद भी एकनाथ शिंदे के साथ आ खड़े हैं।