द न्यूज 15
नई दिल्ली | जम्मू-कश्मीर में आतंक के लिए फंडिंग के मामले में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक पाकिस्तानी आतंकी हाफिज सईद, हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम और अन्य के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत ने आरोप तय करने का आदेश दिया है। इन आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत यह निर्देश दिए गए हैं। इन पर जम्मू और कश्मीर राज्य में आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वित्त पोषण का आरोप है।
पटियाला हाउस कोर्ट स्थित विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह की अदालत ने कश्मीरी राजनेता और पूर्व विधायक राशिद इंजीनियर, व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद भट, उर्फ पीर सैफुल्ला और कई अन्य के खिलाफ भी विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा पेश तथ्यों व साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों के एक-दूसरे के साथ मिलकर जम्मू एवं कश्मीर में अलगाव व आतंक फैलाने का प्रथमदृष्टया मकसद साबित हुआ है। इतना ही नहीं, जांच एजेंसी ने दस्तावेजी व अन्य साक्ष्यों के माध्यम से पाकिस्तानी आतंकी संगठन के नेतृत्व में आतंकवादी संगठनों को आतंक फैलाने के लिए धन मुहैया कराने को भी प्रथमदृष्टया प्रमाणित किया है।
अदालत ने कहा कि आरोपपत्र पर बहस के दौरान, किसी भी आरोपी ने यह तर्क नहीं दिया कि व्यक्तिगत रूप से उनकी कोई अलगाववादी विचारधारा या एजेंडा नहीं है या उन्होंने अलगाव के लिए काम नहीं किया है या तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को भारत सरकार से अलग करने की पैरवी नहीं की।
अदालत ने कहा कि गवाहों के बयानों को देखने से लगता है कि विभाजन के बाद इन आतंकी संगठनों का एक ही उद्देश्य रहा है कि जम्मू व कश्मीर राज्य को भारत सरकार से अलग किया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि कई गवाहों ने आरोपी शब्बीर शाह, यासीन मलिक, जहूर अहमद शाह वटाली, नईम खान और बिट्टा कराटे को ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) और जेआरएल के आपस में संबंधों का खुलासा किया है।। एक अन्य गवाह के बयानों से पता चलता है कि रशीद से लेकर जहूर अहमद शाह वटाली तक पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से घनिष्ठ रूप से संपर्क में रहे हैं। अदालत ने कहा यह राय प्रथमदृष्टया है। अदालत ने आरोपियों पर आरोप तय करते हुए कहा कि उनकी तमाम टिप्पणियां आरोपपत्र पर सुनवाई के बाद प्रथमदृष्टया हैं। इन्हें अंतिम नहीं माना जाना चाहिए। अब जबकि इन आरोपियों पर मुकदमा चलेगा तो सबूतों पर विस्तृत चर्चा एवं अभियोजन व बचाव पक्ष को विस्तार से सुने जाने के बाद आया फैसला ही अंतिम व मान्य होगा।
आंतक फैलाने के लिए की फंडिंग: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आरोप लगाया है कि आतंकी फंडिंग के लिए पैसा पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों की ओर से भेजा गया था और यहां तक कि राजनयिक मिशन का इस्तेमाल गलत मंसूबों को पूरा करने के लिए किया गया था। अदालत ने भी कहा है कि घोषित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों और आरोपी हाफिज सईद द्वारा आतंकी फंडिंग के लिए पैसा भी भेजा गया था। एनआईए के अनुसार, विभिन्न आतंकवादी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम), जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ), जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) पाकिस्तान के आईएसआई के समर्थन से, नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमला करके घाटी में हिंसा को अंजाम दिया ये आरोप लगे हैं
-देश के खिलाफ युद्ध छेड़ना
-गैरकानूनी रोकथाम अधिनयम की विभिन्न धाराएं
-आपराधिक साजिश आदि
सजा का प्रावधान
इन आरोपों के साबित होने की स्थिति में दोषियों को उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा अदालत दोषियों पर जुर्माना भी लगा सकती है।