ज्ञानगौदर के माता-पिता ने अंतिम श्रद्धांजलि देने के बाद शव को दावनगेरे के एक निजी अस्पताल को दान करने का फैसला किया
द न्यूज 15
नई दिल्ली। यूक्रेन में रूस की गोलाबारी में मारे गए कर्नाटक के मेडिकल छात्र नवीन शेखरप्पा का पार्थिव शरीर सोमवार को यहां हवाई अड्डे पर पहुंचा. नवीन शेखरप्पा को हावेरी ज़िले में उनके पैतृक स्थान पर उनके परिवार के सदस्यों ने श्रद्धांजलि दी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने वहां पहुंचकर पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित की। नवीन शेखरप्पा के पिता बोले, ‘पहले पूजा होगी, उसके बाद बॉडी को दर्शन के लिए रखा जाएगा और शाम को उसकी बॉडी को एस.एस.अस्पताल दावणगेरे को डोनेट करेंगे. उसका बचपन से डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करने का इरादा था लेकिन उसे यहां मेडिकल सीट नहीं मिल पाई.’ ‘खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी’ में मेडिकल के अंतिम वर्ष के छात्र नवीन शेखरप्पा की एक मार्च को संघर्ष क्षेत्र में मौत हो गई थी. ज्ञानगौदर के परिवार के सदस्य, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सहित कुछ अन्य लोग पार्थिव शरीर लेने के लिए हवाई अड्डे पहुंचे. इसके बाद शव को ज्ञानगौदर के पैतृक स्थान हावेरी जिले के रानेबेन्नूर तालुक के चालगेरी गांव ले जाया गया।
बोम्मई ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ज्ञानगौदर ने संघर्ष क्षेत्र में अपनी जान गंवा दी. मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘ज्ञानगौदर की मां पार्थिव शरीर को देश लाने के लिए लगातार गुहार लगा रही थीं. शुरू में, हम युद्ध क्षेत्र से शव लाने की संभावना को लेकर भी संशय में थे. यह एक कठिन कार्य था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विशाल कूटनीतिक क्षमता से पूर्ण किया.’
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने नवीन शेखरप्पा के पार्थिव शरीर को वापस लाने के प्रयास के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया
यूक्रेन से हजारों छात्रों को घर वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री एस जयशंकर और अन्य अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा, ‘यह (पार्थिव शरीर लाना) असंभव था क्योंकि ज्यादातर समय हम युद्ध क्षेत्रों से अपने सैनिकों के पार्थिव शरीर नहीं ला पाते हैं. एक आम नागरिक का पार्थिव शरीर लाना, किसी चमत्कार से कम नहीं है.’
ज्ञानगौदर के माता-पिता ने अंतिम श्रद्धांजलि देने के बाद शव को दावनगेरे के एक निजी अस्पताल को दान करने का फैसला किया है। नवीन के पिता बोले, ‘उसके मन में था कि मुझे जहां भी मेडिकल सीट मिलेगी मैं जाऊंगा फिर उसे यूक्रेन भेजना पड़ा वो डॉक्टर बनने का सपना पूरा नहीं कर पाया लेकिन कम से कम आगे आने वाले बच्चों को सीखने में उसकी बॉडी से कुछ फायदा होगा इसलिए हमने उसकी बॉडी डोनेट करने का फैसला किया.’